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राष्ट्रीय सहारा, 03 मई 2015
केदारनाथ में बादल फटने से हुई तबाही और जम्मू-कश्मीर में बाढ़ से हुए भारी आर्थिक नुकसान को हम अभी भूल भी नहीं पाए थे कि नेपाल और भारत के कई हिस्सों में आए जबरदस्त भूकम्प ने हमें हिलाकर रख दिया। प्राकृतिक आपदाएं कभी बताकर नहीं आतीं। भूकम्प, सुनामी, तूफान और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएं अचानक आती हैं और चंद मिनटों में सब कुछ तबाह करके चली जाती हैं। इन आपदाओं में भारी जान और माल का नुकसान होता है। हालांकि वैज्ञानिक युग में भी इन आपदाओं को रोकना सम्भव नहीं है लेकिन इनसे हुए नुकसान की भरपाई विभिन्न प्रकार के बीमा प्लान के जरिए की जा सकती है
प्रकृति जब अपना रौद्र रूप दिखाती है तो भारी तबाही आती है। चंद मिनटों में ही जान-माल का भारी नुकसान हो जाता है जिससे उबरने में बरसों लग जाते हैं। तीन साल पहले केदारनाथ में बादल फटने की घटना और बीते साल जम्मू-कश्मीर में बारिश से भारी क्षति हुई। यहाँ बाढ़ से किसानों की फसलें तबाह हो गईं, दुकानें व घर पानी में डूब गए। इससे भारी माली नुकसान हुआ। कुदरत का कहर बताकर नहीं आता इसलिए इससे बचने के पूर्व उपाय भी नहीं किए जा सकते, प्रकृति जब अपने रौद्र रूप में आती है तो सिर्फ विनाश ही होता है। जान के नुकसान की भरपाई तो सम्भव नहीं है लेकिन माल के नुकसान की काफी हद तक भरपाई की जा सकती है। इसका जरिया बनती है बीमा पॉलिसी। इसलिए बीमा पॉलिसी खरीदते वक्त प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का कवर लेना न भूलें।
बीमा कम्पनियाँ जिन उत्पादों पर आपदा कवर देती हैं उनमें दुर्घटना बीमा, वाहन बीमा, गृह ऋण का बीमा, वैवाहिक या समारोह और यात्रा बीमा शामिल हैं। दुर्घटना बीमा में कई कम्पनियाँ प्राकृतिक कारणों जैसे आँधी या तूफान के चलते पेड़ गिरने से मौत होने, बिजली गिरने से मौत होने या आर्थिक नुकसान होने, बारिश से जान-माल की नुकसान होने और हिमपात या भूस्खलन के चलते होने वाले नुकसान का कवर शामिल करती हैं। अग्नि बीमा में भी कम्पनियाँ प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का कवर शामिल करती हैं। वेडिंग इंश्योरेंस में विवाह समारोह या अन्य किसी भी प्रकार के समारोह का बीमा किया जाता है। समारोह के दौरान अगर आँधी, तूफान, बारिश, बिजली गिरने या बाढ़ आने से कोई नुकसान होता है और समारोह रद्द होता है तो बीमा कम्पनियाँ इसका बीमा कवर प्रदान करती हैं। इस तरह के कवर दुर्घटना बीमा पॉलिसी में भी शामिल हो सकते हैं लेकिन इवेंट मैनेजमेंट कम्पनियाँ बड़े समारोहों के लिए इस तरह के कवर वेडिंग या समारोह का बीमा कराकर हासिल करती हैं। वाहन बीमा में भी प्राकृतिक आपदा से हुए कुछ नुकसान शामिल किए जाते हैं। यह नुकसान जान-माल की भी हो सकती है। हिमपात, बारिश या आँधी, तूफान के कारण किसी की जान जाती है या वाहन को नुकसान होता है तो बीमा कम्पनी इसकी भरपाई करती है। