निहपछ राजा मन हो हाथ

Submitted by Hindi on Thu, 03/25/2010 - 10:19
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घाघ और भड्डरी

निहपछ राजा मन हो हाथ, साधु परोसी नीमन साथ।
हुकुमी पूत धिया सतवार, तिरिया भाई रखे विचार।।
कहै घाघ हम करत विचार, बड़े भाग से दे करतार।।


शब्दार्थ- निहपछ-निष्पक्ष। नीमन-अच्छा। धिया-पुत्री। सतवार-अच्छे स्वभाव। तिरिया-पत्नी।

भावार्थ- घाघ का कहना है कि राजा निष्पक्ष, (न्यायप्रिय) हो, अपना मन नियंत्रण में हो, पड़ोसी सज्जन हो, दोस्त निष्कपट हो, पुत्र आज्ञाकारी और पुत्री अच्छे आचरण की हो, स्त्री के भाई अच्छे व्यवहार वाले हों, ऐसे लोग बड़े भाग्यशाली होते हैं।