पानी की कमी के कारण 250 परिवार गाँव छोड़ने पर मजबूर

Submitted by Shivendra on Sat, 11/23/2019 - 13:04

फोटो - B. Velankanni Raj, The Hindu

देश में जल संकट गहराता जा रहा है। चेन्नई में जहां भूजल एक प्रतिशत से भी कम बचा है, वहीं हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली, कानपुर आदि में भूजल समाप्त होने की कगार पर है। दिल्ली में नलों में तक गंदा पानी आ रहा है। जल संकट के कारण पहाड़ों का गर्भ सूख रहा है। पानी की भीषण कमी के कारण लोग गांव छोड़ने पर मजबूर हैं। आंध्र प्रदेश-तिरुवल्लुर की सीमा से सटे गोल्लालाकुप्पम गांव का भी यही हाल है। पानी की किल्लत के कारण गांव के 250 परिवारों के सामने गांव खाली करने की स्थिति खड़ी हो गई है। 

गोल्लालाकुप्पम गांव उत्तर में मूनू गुंडू, पश्चिम में गायककुंड और पूर्व में बोडपराई पहाड़ियों से घिरा हुआ है। तीन पहाड़ियों बीच ही करीब 300 एकड़ की खाली जगह है। बरसात में दौरान पहाड़ियों से सारा पानी बहकर नीचे आ जाता है और नदी की तरह गांव के करीब से ही बहने लगता है। गांव में पानी का कोई ठहराव न होने के कारण अच्छी बरसात के बावजूद भी भूमि के अंदर पानी नहीं पहुंच पाता। इस कारण गांव का जलस्तर लगातार गिर रहा है और लोगों 500 फीट पर भी पीने का पानी नहीं मिल पा रहा। हर बार जब बारिश होती है, तो तीनों पहाड़ियों से पानी रिसता है और गाँव के करीब नदी की तरह बहता है। इससे गांव में ये स्थिति आ गई है कि सभी लोगों की प्यास बुझाने वाले सभी कुएं सूख गए हैं और खेती करने के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं बचा है। ऐसे में किसानों की फसल खराब हो रही है। 

हालाकि गांव में पानी की समस्या को समाधान करने के लिए 80 के दशक में यहां चेकडैम बनाने का प्रयास किया, लेकिन पानी चेकडैम के ऊपर चला गया। चेकडैम बनाने के लिए वर्ष 2003 में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने साइट का निरीक्षण किया, लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी मामलो निरीक्षण के आगे नहीं बढ़ा। गांववासियों का मानना है कि चेकडैम बनाने से आसानी से जल संरिक्षत किया जा सकेगा और केसरजकूपम, टीटी कंडेगई और पुण्यम जैसे पड़ोसी गांवों को भी फायदा होगा। शासन और प्रशासन की लापरवाही के कारण आज ये आलम हैं कि अधिकार दूसरे को काम के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी कहते हैं कि यह क्षेत्र वन विभाग के अंतर्गत आता, तो वन विभाग के अधिकारियों का कहना गांव के विकास के लिए कई योजनाएं प्रस्तावित है। धरातल पर काम करने के बजाए केवल बाते करने के इस रवैया के कारण ग्रामीणों के सामने गांव छोड़ने की स्थिति पैद हो गई है।

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