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में भी प्राकृतिक घटनाओं से होने वाले जानी नुकसान को शामिल किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति ने होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी है और किसी प्राकृतिक कारण से वह आंशिक रूप से विकलांग हो जाता है और आय अर्जित करने लायक नहीं रह जाता तो बैंक कर्ज चुकाने में बीमा कम्पनी मदद करती है। यात्रा बीमा लेने वाले व्यक्ति को भी प्राकृतिक कारणों से यात्रा रद्द होने से हुए नुकसान की भरपाई बीमा कवर के जरिए मिल जाती है। जम्मू-कश्मीर, केदारनाथ या हाल में भारत और नेपाल में आए जबरदस्त भूकम्प जैसी आपदाओं ने जान-माल का भारी नुकसान किया है। हमें इससे सबक लेेते हुए बीमा पॉलिसी लेते वक्त इन सारी चीजों का कवर अवश्य लेना चाहिए। इसके अलावा ऐसे स्थानों पर स्थायी रूप से रहने वालों को भी बीमा पॉलिसी खरीदते वक्त प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कवर में शामिल करना चाहिए।
बीमा कम्पनियों ने ‘प्राकृतिक आपदा बीमा पॉलिसी’ के नाम से कोई एक्सक्लूसिव उत्पाद आज तक नहीं पेश किया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मन्त्री पी. चिदंबरम और इरडा अध्यक्ष जे. हरिनारायण ने कई बार प्राकृतिक आपदा बीमा पॉलिसी शुरू करने की जरूरत बताई और इसके लिए बीमा नियामक व बीमा कम्पनियों से अपील भी की लेकिन इसके बावजूद बीमा कम्पनियाँ अब तक इस तरह की कोई विशेष पॉलिसी नहीं लाँच कर सकीं। अलबत्ता बीमा कम्पनियों ने अपने विभिन्न बीमा उत्पादों में आपदा कवर को अवश्य जोड़ दिया। इससे लोगों को कुछ राहत तो मिली लेकिन केदारनाथ और कश्मीर में हुई प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए प्राकृतिक आपदा बीमा पॉलिसी की जरूरत फिर महसूस की जाने लगी है। सरकार को चाहिए कि इस तरह की बीमा पॉलिसी शुरू करने के लिए कम्पनियों को प्रोत्साहित करे।
चूँकि आपदा बीमा के नाम पर कोई विशेष पॉलिसी नहीं होती इसलिए अन्य पॉलिसियों पर आपदा कवर लेने पर बीमा कम्पनियाँ पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्ति से ज्यादा प्रीमियम वसूल करती हैं। अगर कोई व्यक्ति ऐसे स्थान पर स्थायी रूप से निवास करता है जहाँ भूकम्प, बाढ़ या हिमपात जैसे प्राकृतिक कारकों से जान-माल की नुकसान का खतरा ज्यादा है तो उसके लिए ज्यादा प्रीमियम देकर भी इन चीजों से होने वाले नुकसान का कवर लेना फायदेमंद होता है। आमतौर पर कम्पनियाँ अतिरिक्त कवर लेने वाले व्यक्ति से 15 से 25 फीसद तक अतिरिक्त प्रीमियम वसूल करती हैं।
प्रकृति जब अपना रौद्र रूप दिखाती है तो भारी तबाही आती है। चंद मिनटों में ही जान-माल का भारी नुकसान हो जाता है जिससे उबरने में बरसों लग जाते हैं। तीन साल पहले केदारनाथ में बादल फटने की घटना और बीते साल जम्मू-कश्मीर में बारिश से भारी क्षति हुई। यहाँ बाढ़ से किसानों की फसलें तबाह हो गईं, दुकानें व घर पानी में डूब गए। इससे भारी माली नुकसान हुआ। कुदरत का कहर बताकर नहीं आता इसलिए इससे बचने के पूर्व उपाय भी नहीं किए जा सकते, प्रकृति जब अपने रौद्र रूप में आती है तो सिर्फ विनाश ही होता है। जान के नुकसान की भरपाई तो सम्भव नहीं है लेकिन माल के नुकसान की काफी हद तक भरपाई की जा सकती है। इसका जरिया बनती है बीमा पॉलिसी। इसलिए बीमा पॉलिसी खरीदते वक्त प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का कवर लेना न भूलें।
किन पॉलिसियों पर मिलता है कवर
