‘राष्ट्रीय जल नीति 2002’ के दस साल बाद ‘राष्ट्रीय जल नीति 2012’ का मसौदा प्रारूप लोगों की टिप्पणियों और सुझाव के लिए रखा गया है। केंद्र सरकार ‘राष्ट्रीय जल नीति 2012’ को अंतिम रूप देने से पहले सभी की राय लेना चाहती है। पानी जैसे तेजी से घट रहे प्राकृतिक संसाधन के उपयोग के प्रति लोगों को जिम्मेदारी का एहसास मसौदे की प्राथमिकता है इसको मानते हुए सरकार ने समाज के सक्षम तबकों को जल के उपयोग के बदले तर्कपूर्ण दर पर भुगतान की बात कही है।
‘राष्ट्रीय जल नीति 2012’ चेताती है कि पानी का असमान वितरण सामाजिक अशांति का सबब बन सकता है। मसौदे में स्पष्ट माना गया है कि देश का एक बड़ा हिस्सा पानी के संकट से जूझ रहा है। बढ़ती आबादी, शहरीकरण और बदलती जीवनशैली में पानी की मांग बढ़ रही है जो कि जल सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है।
पर्यावरणीय परिवर्तनों से जल पर पड़ने वाले प्रभाव इस नये मसौदे में काफी प्रमुखता से उठाये गए हैं। समुद्र सतह के बढ़ते स्तर, भूमिगत जल और सतह के जलस्रोतों का खारा होना, तटों का डूबना और बारिश की मात्रा में विभिन्नताओं के साथ ही बाढ़ और जमीन के कटाव तथा सूखे की समस्या आदि बातें मसौदे में प्राथमिकता के आधार पर कही गई हैं।
1. लोगों का मानना है कि ‘राष्ट्रीय जल नीति 2012’ आम लोगों को लक्ष्य में रखकर नहीं बनाई गई। बल्कि उद्योग क्षेत्र को आसानी से पानी मुहैया कराना है।
2. मसौदे में कृषि और घरेलू क्षेत्रों को पानी सप्लाई करने में हर तरह की सब्सिडी खत्म करने की बात कही गई है। जबकि पानी के ट्रीटमेंट पर निजी उद्योगों को सब्सिडी देने की बात कही गई है।
3. भूजल के संरक्षण और विनियमन पर पर्याप्त जोर नहीं है। जबकि भूजल ही इस देश की जीवन रेखा है।
4. नदियों, तालाबों के बारे में मसौदा कोई स्पष्ट समझ और नीति नहीं रख पाता है।
यहां अग्रेजी और हिन्दी में ‘राष्ट्रीय जल नीति 2012’ मसौदे का प्रारूप संलग्न है। कृपया पढ़ने के लिए डाउनलोड करें।
राष्ट्रीय जलनीति 2012 का मसौदा जलसंसाधन मंत्रालय की वेबसाइट http://wrmin.nic.in पर जारी किया गया है। इस वेबसाइट पर ऑनलाइन टिप्पणी या सुझाव पोस्ट करने की सुविधा दे दी गई है। राष्ट्रीय जलनीति 2012 के मसौदे पर सुझाव और टिप्पणियां nwp2012-mowt@nic.in पर मेल भी की जा सकती हैं।
‘राष्ट्रीय जल नीति 2012’ चेताती है कि पानी का असमान वितरण सामाजिक अशांति का सबब बन सकता है। मसौदे में स्पष्ट माना गया है कि देश का एक बड़ा हिस्सा पानी के संकट से जूझ रहा है। बढ़ती आबादी, शहरीकरण और बदलती जीवनशैली में पानी की मांग बढ़ रही है जो कि जल सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है।
पर्यावरणीय परिवर्तनों से जल पर पड़ने वाले प्रभाव इस नये मसौदे में काफी प्रमुखता से उठाये गए हैं। समुद्र सतह के बढ़ते स्तर, भूमिगत जल और सतह के जलस्रोतों का खारा होना, तटों का डूबना और बारिश की मात्रा में विभिन्नताओं के साथ ही बाढ़ और जमीन के कटाव तथा सूखे की समस्या आदि बातें मसौदे में प्राथमिकता के आधार पर कही गई हैं।
केंद्र सरकार की ‘राष्ट्रीय जल नीति 2012’ पर फिलहाल तो कई प्रश्न उठने शुरू हो चुके हैं
1. लोगों का मानना है कि ‘राष्ट्रीय जल नीति 2012’ आम लोगों को लक्ष्य में रखकर नहीं बनाई गई। बल्कि उद्योग क्षेत्र को आसानी से पानी मुहैया कराना है।
2. मसौदे में कृषि और घरेलू क्षेत्रों को पानी सप्लाई करने में हर तरह की सब्सिडी खत्म करने की बात कही गई है। जबकि पानी के ट्रीटमेंट पर निजी उद्योगों को सब्सिडी देने की बात कही गई है।
3. भूजल के संरक्षण और विनियमन पर पर्याप्त जोर नहीं है। जबकि भूजल ही इस देश की जीवन रेखा है।
4. नदियों, तालाबों के बारे में मसौदा कोई स्पष्ट समझ और नीति नहीं रख पाता है।
20 फरवरी 2012 तक आप अपनी टिप्पणियां और सुझाव मसौदे का प्रारूप पढ़कर अवश्य दें।
यहां अग्रेजी और हिन्दी में ‘राष्ट्रीय जल नीति 2012’ मसौदे का प्रारूप संलग्न है। कृपया पढ़ने के लिए डाउनलोड करें।
राष्ट्रीय जलनीति 2012 का मसौदा जलसंसाधन मंत्रालय की वेबसाइट http://wrmin.nic.in पर जारी किया गया है। इस वेबसाइट पर ऑनलाइन टिप्पणी या सुझाव पोस्ट करने की सुविधा दे दी गई है। राष्ट्रीय जलनीति 2012 के मसौदे पर सुझाव और टिप्पणियां nwp2012-mowt@nic.in पर मेल भी की जा सकती हैं।