जल के बिना जीवन सम्भव नहीं इसलिए जल संरक्षण जरूरी : डीएम

Submitted by birendrakrgupta on Fri, 03/27/2015 - 07:20
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डेली न्यूज नेटवर्क, 26 मार्च 2015
जल ही जीवन है और जल के बिना जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। इसलिए जल का संरक्षण प्रत्येक दशा में किया जाना चाहिए यदि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में पीने के पानी की भाषण समस्या से हम सबको जूझना पड़ेगा।गोण्डा। जल ही जीवन है और जल के बिना जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। इसलिए जल का संरक्षण प्रत्येक दशा में किया जाना चाहिए यदि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में पीने के पानी की भाषण समस्या से हम सबको जूझना पड़ेगा। उक्त विचार जिलाधिकारी अजय कुमार उपाध्याय ने गोपाल ग्राम में आयोजित जायद उत्पादकता कृषि गोष्ठी के दौरान अधिकारियों एवं किसानों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जल संरक्षण आज की महती आवश्यकता है क्योंकि जल और वायु हमारी जीवन के अनिवार्य आवश्यक अंग हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम वर्षा जल के संरक्षण की कोशिश करें। वर्षा के पानी और नदी नालों के पानी का प्रबन्धन इस प्रकार होना चाहिए कि फालतू बह जाने वाले पानी को अधिक से अधिक मात्रा में रोका जाय।

विगत वर्षों में जंगल बहुत तेजी से कम हुए हैं, जब कि जंगल वर्षा जल संरक्षण के सशक्त माध्यम हैं। वन हमारी अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ वर्षा को भी नियन्त्रित करते हैं। अन्धाधुन्ध वनों की कटाई के कारण वर्षा की मात्रा में गिरावट आई है एवं प्रकृति का जल सन्तुलन बिगड़ा है जो चिन्ता का विषय है। इस पर मन्थन करने के साथ-साथ अमल भी करने की जरूरत है।

उन्होंने किसानों को कृषि में जैविक खाद का प्रयोग करने का आह्वान करते हुए कहा कि इससे हमें शुद्ध फसल प्राप्त होगी और मृदा तथा जल प्रदूषण से निजात भी मिलेगी। इस अवसर पर उपनिदेशक कृषि श्रवण कुमार ने कहा कि भूगर्भ जल का इसी प्रकार अनियन्त्रित दोहन होता रहा तो कुछ जिले रेगिस्तान में तब्दील हो जाएँगे। प्रदेश के 108 विकासखण्ड डार्क घोषित हो चुके हैं और यदि वर्तमान स्थिति बनी रही तो उनकी संख्या बढ़ सकती है।

प्रदेश के बड़े शहरों मेरठ, लखनऊ, आगरा, गाजियाबाद आदि में स्थिमि अत्यन्त गम्भीर हो गई है। गोरखपुर को छोड़कर प्रदेश के सभी नगर निगमों में भूजल दोहन से जल की समस्या पैदा हो रही है। प्रदेश सरकार ने आने वाली इस भीषण समस्या को गम्भीरता से लिया है और इसके तमाम प्रभावी कदम भी उठाए जा रहे हैं।

उन्होंने गोष्ठी में उपस्थित किसानों से अपील किया कि जायद फसल 15 अप्रैल तक बुआई हर हाल में कर दें और तैयार हो रही गेहूँ की उपज का संरक्षण का उचित प्रबन्धन करें। इसके लिए उन्होंने किसानों को संरक्षण किए जाने की तमाम बारीकियाँ एवं उपाय बताएँ।

अन्धाधुन्ध वनों की कटाई के कारण वर्षा की मात्रा में गिरावट आई है एवं प्रकृति का जल सन्तुलन बिगड़ा है जो चिन्ता का विषय है। इस पर मन्थन करने के साथ-साथ अमल भी करने की जरूरत है।इस अवसर पर उन्होंने किसानों को आह्वान करते हुए कहा कि कम्बाइन से फसल की कटाई न कराएँ क्योंकि इससे मवेशियों के लिए चारे का संकट तो पैदा होता ही है साथ ही खेत में गेहूँ के डण्ठल को जलाने पर खेत में मौजूद उर्वरक तत्व नष्ट होते हैं और लाभाकारी जीव जो मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाने का काम करते हैं वे भी मर जाते हैं।

गोष्ठी के दौरान अधिशासी अभियन्ता सरयू नहर खण्ड-4 शशि प्रकाश शुक्ला ने कहा कि यहाँ के किसानों को सिंचाई सुविधा प्रदान करने हेतु सरयू नहर परियोजना के तहत नहरों का निर्माण कराया जा रहा है जिसमें निर्धारित लक्ष्य 1325 किलोमीटर के सापेक्ष लगभग 1180 किलोमीटर लम्बी नहर का निर्माण कार्य पूरा कराया जा चुका है तथा शेष बचे गैप्स को शीघ्र पूरा करने के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

इस अवसर पर संयुक्त कृषि निदेशक देवीपाटन मण्डल, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक मिथलेश कुमार झा, कृषि रक्षा वैज्ञानिक आशीष कुमार, डॉ. हरि पाल सिंह, प्रगतिशील किसान अतुल कुमार सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त कर किसानों को तमाम महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं।

जिलाधिकारी ने इस अवसर पर कृषि यन्त्रीकरण योजना के तहत मशीनरी फार्म बैंक की स्थापना हेतु चयनित जनपद के पाँच कृषक समूहों क्रमश: कल्याण सेवा संस्थान परसपुर ओम प्रकाश पाण्डेय, प्रगतिशील कृषक सेवा संस्थान रायपुर वजीरगंज कुसुम मौर्या, किसान विकास समिति चरहुआँ परसपुर रविशंकर सिंह, कुबरेनाथ समाज सेवा संस्थान रूपईडीह के अरविन्द पाण्डेय को स्वीकृति पत्र दिया।