Source
राजस्थान पत्रिका, 08 अक्टूबर 2014
ट्रेंचिंग ग्राउंड पर लग रहा 700 टन कचरे का ढेर
कचरे को लेकर हाई कोर्ट की लगातार फटकार खा रहा नगर निगम प्रशासन इसके ट्रीटमेंट को लेकर फेल हो रहा है। निगम के पास कचरे के ट्रीटमेंट को लेकर कोई ठोस प्लान नहीं है। ट्रेचिंग ग्राउंड पर एक प्लांट है, जिसमें 500 टन कचरे का ट्रीटमेंट होता है, जबकि शहर से रोज 1200 टन कचरा निकलता है। यानी 700 टन कचरा हर दिन ढेर के रूप में एकत्र हो रहा है। कचरा प्रबंधन का ठेका निगम ने एटूजेड कंपनी को दे रखा है। कचरा उठाने से लेकर उसके ट्रीटमेंट का काम कंपनी करती है। कचरा प्रबंधन के पुख्ते इंतजाम का दावा निगम करता रहा है, लेकिन सच्चाई यह है शहर से उठने वाले कचरे और ट्रीटमेंट होने वाले कचरे में 700 टन का अंतर है।
ट्रेंचिंग ग्राउंड करीब 100 एकड़ में फैला है, लेकिन हाल यह है दूर क कचरे के ढेर नजर आते हैं। रोज इतना कचरा निकलता है कि महीनों से पड़े कचरे का ट्रीटमेंट ही नहीं हो पाता। कई कचरे के ढेरों पर तो पेड़ उग आए हैं। इनको देखकर यह पता नहीं लगाया जा सकता कि ये कचरे के ढेर हैं या पहाड़ी।
कचरा प्रबंधन को लेकर 2004 के पहले निगम के पास प्लान नहीं था। केंद्र सरकार ने जेएनएनयूआरएम के तहत कचरा प्रबंधन को लिया तो निगम ने 500 टन कचरे का प्रोजेक्ट भेजा। 2004 में शहर से 490 टन कचरा निकल रहा था। केंद्र 2007-2008 में प्रोजेक्ट मंजूर किया तो शहर से उठने वाला कचरा 700 टन हो गया था, लेकिन प्रोजेक्ट 500 टन का ही मंजूर हुआ। समय के साथ कचरा बढ़ा, लेकिन निगम ने इसके ट्रीटमेंट को लेकर कोई उपाय नहीं किए।
जितना कचरा उठ रहा है, उसका ट्रीटमेंट नहीं हो रहा है। आने वाले दिनों में कचरे की मात्रा बढ़ेगी, जिसके ट्रीटमेंट के लिए बड़ा सिस्टम खड़ा करना होगा। जल्द घोषणा की जाएगी। -सुरेंद्र कथुरिया, अपर आयुक्त, नगर निगम
निगम कचरा उठा रहा है, लेकिन ट्रीटमेंट का ठोस प्लान नहीं है। जो ट्रीटमेंट प्लांट लगा है, लेकिन उसका प्लान 1999 में किया गया था। आबादी में बड़ा अंतर आ गया है। रिसाइकल करने का भी प्लान नहीं है। -किशोर कोडवानी, याचिकाकर्ता
कचरे को लेकर हाई कोर्ट की लगातार फटकार खा रहा नगर निगम प्रशासन इसके ट्रीटमेंट को लेकर फेल हो रहा है। निगम के पास कचरे के ट्रीटमेंट को लेकर कोई ठोस प्लान नहीं है। ट्रेचिंग ग्राउंड पर एक प्लांट है, जिसमें 500 टन कचरे का ट्रीटमेंट होता है, जबकि शहर से रोज 1200 टन कचरा निकलता है। यानी 700 टन कचरा हर दिन ढेर के रूप में एकत्र हो रहा है। कचरा प्रबंधन का ठेका निगम ने एटूजेड कंपनी को दे रखा है। कचरा उठाने से लेकर उसके ट्रीटमेंट का काम कंपनी करती है। कचरा प्रबंधन के पुख्ते इंतजाम का दावा निगम करता रहा है, लेकिन सच्चाई यह है शहर से उठने वाले कचरे और ट्रीटमेंट होने वाले कचरे में 700 टन का अंतर है।
कचरे के ढेरों पर उग आए पेड़
ट्रेंचिंग ग्राउंड करीब 100 एकड़ में फैला है, लेकिन हाल यह है दूर क कचरे के ढेर नजर आते हैं। रोज इतना कचरा निकलता है कि महीनों से पड़े कचरे का ट्रीटमेंट ही नहीं हो पाता। कई कचरे के ढेरों पर तो पेड़ उग आए हैं। इनको देखकर यह पता नहीं लगाया जा सकता कि ये कचरे के ढेर हैं या पहाड़ी।
2004 की आबादी के हिसाब से प्लांट
कचरा प्रबंधन को लेकर 2004 के पहले निगम के पास प्लान नहीं था। केंद्र सरकार ने जेएनएनयूआरएम के तहत कचरा प्रबंधन को लिया तो निगम ने 500 टन कचरे का प्रोजेक्ट भेजा। 2004 में शहर से 490 टन कचरा निकल रहा था। केंद्र 2007-2008 में प्रोजेक्ट मंजूर किया तो शहर से उठने वाला कचरा 700 टन हो गया था, लेकिन प्रोजेक्ट 500 टन का ही मंजूर हुआ। समय के साथ कचरा बढ़ा, लेकिन निगम ने इसके ट्रीटमेंट को लेकर कोई उपाय नहीं किए।
बड़े प्लांट पर फैसला जल्द
जितना कचरा उठ रहा है, उसका ट्रीटमेंट नहीं हो रहा है। आने वाले दिनों में कचरे की मात्रा बढ़ेगी, जिसके ट्रीटमेंट के लिए बड़ा सिस्टम खड़ा करना होगा। जल्द घोषणा की जाएगी। -सुरेंद्र कथुरिया, अपर आयुक्त, नगर निगम
रिसाइकिलिंग प्लान नहीं
निगम कचरा उठा रहा है, लेकिन ट्रीटमेंट का ठोस प्लान नहीं है। जो ट्रीटमेंट प्लांट लगा है, लेकिन उसका प्लान 1999 में किया गया था। आबादी में बड़ा अंतर आ गया है। रिसाइकल करने का भी प्लान नहीं है। -किशोर कोडवानी, याचिकाकर्ता