Source
भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान पत्रिका, 01 जून, 2012
सारांश:
भारत में लगभग 7500 किलोमीटर लम्बी तटीय रेखा के अंतर्गत विभिन्न वृक्षारोपण के द्वारा मृदा कार्बन संचयन की अपार सम्भावनाएँ हैं। कैजुआरिना वृक्षारोपण में मृदा कार्बन संचयन गतिकी के परीक्षण के उद्देश्य से यह क्षेत्र अध्ययन सागर द्वीप के तटीय बालू टीला पर किया गया। सतही एवं उप सतही मृदा में कार्बनिक कार्बन के अवयव क्रमशः 25.8-58.8 और 12.1-25.7 टन प्रति हेक्टेयर आकलित किया गया। पुराने कैजुआरिना वृक्षारोपण के अंतर्गत कार्बनिक कार्बन की मात्रा वृक्षरहित बालू के टीले की तुलना में 15 गुना अधिक पायी गई। नए कैजुआरिना वृक्षों के निकट कार्बन संचयन की दर सर्वाधिक (4.3 टन प्रति वर्ष) पायी गई।
Abstract
There is a great potential of carbon sequestration under different plantations in about 7500 Km long coastline of India. The objectives of this study were to examine the carbon sequestration dynamics under different age Casuarina plantation at Sagar Island,. West Bengal. The organic carbon content in surface and sub-surface soil ranged from 25.8-58.8 and 12.1 -25.7 ton/hectare, respectively. Soil organic carbon under old Casuarina showed 15 times more value than the unplanted soil of the Sand Dunes. Rate of carbon sequestration was observed to be the maximum (4.3 ton/year) under new Casuarina plantation near to the tree.
प्रस्तावना
वैश्विक कार्बन चक्र में मृदा-वनस्पति प्रणालियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा मृदा कार्बनिक कार्बन का सबसे बड़ा भंडार है। मृदा कार्बन संचयन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की वृद्धि को रोकने और वैश्विक हरित गृह प्रभाव को कम करने हेतु विभिन्न लागत प्रभावकारी माध्यमों में से एक है। राष्ट्रीय स्तर पर हरित गृह गैस CO2 का मृदा कार्बन तथा पादप जैव भार में संचयन भारत में कुछ क्षेत्रों के मूल्यांकन पर आधारित है जो कि क्षेत्रीय कार्बन संचयन प्रक्रियाओं को वास्तविक रूप में दर्शाने में पर्याप्त नहीं है। मृदा कार्बन संचयन एक जटिल जैव भू-रासायनिक प्रक्रिया है जो कि विभिन्न भूमि उपयोग, मृदा, जलवायु और प्रबंधन प्रक्रियाओं पर मुख्य रूप से आधारित है। उपर्युक्त संदर्भ में विशिष्ट भूमि उपयोग और घिरी हुई भूमि (लैन्ड यूज लैन्ड कवर, एल यू एल सी) प्रणाली के अंतर्गत क्षेत्र पर कार्बन संचयन स्थिति का वास्तविक आकलन करना आवश्यक है। भारत में कैजुआरिना वृक्षों का रोपण (जैव-शील्ड के रूप में) तटीय बालू के टीेले पर वृहत रूप में किया जाता है। जो कि एक महत्त्वपूर्ण भूमि उपयोग और घिरी हुई भूमि का प्रकार है। कैजुआरिना एक नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाला वृक्ष है जिसका उपयोग मुख्यतः मृदा दृढ़ीकरण, उद्धार और तटीय रक्षण औ पुनरुद्धार के लिये विशेष रूप से किया जाता है। वर्तमान शोध अध्ययन का मुख्य उद्देश्य (1) वृक्षरहित बालू के टीले क्षेत्र की तुलना में नए कैजुआरिना वृक्षारोपण (लगभग 2-3 वर्ष) और पुराने कैजुआरिना वृक्षारोपण (8-10 वर्ष) की मृदा कार्बनिक कार्बन संचयन का मूल्यांकन तथा (2) सतही एवं उपसतही कार्बनिक कार्बन की विविधता का कैजुआरिना वृक्षों के निकट (अधिक पादप तृणशैया मात्रा) और (कम पादप तृणशैया मात्रा) का अध्ययन करना है।
सामग्री एवं विधि
इस शोध कार्य को पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित कैजुआरिना के वृक्षारोपित क्षेत्र में किया गया जिसकी स्थिति 210 37’ 52’’ उत्तर to 880 04’ 29’’ पूर्व है (चित्र 1)। यहाँ पर विभिन्न समयों में कैजुआरिना वृक्षारोपण का मुख्य उद्देश्य तटीय मृदा कटाव तथा बालू के भीतरी तटीय क्षेत्र में विस्तार की रोकथाम के लिये किया गया है। इस परिस्थिति में वृक्ष रहित बालू टीले के क्षेत्र की तुलना में नए एवं पुराने कैजुआरिना वृक्षारोपण में कार्बन संचयन का अध्ययन किया गया। इसके अतिरिक्त कैजुआरिना वृक्ष के निकट (अधिक पादप तृणशैया मात्रा) तथा वृक्ष के बीच (कम पादप तृणशैया मात्रा) कार्बन संचयन का अवलोकन भी किया गया। वृक्ष रहित नए एवं पुराने तटीय बालू के टीले से मृदा ऑगर (3इंच) की सहायता से मृदा नमूने (सतही, 10-20 सेमी. और उप सतही, 40-50 सेमी.) एकत्रित किए गए। वाकले और ब्लॉक विधि द्वारा मृदा कार्बनिक कार्बन का आकलन किया गया। नीचे दिए गए सूत्र द्वारा प्रति हेक्टर (10,000 वर्ग मीटर) कुल कार्बनिक कार्बन का अवयव (0.15 मी. गहराई तक) का आकलन किया गया।
