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केंद्र सरकार के निर्देश पर छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के 900 बच्चों की सेहत के लिए वाटर फिल्टर लगाने की योजना बनाई है. जलमनी योजना के नाम से छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए स्कूलों में वाटर फिल्टर लगाने की अनुशंसा कर दी, ताकि स्कूलों में ही बच्चों को स्वच्छ जल उपलब्ध कराया जा सके. यह अलग बात है कि नगर निगम और नगर पालिका जैसी संस्थाएं आम जनता को उनके घरों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में असफल रही हैं.
परंतु, सरकार की चिंता 900 स्कूलों के बच्चों को स्वच्छ पेयजल स्कूल अवधि में पिलाने की है. इसलिए दिनांक 25 सितम्बर 2009 को इस संदर्भ में निविदा बुलाई गई. चूंकि ठेकेदारों ने नियमानुसार अनुभव पत्र जमा नहीं किया था, इसीलिए अधीक्षण यंत्री मदनलाल अग्रवाल के अनुसार इसे निरस्त कर दिया गया. प्रस्तावित नियमों के अनुसार, वही ठेकेदार इस निविदा के लिए योग्य थे, जिन्हें वाटर फिल्टर के पचास नग का सप्लाई करने का अनुभव हो. श्री अग्रवाल के अनुसार वाटर फिल्टर बनाने व वितरित करने वाली 47 प्रतिष्ठित कंपनियों की सूची तय की गई है. इन्हीं कंपनियों में से कोई कंपनी स्कूल में इन वाटर फिल्टरों की सप्लाई करेगा. चुनी गई कंपनी को पांच वर्ष तक वाटर फिल्टर का रखरखाव भी करना होगा.
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परंतु, सरकार की चिंता 900 स्कूलों के बच्चों को स्वच्छ पेयजल स्कूल अवधि में पिलाने की है. इसलिए दिनांक 25 सितम्बर 2009 को इस संदर्भ में निविदा बुलाई गई. चूंकि ठेकेदारों ने नियमानुसार अनुभव पत्र जमा नहीं किया था, इसीलिए अधीक्षण यंत्री मदनलाल अग्रवाल के अनुसार इसे निरस्त कर दिया गया. प्रस्तावित नियमों के अनुसार, वही ठेकेदार इस निविदा के लिए योग्य थे, जिन्हें वाटर फिल्टर के पचास नग का सप्लाई करने का अनुभव हो. श्री अग्रवाल के अनुसार वाटर फिल्टर बनाने व वितरित करने वाली 47 प्रतिष्ठित कंपनियों की सूची तय की गई है. इन्हीं कंपनियों में से कोई कंपनी स्कूल में इन वाटर फिल्टरों की सप्लाई करेगा. चुनी गई कंपनी को पांच वर्ष तक वाटर फिल्टर का रखरखाव भी करना होगा.
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