पौने तीन करोड़ रुपए की लागत से बना सिकरा पेयजल शंभू योजना विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गया। उद्घाटन के 5 वर्ष बाद ध्वस्त हुई मोटर को 31 वर्ष बिताने के बावजूद भी बदला नहीं जा सका देखभाल के अभाव में समूह योजना में लगे उपकरण के साथ भवन कर्मचारी आवास खंडहर में तब्दील हो चुके हैं आज भी दर्जनों गांव के हजारों लोग पेयजल योजना के दोबारा शुरू होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
वर्ष 1986 में पूर्व पीएम वीपी सिंह के प्रयास से टिकरा गांव में एक बड़े पेयजल समूह योजना का निर्माण कराया गया योजना के तहत क्षेत्र के सिकरा बघौरा गिरधरपुर महुआब, बाकुलिया, उल्दा, खवास का तारा ,बरबसपुर, बैदोली, कटका आदि गांव के हजारों ग्रामीणों को सुगमता से पेयजल उपलब्ध कराया जाने का उद्देश्य था। इसी कड़ी में 2 करोड़ 70लाख रुपए की लागत से लगभग 1:30 भीघा भूमि का अधिग्रहण कर चारों तरफ बाउंड्री वॉल, 2 बोर 25 केवीए का ट्रांसफार्मर भवन कर्मचारी आवास आदि का निर्माण कराया गया था निर्माण के 5 वर्ष बाद योजना की मोटर ध्वस्त हो गई विभागीय लापरवाही के चलते ध्वस्त मोटर आज तक बदली नहीं गई है।
सिकरा गांव के बच्चन लाल ने बताया कि उद्घाटन के लगभग 5 वर्ष बाद पेयजल समूह की योजना मोटर ध्वस्त हो गई जिसके कारण दर्जनों गांव की पेयजल सप्लाई ठप हो गई विभागीय लापरवाही की वजह से 31 वर्ष बिताने के बावजूद भी ध्वस्त हुई मोटर को आज तक बदला नहीं गया जिसके चलते ग्रामीण पेयजल के लिए दर-बदर भटक रहे हैं