तालाब: कश्मीर की लुप्तप्राय विरासत

Submitted by editorial on Sun, 07/22/2018 - 19:02

खराब रख-रखाव, जनसंख्या के बढ़ते दबाव के साथ ही नए बसाव स्थलों की जरुरत ने कश्मीर में तालाबों को मारने का काम किया है। इन्हीं वजहों के कारण तालाब खत्म होते जा रहे हैं जो पारिस्थितिकी संरक्षण दृष्टिकोण से काफी महत्त्वपूर्ण हैं। अब सवाल है कि क्या हम किसी आपदा का इन्तजार कर रहे है? तालाबों की इस दशा के लिये कौन जिम्मेवार है?

अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिये मशहूर कश्मीर, प्राकृतिक जल-स्रोतों जैसे नदियों, जल धाराओं, झरनों, पारम्परिक कुओं और सांस्कृतिक तालाबों के लिये भी प्रसिद्ध रहा है। एक समय था जब इनके प्राकृतिक स्वरूप पर कोई भी मानवीय दखलअन्दाजी नहीं थी। कश्मीर के लोग इनका इस्तेमाल अपनी स्वार्थ सिद्धि या फायदे के लिये नहीं करते थे। वे तो बस परोपकारी अनुभूतियों से भरे हुए थे। यहाँ अब तालाबों की वो अहमियत नहीं रही जो हुआ करती थी।

तालाबों से कश्मीरी बहुत लाभान्वित हुए हैं लेकिन अब ये उपेक्षा के शिकार हो गए हैं। इन्हें कश्मीर की स्थानीय भाषा में ‘सर’ कहा जाता है। ये ठहरे हुए पानी से भरे होते हैं। कभी-कभी इनका निर्माण प्राकृतिक रूप से परन्तु अधिकांशतः मानव निर्मित होता है और ये झरनों से छोटे होते हैं। ये बाढ़ के मैदान में या नदी के प्रभाव क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से विकसित हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त इनका निर्माण भूरूपान्तरण (geomorphological) की प्रक्रिया के तहत निर्मित हुए छिछले गड्ढों के रूप में भी होता है जिससे दलदल पैदा होते हैं और ये पानी में रहने वाले जीवों, पेड़-पौधों के वास स्थल बन जाते हैं।

तालाब बाढ़ के दिनों में एक वृहत जल भंडार में तब्दील हो जाते हैं। इस तरह तालाब के आस-पास के क्षेत्रों में भूजल संवर्धन, मिट्टी में नमी के साथ ही उसकी उत्पादकता में भी गुणात्मक विकास होता है। बरसात के दिनों में खड़ी ढाल वाले क्षेत्रों में पानी का बहाव तेज रहता है और इसके प्रभाव क्षेत्र में चिकनी मिट्टी की मौजूदगी के कारण वर्षा के पानी का रिसाव नीचे नहीं हो पाता, जिससे भूजल रिचार्ज नहीं हो पाता है। तालाब, पानी में विकसित होने वाले जीवों और वनस्पतियों के वास स्थल होने के अतिरिक्त गर्मी के दिनों में बफर स्टॉक का काम भी करतें हैं। आज से दो दशक पहले लोगों के जीवन में तालाबों की बहुत अहमियत थी। वे पानी की रोजमर्रा की जरूरतों, घरेलू कार्यों के अतिरिक्त कृषि से जुड़े कार्यों के लिये भी पूरी तरह से इन पर निर्भर होते थे।

जाड़े के दिनों में वाटर सप्लाई का पाइप जम जाता है तब लोग तालाब के पानी का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा तालाब के पानी का इस्तेमाल उस समय भी बढ़ जाता है जब पानी की किल्लत होती है। इतना ही नहीं ऐसे भी कई मौके आए हैं जब तालाब ने लोगों को अकाल और आग से भी बचाया है। कश्मीर में तालाबों का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व होने के साथ ही ये वहाँ की विरासत भी हैं। ऐसे कई अवसर आए होंगे जब आपने देखा होगा कि किसी तालाब के किनारे औरतों का ताँता लगा है और वे अपने सिर पर पानी से भरे मिट्टी का घड़ा लिये झुण्ड में रास्तों से गुजर रहीं हैं।

यह समय उनके लिये खास होता है क्योंकि यही वह वक्त होता है जब वे एक-दूसरे से अपनी बातें शेयर करती हैं। यह समय उनके बीच के जुड़ाव को मजबूत बनाता है तथा प्यार और सौहार्द का माहौल कायम करता है। इस तरह तालाब एक-दूसरे के बीच जन सम्पर्क का भी आधार होते है जिसके माध्यम से लोग एक-दूसरे से सुख और दुख बाँटते हैं। लोग तालाब का इस्तेमाल नहाने और तैरने के लिये भी करते हैं। ऐसे गाँवों को जिनमें कई तालाब होते हैं उन्हें अक्सर ‘सर गाँव’ के नाम से जाना जाता है। गाँवों में कुछ ऐसे तालाब भी होते हैं जिनमें पानी नहीं होता और उनका इस्तेमाल पशुओं के चरागाह के रूप में किया जाता है। यहाँ के ऐतिहासिक महलों में बने कई तालाब ऐसे भी हैं जिन्हें राज्य के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा मुगलों के काल का बताया गया है।

