सागर समीर (Sea breeze)

Submitted by Hindi on Mon, 05/16/2011 - 15:04
स्थल तथा सागर के असमान ऊष्णन के कारण सागर तटीय (सागर के समीपवर्ती भागों) में सागर से स्थल की ओर मंदगति से चलने वाली दैनिक हवाएं। दिन में स्थलीय भाग सूर्यातप से शीघ्र गर्म हो जाता है जिससे स्थल पर निम्नदाब क्षेत्र बन जाता है जबकि सागर पर उच्चदाब रहता है। अतः सागर की ओर से स्थल की ओर पवन का मंद संचार होने लगता है। सागर समीर का संचार सामान्यतः दोपहर के पहले आरंभ हो जाता है और रात्रि लगभग 8 बजे तक समाप्त हो जाता है। उष्ण कटिबंध (निम्न अक्षांशों) में सागर समीर प्रायः वर्ष भर चलती है किन्तु मध्य अक्षांशों में इनकी उत्पत्ति मुख्यतः ग्रीष्मऋतु में होती है. मध्य अक्षांशों में ये समीरें स्थलीय भाग में तट से 15 से 50 किमी. भीतर तक चलती हैं जबकि निम्न अक्षांशों में ये 50 से 60 किमी. दूरी तक पहुँच जाती है। इसी प्रकार मध्य अक्षांशों में इनकी गति सामान्यतः 10 से 20 किमी. प्रति घंटा होती है जबकि उष्णकटिबंध में इनकी गति 30 से 40 किमी. प्रतिघंटा तक पायी जाती है।

अन्य स्रोतों से




वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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