मध्य प्रदेश में पिछले 10 साल में पेयजल सुविधाओं में व्यापक सुधार देखने को नहीं मिला है। प्रदेश की एक बड़ी आबादी को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। प्रदेश की 34 फीसदी बसाहटों में रहने वाली आबादी को पानी के संकट से जूझना पड़ रहा है। इसके साथ ही प्रदेश में कुल 52117 आबाद गांव हैं और कुल 23010 ग्राम पंचायत हैं, पर अभी भी प्रदेश में सिर्फ 9030 गांवों में ही नल-जल योजनाएं संचालित हैं।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल 2012 की स्थिति में प्रदेश की कुल 127197 बसाहटों में से सिर्फ 83571 बसाहटों में ही 55 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता हो पाई है। प्रदेश की 43626 में बसाहटों में तय मानक प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर पानी उपलब्ध नहीं है, जो कि कुल बसाहटों का 34 फीसदी है।
प्रदेश में नल-जल योजनाओं की स्थिति देखी जाए, तो पता चलता है कि दिसंबर 2012 तक प्रदेश में सिर्फ 9030 नल-जल योजनाएं चालू हालात में हैं। प्रदेश में कुल 23010 ग्राम पंचायतें और 52117 आबाद गांव हैं। इन पंचायतों एवं गांवों तक नल-जल योजनाएं पहुंचना अभी दूर की कौड़ी नजर आती है। प्रदेश में जो 1135 नल-जल योजनाएं बंद पड़ी है, उसमें से 678 को पंचायतें चला पाने में असमर्थ साबित हुई हैं।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल 2012 की स्थिति में प्रदेश की कुल 127197 बसाहटों में से सिर्फ 83571 बसाहटों में ही 55 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता हो पाई है। प्रदेश की 43626 में बसाहटों में तय मानक प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर पानी उपलब्ध नहीं है, जो कि कुल बसाहटों का 34 फीसदी है।
प्रदेश में नल-जल योजनाओं की स्थिति देखी जाए, तो पता चलता है कि दिसंबर 2012 तक प्रदेश में सिर्फ 9030 नल-जल योजनाएं चालू हालात में हैं। प्रदेश में कुल 23010 ग्राम पंचायतें और 52117 आबाद गांव हैं। इन पंचायतों एवं गांवों तक नल-जल योजनाएं पहुंचना अभी दूर की कौड़ी नजर आती है। प्रदेश में जो 1135 नल-जल योजनाएं बंद पड़ी है, उसमें से 678 को पंचायतें चला पाने में असमर्थ साबित हुई हैं।