अभी तीन साल पहले तक यानी सन् 1999 तक हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले स्थित राजगढ़ से 30 किलोंमीटर की दूरी पर शरगांव अन्य गांवों की तरह पिछड़ा था, जहां के सरकारी नौकरी-पेशे वाले लोग ही चैन की नींद सोते थे। बाकी गांववालों के पास सिंचाई के लिए पानी का काफी अभाव बना रहता था। इसके फलस्वरूप यहां के लोग काम की तलाश में अन्य शहरों की ओर पलायन करने को बाध्य हुए। लेकिन, जब गांव वालों ने यहां पानी का काम किया, तो यहां के लोगों की जैसे तकदीर ही बदल गई। आज ये नेपाल से आए लोगों को खेतों के काम में लगा रहे हैं।
यह स्थिति तब से बननी शुरू हुई जब यहां के एक ग्रामवासी सुरेश कुमार को लगा कि वर्षा जल का तो काफी महत्व है। परन्तु पानी इकट्ठा करने की समस्या के कारण वे इसका उपयोग कर पाने में असक्षम थे। इसी बीच उन्हें रूरल सेंटर फॉर ह्यूमन इंटरेस्ट (रुचि) का पता चला, जो इस क्षेत्र में वर्षा जल संग्रहण को प्रोत्साहित करने में जुटी हुई एक गैर सरकारी संस्था है। सुरेश ने उनसे सम्पर्क किया और अपने गांव में टैंकों के निर्माण का फैसला किया, जिससे सिंचाई के पानी की समस्या का समाधान निकल सके। पंचायत भी मदद के लिए आगे आई और सरकार से अनुदान मिला। अंतत: इस गांव की कृषि जमीन के निकट टैंक बनाए गए, जिसमें सिंचाई के लिए पानी वर्षाजल से जमा होता है। इसके नीचे एक नदी है, जिसके पानी का स्तर भी जोहड़ों के निर्माण से ऊपर उठा है और पानी के अभाव के समय पम्प के जरिए इसके पानी को ऊपर खींचा जाता है, जिससे कृषि कार्य जारी रहे।
जल पंढाल समिति के प्रधान उमादत्त शर्मा ने बताया कि “हमने पानी का काम करने के लिए एक बैठक बुलाई और फिर सरकार से गुजारिश की। सरकार ने इसे गंभीरता से लिया और हमें पैसा मिल गया और इस प्रकार हमारा काम पूरा हुआ। इस गांव में किए गए कामों के अच्छे परिणाम आने लगे। ‘रूचि’ ने भी जरूरत के समय अपना योगदान दिया।“ यहां के एक ग्रामवासी वेद प्रकाश ने बड़ी खुशी-खुशी बताया कि, “मेरे पास 10 बीघा जमीन है और पहले मुझे इससे कोई फायदा नहीं पहुंचता था, लेकिन इस साल मुझे कृषि से लगभग एक लाख रुपए का फायदा होगा,” उन्होंने आगे बताया कि, “हमारे गांव में मानसिंह के पास सबसे ज्यादा जमीन है यानी 20 बीघा जमीन है और उनकी भी इस साल करीब 2 लाख रुपए की कमाई होगी। पानी के काम में सिर्फ 3 लाख के निवेश भर से इस साल हमारे गांव की कुल आमदनी 20 लाख रुपए तक बढ़ जाएगी।“
इस सफलता के बाद गांव वाले कृषि और नई-नई तकनीकों को लाने के लिए उत्साहित हुए हैं। अब वे ड्रिप सिंचाई की योजना बना रहे हैं, जिससे वे ज्यादा से ज्यादा कमाई और पेड़-पौधों की रक्षा कर सकें। सुरेश ने बताया कि, “आज हमारे सभी गांवों के लोग अपने बच्चों की शिक्षा के बारे में सोंचने लगे हैं। अब हमें कृषि की नई तकनीकी की जरूरत है। अगर इसमें हमारी कोई मदद करता है, तो उसका स्वागत है।“
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: सुरेश कुमार ग्राम शरगांव, तहसील राजगढ़ जिला राजगढ़, हिमाचल प्रदेश
यह स्थिति तब से बननी शुरू हुई जब यहां के एक ग्रामवासी सुरेश कुमार को लगा कि वर्षा जल का तो काफी महत्व है। परन्तु पानी इकट्ठा करने की समस्या के कारण वे इसका उपयोग कर पाने में असक्षम थे। इसी बीच उन्हें रूरल सेंटर फॉर ह्यूमन इंटरेस्ट (रुचि) का पता चला, जो इस क्षेत्र में वर्षा जल संग्रहण को प्रोत्साहित करने में जुटी हुई एक गैर सरकारी संस्था है। सुरेश ने उनसे सम्पर्क किया और अपने गांव में टैंकों के निर्माण का फैसला किया, जिससे सिंचाई के पानी की समस्या का समाधान निकल सके। पंचायत भी मदद के लिए आगे आई और सरकार से अनुदान मिला। अंतत: इस गांव की कृषि जमीन के निकट टैंक बनाए गए, जिसमें सिंचाई के लिए पानी वर्षाजल से जमा होता है। इसके नीचे एक नदी है, जिसके पानी का स्तर भी जोहड़ों के निर्माण से ऊपर उठा है और पानी के अभाव के समय पम्प के जरिए इसके पानी को ऊपर खींचा जाता है, जिससे कृषि कार्य जारी रहे।
जल पंढाल समिति के प्रधान उमादत्त शर्मा ने बताया कि “हमने पानी का काम करने के लिए एक बैठक बुलाई और फिर सरकार से गुजारिश की। सरकार ने इसे गंभीरता से लिया और हमें पैसा मिल गया और इस प्रकार हमारा काम पूरा हुआ। इस गांव में किए गए कामों के अच्छे परिणाम आने लगे। ‘रूचि’ ने भी जरूरत के समय अपना योगदान दिया।“ यहां के एक ग्रामवासी वेद प्रकाश ने बड़ी खुशी-खुशी बताया कि, “मेरे पास 10 बीघा जमीन है और पहले मुझे इससे कोई फायदा नहीं पहुंचता था, लेकिन इस साल मुझे कृषि से लगभग एक लाख रुपए का फायदा होगा,” उन्होंने आगे बताया कि, “हमारे गांव में मानसिंह के पास सबसे ज्यादा जमीन है यानी 20 बीघा जमीन है और उनकी भी इस साल करीब 2 लाख रुपए की कमाई होगी। पानी के काम में सिर्फ 3 लाख के निवेश भर से इस साल हमारे गांव की कुल आमदनी 20 लाख रुपए तक बढ़ जाएगी।“
इस सफलता के बाद गांव वाले कृषि और नई-नई तकनीकों को लाने के लिए उत्साहित हुए हैं। अब वे ड्रिप सिंचाई की योजना बना रहे हैं, जिससे वे ज्यादा से ज्यादा कमाई और पेड़-पौधों की रक्षा कर सकें। सुरेश ने बताया कि, “आज हमारे सभी गांवों के लोग अपने बच्चों की शिक्षा के बारे में सोंचने लगे हैं। अब हमें कृषि की नई तकनीकी की जरूरत है। अगर इसमें हमारी कोई मदद करता है, तो उसका स्वागत है।“
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: सुरेश कुमार ग्राम शरगांव, तहसील राजगढ़ जिला राजगढ़, हिमाचल प्रदेश