घरों के आस-पास पानी रोकने वाली संरचनाएँ

Submitted by admin on Mon, 02/15/2010 - 12:24
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क्रांति चतुर्वेदी

गांव में अधिकांश घरों की छत कवेलू की होती है। छोटा होने के कारण छत के पानी को पक्के मकानों की छत पर अपनायी जाने वाली विधि की तरह संग्रहित करना अव्यावहारिक होता है। इसलिए गांव से मकानों पर गिरने वाले बरसाती पानी को सहजने की सरल विधी सुझाई जा रही है।

छत आंगन और बाड़े में गिरने वाले पानी को (अ) सोक पिट (ब) टांका नामक संरचनाओं में एकत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा राजस्थान की तर्ज पर ‘पक्का टांका’ भी बनाया जा सकता है। इन दोनों संरचनाओं को बनाने का तरीका इस प्रकार है-
 

(अ) सोक पिट:

छत, आंगन एवं बाड़े से निकलने वाले बरसाती पानी के मार्गों पर सोकपिट बनाने के लिए गड्ढे खोदे। गड्ढे की गहराई पानी मात्रा पर निर्भर करती है। अगर मकान का अहाता बड़ा है तो अधिक सोक पिट बनाये जाएं। सामान्यतः एक घर के आसपास करीब चार सोकपिट बनाये जाना चाहिए। उनकी लंबाई, चौड़ाई और गहराई लगभग 3 मीटर रखी जा सकती है। इस सोक पिट की तली में करीब 0.5’ मोटी बोल्डर की परत जमाई जाती है। बोल्डर की परत के ऊपर बजरी और उसके ऊपर मोटी रेत की करीब 0.5’ मोटी परत बिछायी जाती है। अंत में इस पिट को बारीक रेत से भरकर निचले भाग में मिट्टी की पाल डाल दी जाती है। इस तरह से सोक पिट प्रत्येक घर में बगैर किसी बाहरी सहायता के बनाये जा सकते हैं तो भूजल भण्डार को समृद्ध करते हैं।
 

(ब) टांका:

यह जमीन के नीचे बनाया जाता है, जिसे अच्छी तरह ढंककर रखा जाता है। इसकी लंबाई, चौड़ाई और गहराई जरुरत के आधार पर तय की जाती है। इसमें बरसात के पानी को छत से इकट्ठा किया जाता है जिससे निंस्वार जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। यह संरचना राजस्थान के मरुस्थलीय इलाके में ज्यादा पायी जाती है।
 

खलिहान में पानी रोकने वाली संरचनाएँ :


खेती से जुड़े हर व्यक्ति के पास खलिहान होता है। खलिहान में भी घरों के आसपास पानी रोकने वाली संरचनाओं को बनाया जा सकता है। यह संरचना पानी बहकर बाहर जाने वाले मार्गों पर बनाया जाना चाहिए जिसका आकार पानी की मात्रा के अनुसार होना चाहिए।