तालाबों, पोखरों पर बसीं कॉलोनियाँ डेंजर जोन में

Submitted by birendrakrgupta on Thu, 04/30/2015 - 14:27
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डेली न्यूज एक्टिविस्ट, 29 अप्रैल 2015
.लखनऊ। आज से लगभग पाँच वर्ष पहले तक राजधानी में कुल 12653 पोखर, तालाब, झील, वाटर रिजरवायर और कुएँ थे। जिसमें से 3793 पर अब अवैध कब्जे हो गए हैं। भू-माफियाओं और बिल्डरों ने इन्हें पाट दिया है। अब यहाँ बहुमंजिला भवन और मकान खड़े हैं। लेकिन तालाबों, पोखरों और झीलों को पाटकर बसाए गए इन कंक्रीट के भवनों में रहने वाले कम ही लोगों को पता है कि वो डेंजर जोन में बसे हैं। भूगर्भ वैज्ञानिक और जानकार बताते हैं कि अगर लखनऊ में नेपाल जैसी त्रासदी हुई, तो तालाबों, झीलों और पोखरों की जमीनों पर बनाए गए आशियाने सबसे पहले ढहेंगे।

जिला प्रशासन तालाबों से अवैध कब्जे हटाने में लगा हुआ है। अब तक काफी संख्या में तालाबों से कब्जे हटाए गए हैं। अन्य तालाबों से कब्जे हटाने का काम चल रहा है। आर.के. पाण्डेय एडीएम प्रशासनराजधानी की चारों तहसीलों में स्थित जिन हाजारों तालाबों, पोखरों और झीलों को पाटकर बिल्डरों और भू-माफियाओं ने जो मकान, अपार्टमेण्ट बनाए हैं उसमें उन्होंने तो खूब मालाई काटी है लेकिन लाखों लोगों की जिन्दगियाँ हमेशा दाँव पर होगी। स्थिति ये है कि इन स्थानों से अवैध कब्जे भी नहीं हटाए जा सकते। खास बात ये है कि आम लोगों ने तो तालाब आदि पाटकर आवास बनाए ही हैं। एलडीए, आवास विकास ने भी कई तालाबों और झीलों को पाटकर आवासीय कॉलोनियाँ बसा दी हैं। कई सरकारी विभागों की बिल्डिंगे भी बनाई गई हैं।

अगर हम जिला प्रशासन के आँकड़ों पर गौर करें तो कुल 12653 तालाबों, पोखरों, झीलों और कुओं में से जिला प्रशासन ने अभियान चलाकर हाल ही में 3793 में अवैध कब्जे चिन्हित किए हैं। यानि करीब 602.514 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में अवैध तरीके से कब्जा किया गया है। इसमें से प्रशासन ने अभियान के दौरान 1759 तालाबों, झीलों, कुओं और पोखरों में से अवैध कब्जे हटाने का दावा भी किया है। इसके बावजूद अभी भी 2034 तालाबों, पोखरों व झीलों पर कब्जे हैं।

वैज्ञानिक बताते हैं कि पहले इन तालाबों, पोखरों व झीलों के होने से जहाँ राजधानी का वाटर लेबल भी सही रहता था। साथ ही ऐसी आपदाएँ होने की आशंका भी कम रहती थी। इनके होने से आसपास के क्षेत्रों का प्रदूषण और पाटर लेबल भी ठीक होता था।

तालाबों, पोखरों व झीलों को पाटकर बसाई गईं बस्तियाँ

तहसील

कुल संख्या

अवैध कब्जे

हटाए कब्जे

अवशेष

सदर

5965

2463

532

1874

बीकेटी

1696

626

570

56

मोहनलालगंज

3317

607

583

24

मलिहाबाद

1705

97

17

80


शहरी क्षेत्रों के तालाब जिन पर हैं कब्जे


अलीगंज के चाँदगंज, अलीनगर के सुनहरा में करीब 25 बीघा क्षेत्रफल का तालाब पाट दिया गया। तेलीबाग का तालाब, एलडीए ने गोमती नगर में तालाबों की भूमि बिल्डरों को दे दी। आशियाना के ग्राम किला मोहम्मदी में तालाब पर एलडीए ने प्लॉटिंग कर दी। आशियाना में खजाना मार्केट के सामने तालाब पर अवैध निर्माण हो गए। हैवतमऊ मवैया में दो तालाब, उतरठिया, चाँदन, जानकीपुरम, मड़ियाँव, चिनहट और पारा में तालाब पाट दिए गए।

ग्रामीण क्षेत्रों के इन तालाबों पर कब्जे


मलिहाबाद के खण्डसरा गाँव के तालाब का नामोनिशान मिट चुका है। तालाब सहित उसके पास स्थित चारागाह पर भी भू-माफियाओं ने कब्जा कर लिया है। मोहनलालगंज के कोरियानी गाँव में भी भू-माफियाओं ने तालाब पर कब्जा कर लिया है, चारागाह भी नहीं छोड़ा। जहाँ गाँव के जानवरों के चारागाह भी बेच दिए हैं वहीं धीरे-धीरे आसपास के तालाबों पर भी कब्जा किया जा रहा है।

सरकारी भवन व अस्पताल भी


शहरी ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के तालाबों, पोखरों और झीलों को पाटकर आवासीय कॉलोनियों से लेकर अस्पताल, स्कूल, इंजीनियरिंग कॉलेज और मेडिकल कॉलेज बसाए गए हैं। शहरी क्षेत्र के अलावा शहरी सीमा से लगे ग्रामीण क्षेत्रों के तालाबों और झीलों को पाटकर एलडीए, आवास विकास और कुछ भू-माफियाओं ने आवासीय कॉलोनियाँ विकसित कर दी हैं। तो पीजीआई का भी एक हिस्सा भी तालाब को पाटकर ही बनाया गया है।

जिम्मेदार कौन


तालाबों, पोखरों व झीलों को पाटकर आवासीय कालोनियाँ, अपार्टमेण्ट की खेती करवाने वाले आखिर कौन हैं। जिन्होंने ने लाखों लोगों की जिन्दगियाँ जोखिम में डाल दी हैं। ये कोई और नहीं बल्कि सरकारी विभागों के अधिकारी से लेकर इन बिल्डरों और भू-माफियाओं को शह देने वाले सफेदपोश हैं। जिन्होंने शहर को जीवन देने वाले तालाबों, झीलों को पटवा दिया।