पर्वतीय ढाल पर आरोह और अवरोह के परिणामस्वरुप वायुप्रवाह में तरंगे उत्पन्न हो जाती हैं। इनका क्षैतिज तरंगदैर्घ्य 1 से 20 किमी. तक होता है। ये अर्द्धस्थायी गुरुत्व किस्म की तरंगें होती हैं।
इनके फलस्वरुप काफी ऊंचाई तक विक्षोभ तथा ऊर्ध्वाधर वायु धाराएं उत्पन्न हो जाती हैं जो सामान्यतः क्षोभसीमा को पार कर समतापमंडल में जा पहुंचती हैं। ये विक्षोभ पर्वत की ऊंचाई से दूनी ऊंचाई तक प्रभावी होते हैं।
इनके फलस्वरुप काफी ऊंचाई तक विक्षोभ तथा ऊर्ध्वाधर वायु धाराएं उत्पन्न हो जाती हैं जो सामान्यतः क्षोभसीमा को पार कर समतापमंडल में जा पहुंचती हैं। ये विक्षोभ पर्वत की ऊंचाई से दूनी ऊंचाई तक प्रभावी होते हैं।