गंगा किनारे नहीं लगाए जाएं अवैध शिविर एनजीटी का उत्तराखंड सरकार को निर्देश 

Submitted by Editorial Team on Tue, 05/21/2019 - 13:08
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हिंदुस्तान, नई दिल्ली 21 मई 2019

एनजीटी ने उत्तराखंड सरकार को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि गंगा और सहयोगी नदियों के तटों पर अवैध कैंप (शिविर, डेरा) न लगें। वहीं, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन नदियों में सीधे औद्योगिक अपशिष्ट या व्यर्थ पानी डालने को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया है। 

एनजीटी बेंच ने अवैध अतिक्रमण पर कहा, ‘उत्तराखंड यह सुनिश्चित कर सकता है कि गंगा और उसकी सहयोगी नदियों के तटों पर अवैध कैंप न लगें। हम पौड़ी गढ़वाल जिले के पियानी गांव में नीलकण्ठ मार्ग की ओर लगे अवैध शिविरों का उल्लेख कर रहे हैं। उत्तराखंड सरकार को ई-फ्लो की नीति को पूरी तरह से समझना होगा।’ बेंच ने चेताया कि गंगा और सहयोगी नदियों में औद्योगिक अपशिष्ट या गंदा पानी रोकने में विफल जिम्मेदार अधिकारियों या व्यक्तियों से मुवावजा वसूला जाएगा। 
ऐसा करना इसलिए जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो कि अब गंगा को प्रदूषित करना मुनाफे का सौदा नहीं  है। साथ ही कहा, पिछले 34 बरसों में बार-बार सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी द्वारा दिए गए निर्देश केवल कागजों में सीमित नहीं रहने चाहिए।

प्राधिकरण द्वारा गठित समिति विफलता के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों और सरकारी अधिकारियों की पहचान कर सकती है। 
पीठ ने आगाह किया। 

पीठ ने आगाह किया कि कार्रवाई करने में विफल रहने पर नदी में अपशिष्ट या गंदा पानी छोड़ने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों या अधिकारियों से मुआवजा वसूला जाएगा। पीठ ने कहा कि यह मुआवजा नसीहत देने वाला और पुरानी स्थिति बहाल करने की कीमत वसूलने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। 

निर्देश केवल कागजों तक सिमित नहीं रह सकते

सुप्रीम कोर्ट और इस प्राधिकरण से पिछले 34 सालों में बार-बार दी गए निर्देश केवल कागजों तक सिमित नहीं रहने चाहिए। अधिकरण की तरफ से गठित की गई समिति विफल रहने वाले अधिकारियों और राज्य सरकार के अधिकारियों समेत विफल रहने वाले व्यक्तियों की पहचान कर सकता है। 

ठोस कार्ययोजना बनाने को कहा

हम नीलकंठ मार्ग की तरफ पौड़ी गढ़वाल जिले के पियानी गाँव में कथित अवैध कैम्पिंग का विशेष उल्लेख कर रहे हैं। उत्तराखंड राज्य को ई-प्रवाह की नीति को स्पष्ट तौर पर समझना होगा। सात्य्ह ही अधिकरण ने कहा कि गंगा में एक बूँद प्रदूषण भी चिंता का विषय है और नदी के संरक्षण के लिए सभी अधिकारियों का रवैया सख्त होना चैहिये। एनजीटी ने मामले पर ठोस कार्य योजना बनाने को भी कहा है।