कश्मीर से खत्म होते तालाब

एक ऐसा भी समय था जब तालाब कश्मीर के ग्रामीण जीवन का अभिन्न अंग थे। लेकिन अब ये अपना महत्व खो चुके हैं जिसका सबसे बड़ा कारण शहरीकरण है। तेजी से होने वाले शहरीकरण ने इन पारम्परिक तालाबों को धीरे-धीरे खत्म कर दिया है। लोगों द्वारा किये गए अतिक्रमण के अलावा चाहे बड़े सरकारी भवन, स्कूल या खेलने के मैदान हों सभी इन्हीं तालाबों की जमीन पर विकसित किये गए हैं।

तालाबों में डाली जाने वाली मिट्टी और मलबे के अतिरिक्त घरेलू और विभिन्न प्रकार के रासायनिक कचरे ने केवल इन्हें ही खत्म नहीं किया बल्कि इनमें रहने वाले जीव-जन्तुओं के साथ ही भूजल को भी प्रदूषित कर दिया है। तालाबों के अतिक्रमण ने बत्तख और हंस आदि की संख्या को भी काफी कम कर दिया है जो कभी कश्मीर में बड़ी मात्रा में पाए जाते थे। शहरों से सटे इलाकों में अभी भी कुछ तालाब बचे तो हैं लेकिन अब उनका शायद ही इस्तेमाल होता है। इनकी देख-रेख के लिये जिम्मेवार सरकारी महकमों की उदासीनता ने तालाबों को बहुत नुकसान पहुँचाया है।

खराब रख-रखाव, जनसंख्या के बढ़ते दबाव के साथ ही नए बसाव स्थलों की जरुरत ने कश्मीर में तालाबों को मारने का काम किया है। इन्हीं वजहों के कारण तालाब खत्म होते जा रहे हैं जो पारिस्थितिकी संरक्षण दृष्टिकोण से काफी महत्त्वपूर्ण हैं। अब सवाल है कि क्या हम किसी आपदा का इन्तजार कर रहे है? तालाबों की इस दशा के लिये कौन जिम्मेवार है? किस पर आरोप लगाया जाना चाहिए? क्या आप अपना उत्तरदायित्व भूल गए हैं और तालाबों की बदहाली के मूक दर्शक बने हुए हैं? या सरकार चुप है?

प्रबन्धन

ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहे हैं, वर्षा की मात्रा में भी कमी आ रही है जबकि जनसंख्या के बढ़ने के कारण पानी की माँग में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है। इन तथ्यों पर गौर करने पर यह आवश्यक हो जाता है कि तालाबों का संरक्षण के लिये पर्याप्त कदम उठाये जाएँ। चूँकि इस समस्या के लिये समुदाय भी जिम्मेवार हैं इसीलिये उन्हें भी मर चुके तालाबों को पुनर्जीवित करने और बचे हुए तालाबों के संवर्धन के लिये प्रयास करने चाहिए। इसके लिये बड़े स्तर पर जागरुकता अभियान चलाये जाने की जरुरत है। मैं सरकार से भी यह आग्रह करता हूँ कि तालाबों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने के लिये ठोस कदम उठाये क्योंकि ये हमारे जीवन का आधार हैं।

तालाबों के संरक्षण के लिये उत्तरदायी विभाग द्वारा एक लिस्ट तैयार की जानी चाहिए ताकि उनके पुनर्जीवन और संवर्धन के कार्य को प्रभावी तरीके से मॉनिटर किया जा सके। तालाबों के चारों तरफ लोहे के ग्रिल की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि उन्हें संरक्षित किया जा सके। इसके अलावा ऐसे चैनल्स की भी व्यवस्था की जानी चाहिए जिनकी सहायता से तालाब में साफ पानी आ सके और गन्दे पानी को निकाला जा सके। इन दिनों भारत सरकार कृत्रिम तालाबों के निर्माण के लिये एक स्कीम चला रही है जिसका उद्देश्य भूजल को संवर्धित करना है। ऐसी ही स्कीम तालाबों को पुर्नजीवित करने के लिये भी चलाई जानी चाहिए। नहीं तो वह दिन दूर नहीं है जब जल संरक्षण की इस बेहतरीन तकनीक का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा और हमारे पास पछताने के सिवा और कुछ नहीं रह जाएगा।

 

 

 

 

TAGS

kashmir state of ponds in Hindi, rejuvenation of ponds in Hindi, management of ponds in Hindi, sign of social harmony in Hindi