गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए मातृसदन बीस वर्षों से संघर्षरत है। हरिद्वार की पवित्र भूमि पर गंगा की रक्षा के लिए मातृसदन के दो संत स्वामी निगमानंद और प्रख्यात वैज्ञानिक स्वामी ज्ञानस्परूप सानंद उर्फ प्रो. जीडी अग्रवाल अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी गंगा के प्रति शासन और प्रशासन की उदासीनता कम नहीं हुई। विभिन्न योजनाओं में करोड़ों रुपये व्यय करने के बाद भी गंगा में प्रदूषण कम नहीं हुआ। केंद्र सरकार और नेशनल मिशन फाॅर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) द्वारा गंगा की रक्षा के लिए मातृसदन को दिए लिखित आश्वासन पर भी अभी तक अमल नहीं किया गया है। केंद्र सरकार और एनएमसीजी के इस रवैया से रुष्ठ होकर मातृसदन ने अब पहले से वृहद आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है और इस बार मातृसदन के आंदोलन को देशभर में फैलाते हुए मातृशक्ति मातृसदन के आंदोलन की बागडोर संभालेंगी तथा आंदोलन को धार देने का काम करेंगी। इससे पूर्व गंगा की रक्षा हेतु मातृसदन को दिए आश्वासन को पूरा करने के लिए सरकार को दो माह का समय दिया गया है।
गंगा की अविरलता के लिए मातृसदन के स्वामी निगमानंद ने 19 फरवरी 2011 को अनशन शुरू किया था। अनशन के 68वें दिन 27 अप्रैल को प्रशासन ने उन्हें जबरन उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया था। आरोप था कि अस्पताल में नर्स द्वारा इंजेक्शन देने के बाद निगमानंद कोमा में चले गए, जिसके बाद उन्हें देहरादून स्थित जोलीग्रांट में भर्ती कराया गया था, जहां 46 दिन तक इलाज के बाद 11 जून 2011 को स्वामी निगमानन्द को मृत घोषित कर दिया गया। यही स्वामी सानंद के साथ हुआ।
24 जून 2018 को स्वामी सानंद के गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए विशेष एक्ट पास करने की मांग को लेकर अनशन शुरू किया था। अनशन के 110वे दिन 10 अक्टूबर को उन्हें जबरन उठाकर ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया। 11 अक्टूबर की सुबह तक वे बिलकुल सही हालत में थे और उन्होंने एक पत्र भी लिखा था, लेकिन दोपहर को उनका देहांत हो गया। स्वामी सानंद की मांगो के समर्थन में मातृसदन के ब्रह्मचारी 24 अक्टूबर को अनशन पर बैठे। उन्होंने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा के आश्वाशन पर 194 दिन बाद 4 मई 2019 को अनशन समाप्त किया। एनएमसीजी के महानिदेशक के भोगपुर से बिशनपुर कुण्डी तक गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे के खनन पर रोक लगाने, गंगा के किलोमीटर के दायरे में स्टोन क्रेशर बंद करने, गंगा पर बन रही बिजली परियोजनाओं पर दोबारा समीक्षा कर जल्दी की कार्यवाही करने सहित अन्य आश्वासन दिए थे, लेकिन अभी तक धरातल पर कार्य होता नहीं दिखा रहा है।
जिसके चलते मातृसदन ने देशभर के गंगाप्रेमियों के आंदोलन को लेकर उनके विचार मांगे और स्वामी निगमानंद की पुण्यतिथि पर मातृसदन में गोष्ठी का आयोजन भी कराया गया। जिसमें सभी ने अनशन शुरू करने का समर्थन किया, लेकिन मातृसदन को दिए गए आश्वाशन को पूरा करने के लिए सरकार और एनएमसीजी को दो माह का समय देने की बात कही। लेकिन इस बार ब्रह्मचारी आत्मबोधनंद, ब्रह्मचारी दयानंद, पुण्यानंद सहित केदारघाटी से आई सुशीला भंडारी ने खुद भी अनशन पर बैठे की बात की, किन्तु पद्मावती ने स्वामी शिवानंद सरस्वती के समक्ष अनशन पर बैठने का संकल्प लिया। जिससे अब मातृसदन के आंदोलन को मातृशक्ति की ताकत मिल गयी है और ये पहली दफा होगा कि गंगा की रक्षा के लिए कोई महिला आमरण अनशन पर बैठेगी। इससे गंगा की रक्षा के लिये मातृसदन के आंदोलन को धार मिलेगी और इसे अब देशव्यापी आंदोलन बनाया जायेगा। स्वामी शिवानन्द सरस्वती ने कहा कि यदि सरकार बलिदान चाहती है तो हम बलिदान के लिए तैयार हैं। गंगा की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष जारी रहेगा।
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