राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अन्तर्गत, अगले तीन सालों में 1345 रासायनिक प्रयोगशालाओं की मदद से, 14.5 करोड़ किसानों के खेतों की मिट्टी की जाँच की जाएगी। योजना पर होने वाले खर्च की 75 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार वहन करेगी। योजना के अन्तगर्त मिट्टी का पी.एच मान, सल्फर, जिंक, नाइट्रोजन, लोहा, फास्फोरस, पोटाश और मैंगनीज की मात्रा ज्ञात कर किसान को बताया जाएगा कि उसके खेत की मिट्टी को किस चीज की आवश्यकता है। फसल की आवश्यकता के आधार पर सन्तुलित मात्रा में रासायनिक खाद डाली जाएगी। सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था से खेतों में अधिक खाद डालने की पृवत्ति पर रोक लगेगी और सन्तुलित मात्रा में खाद डालने से मिट्टी खराब नहीं होगी।
बीज धरती की कोख में जन्म लेता है। उसकी वृद्धि में मिट्टी, पोषक तत्व, हवा और पानी अपनी-अपनी भूमिका का निर्वाह करते हैं। उसका और उत्पादों का फुड-चेन से सम्बन्ध है। इसलिये आवश्यक है कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का दायरा बढ़ाया जाए। उसे राष्ट्रीय समग्र स्वास्थ्य कार्ड का नाम दिया जाए। उसके अन्तर्गत निम्न जानकारियाँ भी दी जाएँ-
1. रासायनिक फसल उत्पादों के सेवन से कौन-कौन सी बीमारियों का खतरा है? समग्र स्वास्थ्य कार्ड में उन घटकों और बीमारियों से बचने के लिये सावधानियों का उल्लेख हो।
2. सन्तुलित खाद और कीटनाशकों के कारण प्रदूषित हुए भूजल में कौन-कौन सी बीमारियों की सम्भावना का खतरा बढ़ गया है? समग्र स्वास्थ्य कार्ड में उन रसायनों और प्रभावित भूजल के उपयोग से होने वाली बीमारियों से बचने के लिये सावधानियों का उल्लेख हो।
3. प्रदूषित भूजल के कारण नदियों के पानी में कौन कौन सी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है? समग्र स्वास्थ्य कार्ड में खतरनाक तत्वों और नदी जल के उपयोग से होने वाली बीमारियों से बचने के लिये सावधानियों का उल्लेख हो।
4. राष्ट्रीय समग्र स्वास्थ्य कार्ड में स्थानीय तथा समय-समय पर हाने वाली बीमारियों का उल्लेख हो ताकि सुरक्षात्मक कदम उठाना सम्भव हो।
लेखक