महासागरीय तरंगें

Submitted by admin on Mon, 07/12/2010 - 13:40
लोग समझते हैं की ओशियन यानी महासागर में जल स्थिर रहता है, मगर वास्तव मे ऐसा नही होता है। महासागर का पानी निरंतर एक नियमित गति से बहता रहता है जिस ओशियन करंट या समुद्री तरंगें कहते हैं। समुद्री तरंगों के काफी रूप देखने को मिलते हैं। प्राकृतिक करंट में प्रमुख ड्रिफ्ट एवं स्ट्रीम करंट होती हैं। एक स्ट्रीम करंट की कुछ सीमाएं होती हैं, जबकि ड्रिफ्ट करंट के बहाव की कोई विशिष्ट सीमा नहीं होती।

ओशियन करंट बनने के मुख्यत: तीन कारण होते हैं - पहला, चूंकि पानी में नमक की मात्र एक स्थान से दूसरे स्थान पर बदलती है, इसलिए समुद्री पानी की डेन्सिटी (घनत्व) में भी स्थान के साथ-साथ परिवर्तन आता है। पानी की प्रवृत्ति होती है कि वह ज्यादा घनत्व वाले इलाके में बहता है, इसी कारण करंट बनता है।

दूसरे कारण में सूर्य की किरणों पानी की सतह पर एक समान नहीं पड़तीं। इस कारण पानी के तापमान में असमानता आ जाती है। इसके कारण कंवेंशन करंट पैदा होती हैं।

तीसरी वजह समुद्र की सतह के ऊपर बहने वाली तेज हवाएं होती हैं। उनमें भी पानी में तरंगें पैदा करने की क्षमता होती है। यह तरंगें पृथ्वी की परिकृमा से भी बनती हैं। घूमते समय पृथ्वी के उत्तरी हिस्से में घड़ी की दिशा में करंट बनता है।

इन सब में गल्फ स्ट्रीम काफी अहम होता है। इस स्ट्रीम में पानी नीला एवं गरम हो जाता है। इसका बहाव मैक्सिको की खाड़ी के उत्तर से कनाडा तक होता है। यही कारण है कि लंदन एवं पेरिस कम ठंडे हैं जबकि नॉर्वे के तटीय इलाके पूरे वर्ष बर्फ रहित रहते हैं। इसके अलावा, ब्राजील करंट, जापान, उत्तर भूमध्य रेखा, उत्तर प्रशांत महासागरीय तरंग आदि दुनिया की प्रमुख समुद्री तरंगों में से हैं।

पानी के पौधों के लिए यह तरंगें बहुत जरूरी होती हैं क्योंकि यह समुद्री जीव-जंतुओं के लिए आहार का मुख्य स्रोत होते हैं। सागर तरंगों से गर्म पानी ठंडे पानी वाले क्षेत्रों तक जाता है। इसके विपरीत सागरीय तरंगों का असर भूतापमान पर भी पड़ता है।