बीमा कम्पनियाँ जिन उत्पादों पर आपदा कवर देती हैं उनमें दुर्घटना बीमा, वाहन बीमा, गृह ऋण का बीमा, वैवाहिक या समारोह और यात्रा बीमा शामिल हैं। दुर्घटना बीमा में कई कम्पनियाँ प्राकृतिक कारणों जैसे आँधी या तूफान के चलते पेड़ गिरने से मौत होने, बिजली गिरने से मौत होने या आर्थिक नुकसान होने, बारिश से जान-माल की नुकसान होने और हिमपात या भूस्खलन के चलते होने वाले नुकसान का कवर शामिल करती हैं। अग्नि बीमा में भी कम्पनियाँ प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का कवर शामिल करती हैं। वेडिंग इंश्योरेंस में विवाह समारोह या अन्य किसी भी प्रकार के समारोह का बीमा किया जाता है। समारोह के दौरान अगर आँधी, तूफान, बारिश, बिजली गिरने या बाढ़ आने से कोई नुकसान होता है और समारोह रद्द होता है तो बीमा कम्पनियाँ इसका बीमा कवर प्रदान करती हैं। इस तरह के कवर दुर्घटना बीमा पॉलिसी में भी शामिल हो सकते हैं लेकिन इवेंट मैनेजमेंट कम्पनियाँ बड़े समारोहों के लिए इस तरह के कवर वेडिंग या समारोह का बीमा कराकर हासिल करती हैं। वाहन बीमा में भी प्राकृतिक आपदा से हुए कुछ नुकसान शामिल किए जाते हैं। यह नुकसान जान-माल की भी हो सकती है। हिमपात, बारिश या आँधी, तूफान के कारण किसी की जान जाती है या वाहन को नुकसान होता है तो बीमा कम्पनी इसकी भरपाई करती है। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में भी प्राकृतिक घटनाओं से होने वाले जानी नुकसान को शामिल किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति ने होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी है और किसी प्राकृतिक कारण से वह आंशिक रूप से विकलांग हो जाता है और आय अर्जित करने लायक नहीं रह जाता तो बैंक कर्ज चुकाने में बीमा कम्पनी मदद करती है। यात्रा बीमा लेने वाले व्यक्ति को भी प्राकृतिक कारणों से यात्रा रद्द होने से हुए नुकसान की भरपाई बीमा कवर के जरिए मिल जाती है। जम्मू-कश्मीर, केदारनाथ या हाल में भारत और नेपाल में आए जबरदस्त भूकम्प जैसी आपदाओं ने जान-माल का भारी नुकसान किया है। हमें इससे सबक लेेते हुए बीमा पॉलिसी लेते वक्त इन सारी चीजों का कवर अवश्य लेना चाहिए। इसके अलावा ऐसे स्थानों पर स्थायी रूप से रहने वालों को भी बीमा पॉलिसी खरीदते वक्त प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कवर में शामिल करना चाहिए।
प्राकृतिक आपदा बीमा की जरूरत
बीमा कम्पनियों ने ‘प्राकृतिक आपदा बीमा पॉलिसी’ के नाम से कोई एक्सक्लूसिव उत्पाद आज तक नहीं पेश किया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मन्त्री पी. चिदंबरम और इरडा अध्यक्ष जे. हरिनारायण ने कई बार प्राकृतिक आपदा बीमा पॉलिसी शुरू करने की जरूरत बताई और इसके लिए बीमा नियामक व बीमा कम्पनियों से अपील भी की लेकिन इसके बावजूद बीमा कम्पनियाँ अब तक इस तरह की कोई विशेष पॉलिसी नहीं लाँच कर सकीं। अलबत्ता बीमा कम्पनियों ने अपने विभिन्न बीमा उत्पादों में आपदा कवर को अवश्य जोड़ दिया। इससे लोगों को कुछ राहत तो मिली लेकिन केदारनाथ और कश्मीर में हुई प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए प्राकृतिक आपदा बीमा पॉलिसी की जरूरत फिर महसूस की जाने लगी है। सरकार को चाहिए कि इस तरह की बीमा पॉलिसी शुरू करने के लिए कम्पनियों को प्रोत्साहित करे।
प्रीमियम होता है ज्यादा
चूँकि आपदा बीमा के नाम पर कोई विशेष पॉलिसी नहीं होती इसलिए अन्य पॉलिसियों पर आपदा कवर लेने पर बीमा कम्पनियाँ पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्ति से ज्यादा प्रीमियम वसूल करती हैं। अगर कोई व्यक्ति ऐसे स्थान पर स्थायी रूप से निवास करता है जहाँ भूकम्प, बाढ़ या हिमपात जैसे प्राकृतिक कारकों से जान-माल की नुकसान का खतरा ज्यादा है तो उसके लिए ज्यादा प्रीमियम देकर भी इन चीजों से होने वाले नुकसान का कवर लेना फायदेमंद होता है। आमतौर पर कम्पनियाँ अतिरिक्त कवर लेने वाले व्यक्ति से 15 से 25 फीसद तक अतिरिक्त प्रीमियम वसूल करती हैं।