किसानी जवानी और जल संरक्षण को बचाने के लिए मशहूर पर्यावरणविद और जल संरक्षक डॉ राजेंद्र सिंह द्वारा विश्व अहिंसा दिवस के अवसर पर 02 अक्टूबर से स्वराज यात्रा का आयोजन किया जाएगा । गांधी जयंती पर शुरू होने वाली यह यात्रा 26 नवंबर 2021 यानी संविधान दिवस के अवसर पर पूरी होगी।
56 दिन तक चलने वाली यह जन चेतना यात्रा देश की कई राजधानियों और जिलों से होते हुए दिल्ली तक पहुंचेगी। इस यात्रा में किसान, युवा और विभिन्न राज्यों और जिलों से कई लोग हिस्सा ले सकते है।इस यात्रा का मुख्य केंद्र किसानों की माली हालत और गहराते जल संकट रहेगा।
वही यात्रा को लेकर डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने कहा
जल के निजीकरण और व्यापारिकरण से जल की विस्थापित होने की संभावना बढ़ रही है ऐसे में लोग पानी और खेती के लिए पानी को हर समय खरीद नहीं सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में बढ़ते निजीकरण के कारण कंपनियां की तादाद बढ़ रही है और यह कंपनियां अपने हित को पूरा करने के लिए पानी को लगातार दूषित कर रही है।
जिससे भारतीयों के अधिकार खत्म हो रहे हैंआज लोगों में पानी के संरक्षण को लेकर जो चेतना होनी चाहिए थी उसका कहीं न कहीं एक अभाव नजर आ रहा है। जिसके कारण जल व्यापार फल फूल रहा है और जल संकट विकट होता जा रहा । उन्होंने कहा बढ़ती पानी की समस्या से हमारे खेत जीवन और जीविका पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
ऐसे में सामुदायिक विकेन्द्रित जल प्रबंधन द्वारा ही भारत को पानीदार बनाया जाये। चेतना यात्रा में इन सभी विषयों को लेकर आम नागरिकों से बातचीत की जाएगी। और सभी को प्राकृतिक जल संसाधनों को बचाने के प्रति जागरूक किया जाएगा।
राजेंद्र सिंह ने बताया कि
किसानी-जवानी-पानी चेतना भारत स्वराज्य यात्रा की तैयारी आरम्भ हुई है। राज्यवार समन्वयक तय किये जा रहे हैं। पानी, जवानी, किसानी का संकट पूजीवाद है। पूजीवाद भारत को बेपानी बना रहाहै। नदियां प्रदूषण, अतिक्रमण व जल शोषण द्वारा सूख कर मर रही है।
राजेंद्र सिंह आगे कहते है पूजीवाद में प्राकृतिक शोषण की तकनीक इंजीनियरिंग ही सिखाई जाती है। भारतीय प्रौद्योगिकी और अभियांत्रिकी में प्राकृतिक आस्था से प्राकृतिक पोषण काव्यवहार और संस्कार मिटाकर दोहन के स्थान पर शोषण सिखा दिया है।