कार्बनिक कार्बन/हेक्टर = कार्बनिक कार्बन X मृदा का आयतन X ढेर घनत्व (1.6 मिग्रा/घन मीटर) कार्बन संचयन की दर का आकलन भी निम्नानुसार किया गया।
कार्बन संचयन/वर्ष = [कैजुआरिना वृक्ष के अंतर्गत कार्बनिक कार्बन का अवयव - कार्बनिक कार्बन (वृक्ष रहित स्थिति, नियंत्रण के रूप में)] वर्षों की संख्या।
परिणाम एवं विवेचना
संग्रह किए गए मिट्टी के नमूनों की अम्लता तथा विद्युतीय चालकता क्रमशः 7.1 से 8.8 और 27-118 S/cm पायी गई। परिणाम यह दर्शाते हैं कि बालू के टीले के मिट्टी क्षारीय है तथा इसकी उर्वरता क्षमता कम है। वृक्ष रहित बालू के टीले की तुलना में नए एवं पुराने कैजुआरिना वृक्षारोपण के अंतर्गत मृदा कार्बनिक कार्बन में बहुत अधिक विविधता देखी गई। वृक्ष रहित बालू के टीले को छोड़कर, उपसतही मृदा की तुलना में सतही मृदा में कार्बनिक कार्बन अधिक पाया गया। पुराने कैजुआरिना वृक्षों के निकट सतही मृदा में कार्बनिक कार्बन (3.1 प्रतिशत) सर्वाधिक पाया गया और वृक्ष रहित बालू के टीले की सतही मृदा में कार्बनिक कार्बन सर्वनिम्न (0.2 प्रतिशत) पाया गया।
वृक्ष रहित बालू के टीले की तुलना में नए एवं पुराने कैजुआरिना वृक्षारोपण के अंतर्गत मृदा कार्बनिक कार्बन में क्रमशः 10 और 15 गुणा अधिक देखा गया। पुराने कैजुआरिना वृक्षारोपण के अंतर्गत उच्चतर कार्बन संचयन की वजह से कैजुआरिना वृक्षारोपण से तृणशय्या के उत्पादन में अंतर के कारण यह विविधता देखी गई। इसी तरह वृक्ष रहित बालू के टीले की उप मृदा की तुलना में कैजुआरिना वृक्षारोपण के अंतर्गत उप मृदा में कार्बनिक कार्बन के अवयव 3 से 4 गुणा अधिक पाया गया (चित्र 2)। नए वृक्षारोपण की तुलना में पुराने कैजुआरिना वृक्षारोपण के अंतर्गत कैजुआरिना के निकट और उसके बीच में मृदा कार्बनिक कार्बन में अधिक विभिन्नता पायी गई। कैजुआरिना वृक्षारोपण के अंतर्गत सतही और उपसतही मृदा में कुल कार्बनिक कार्बन का अवयव प्रति हेक्टेयर क्रमशः 25.8-58.8 और 12.1-25.7 टन प्रति हेक्टेयर के बीच आकलित किया गया। दक्षिण चीन में 10 वर्ष की आयु वाले सोनेरेटिया अपेटाला वृक्ष में इसी स्तर के सतही मृदा कार्बन के भण्डार का उल्लेख है। यद्यपि, पुराने कैजुआरिना वृक्षारोपण के अंतर्गत कुल कार्बनिक कार्बन का अवयव सर्वाधिक पाया गया था परन्तु नए कैजुआरिना वृक्षारोपण के निकट कार्बन संचयन की दर सर्वाधिक (4.3 टन प्रति वर्ष) पाई गई। उपसतही मृदा में कार्बन संचयन की दर 0.59-1.02 टन प्रति वर्ष के बीच है (सारणी 1)।
यह अध्ययन विभिन्न आयु (2-3 और 8-10 वर्ष) केे कैजुआरिना वृक्षारोपण के अंतर्गत मृदा कार्बन संचयन कुल कार्बन (टन प्रति हेक्टेयर) और कार्बन संचयन दर (टन प्रति वर्ष) के साथ-साथ वृक्ष रहित बालू के टीले के बारे में संबद्ध सूचना प्रदान करता है और उल्लेखनीय विविधता को दर्शाता है जो मुख्यतः वृक्षों की आयु, तृण शैय्या (वृक्षों के निकट और उनके बीच) और मृदा की गहराई से मुख्यतः प्रभावित है। इस अध्ययन से तटीय रेखा के तटीय बालू के टीले में वृहत पैमाने पर कैजुआरिना के रोपण द्वारा मृदा में अधिक कार्बन संचयन की सम्भावना देखी गई। उपर्युक्त अध्ययन में कार्बन गतिकी के मूल्यांकन में कार्बन रिसाव के आकलन के लिये दीर्घकालीन शोध अध्ययन की आवश्यकता है जो तटीय बालू मृदा प्रणाली में अत्यधिक कार्बन संचयन हेतु वृक्षारोपण प्रबंधन में मार्गदर्शन करेगा।
आभार
इस शोध पत्र के लेखकगण प्रो.बी.के. मिश्र निदेशक, सीएसआइआर-खनिज एवं पदार्थ प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर को उनके सहयोग के लिये कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।
संदर्भ
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सम्पर्क
मनीष कुमार, सी.आर.पाण्डा, अविनाश पाणिग्राही, मो.जमीर अहमद एवं संघमित्रा महापात्रा, Manish Kumar, CR Panda, Avinash Panigrahi, Md Jamir Ahemad & Sanghamitra Mohapatra
पर्यावरण एवं सम्पोषण विभाग, सीएसआईआर-खनिज एवं पदार्थ प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर 751013, Environment and Sustainability Department