साल 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की कमान संभाली थी,तो उन्होंने सबसे अधिक फोकस गांव की स्थिति को सुधारने पर केंद्रित किया। पीएम मोदी जानते थे की भारत की 70 प्रतिशत आबादी गावों में रहती है ऐसे में भारत के विकास के लिये गांवो का विकास होना कितना जरूरी है।गांव की स्थिति कायाकल्प की ठान चुके पीएम मोदी ने सबसे पहले ये ज़िम्मेदारी जन प्रतिनिधियों को सौंपी। केंद्र सरकार द्वारा 11 अक्टूबर 2014 को सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरूआत की गई। इस योजना के तहत सांसदों को अपने क्षेत्र के एक गांव को गोद लेकर 2 साल के भीतर उसे आदर्श गांव के रूप में विकसित करना था। केंद्र सरकार की इस पहल का कई हद तक सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले,जो सांसद चुनाव जीतने के बाद अपने क्षेत्रो को भूल जाते थे,कम से कम इस योजना से अपने क्षेत्रों का भ्रमण तो करने लगे।
सांसद आदर्श ग्राम योजना के बेहतर परिणाम ने हरिद्वार जिला प्रशासन को घाटों की साफई करने की नई तरकीब सूझा दी। जिला प्रशासन की और से गंगा घाटों को गोद लेने के लिए धार्मिक और सोशल सामाजिक संस्थानों को आगे आने के लिये कहा।ताकि घाटो की साफई के साथ उसका बेहतर रखरखाव हो सके ।
गंगा घाटों को गोद लेने के बाद उन्हें रखना होगा स्वच्छ
सभी समाजिक धार्मिक और निजी संस्थानों को करीब 3 साल के लिये गंगा घाटों को गोद लेना होगा और बराबर उनकी साफ-साफई, और सौन्दर्यकरण करना होगा। इसके अलावा संस्थानों को अपने साइन बोर्ड और सूचना केंद्र लगाने की भी अनुमति होगी ताकि लोगों को घाटों की जानकारी समय समय पर मिल सके।वही जिला प्रशासन के इस पहल के बारे मे विस्तार से जानकारी देते हुए।जिलाधिकारी सी रवि शंकर ने बताया की
गंगा घाटों को गोद लेना का विचार एक अलग तरह की योजना है जो सांसद आदर्श ग्राम योजना की तर्ज पर शुरू किया जा रहा है। गंगा घाट में 3 साल के लिये सभी संस्थान और एजेंसी को 100 मीटर की जगह दी जाएगी। इन सभी का प्राथमिक उद्देश्य घाटों को हर दिन साफ और मेंटेने करना होगा। सबसे पहले गंगा के साथ जुड़े धार्मिक निकायों और संगठन को पहली प्राथमिकता दी जाएगी उसके बाद निजी एजेंसी पर विचार किया जाएगा।साथ ही हरिद्वार में गंगा के किनारे बसे 75 गाँवो मे जैविक खेती का प्रचार प्रसार किया जा सकेगा ।
ब्रह्मकुंड, हर की पौड़ी घाटों की देखरेख करने वाले गंगा सभा के सदस्यों ने जिला प्रशासन की इस नई पहल का स्वागत किया है,और माना है की इससे घाटों की बेहतर ढंग से रखरखाव किया जा सकेगा ।
महाकुंभ के चलते घाटों के सौन्दर्यकरण का है दबाव
साल 2021 में महाकुंभ का आयोजन होने वाला है और इसे सफल बनाने के लिए सरकार पर बेहतर व्यवस्था का दबाव है। कोविड-19 के बीच राज्य सरकार की तरफ से 107 घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं को गंगा स्नान कराने के लिये कार्ययोजना तैयार की गई है। हरकी पैड़ी क्षेत्र के विकास के लिये करीब 35 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा।साथ ही गंगा नदी में स्थापित सभी देवी- देवताओं की प्रतिमाओं का भी सौन्दर्यकरण होगा।
महिला घाट का भी होगा विस्तार
हर की पैड़ी पर महिला घाट का विस्तार किया जाएगा साथ ही चेंज रूम और बायो डाइजेस्ट टॉयलेट भी बनाए जाएंगे। जिसका करीब 70% से अधिक काम हो चुका है।
रेड ग्रीन, लाइटों से पता चल पाएगा कौन से घाट है सुरक्षित
महाकुंभ-2021 को देखते हुए पुलिस बल की तैनाती और दूसरी सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है। कुंभ पोर्टल पर घाटों के हिसाब से रेड येलो और ग्रीन जोन लगाए गए है। पोर्टल पर पंजीकरण करके श्रद्धालु यह पता लगा सकेंगे कि किस घाट पर स्नान करना सबसे अधिक सुरक्षित होगा।
ऐसा नही है कि पहली बार गंगा घाटों को साफ करने के लिये कोई योजना बनी है। इसे पहले भी साल 2017 में 49 वे स्पर्श गंगा अभियान के तहत 35 घाटों को साफ किया गया था। लेकिन उसके बावजूद आज भी घाटो को साफ करने के लिये नई-नई तरकीब खोजी जा रही है।उम्मीद करते है जिला प्रशासन का ये इनोवेटिव आईडिया काम कर जाये और भविष्य में घाटों को बार साफ साफ करनी के अभियानों की जरूरत ना पड़े।