Source
दैनिक जागरण, 28 अप्रैल, 2016
चढ़ते तापमान के साथ वनाग्नि के कारण हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में जगह-जगह पहाड़ दहकने लगे हैं। नतीजतन वन सम्पदा तो खाक हो ही रही है, जनहानि भी होने लगी है। पशु-पक्षी जान बचाने के लिये इधर-उधर भाग रहे हैं, कई आग की भेंट चढ़ गए हैं।
उत्तराखण्ड में बुधवार को वनों में 92 स्थानों पर आग लगी और 209.5 हेक्टेयर वन क्षेत्र तबाह हो गया। सिर्फ रुद्रप्रयाग में 55 हेक्टेयर वन क्षेत्र राख हो चुका है और करीब 80 हेक्टेयर प्रभावित है। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के पास गाँव नरकोटा हो या फिर दूरस्थ घिमतोली और बांगर, सभी स्थानों पर हालात ऐसे ही हैं। आग का असर सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। चारों ओर छाई धुन्ध ने मुसीबत में इजाफा ही किया है। दृश्यता बेहद कम हो चुकी है। धुएँ से लोग आँखों में जलन महसूस कर रहे हैं। गढ़वाल-कुमाऊँ की सीमा पर जंगल की आग बुझाते वक्त बुरी तरह झुलसे ग्राम बूडाखोली (अल्मोड़ा) निवासी बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया। 24 घण्टे के भीतर वनाग्नि से यह तीसरी मौत है। इससे पहले मंगलवार को हल्द्वानी के गौला नदी खनन क्षेत्र में माँ बेटे की मौत हो गई थी। राज्य में इस साल अब तक वनाग्नि में हताहत लोगों की संख्या बढ़कर पाँच हो गई है।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के साथ लगते चारों तरफ के जंगल आग की चपेट में हैं। इससे इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग दहशत के साए में हैं। अनाडेल के पास बुधवार शाम पाँच बजे जंगल में आग की घटना सामने आई। इसके अलावा शोधी के पास गोरो कनावण मार्ग पर परमार वन में बान के जंगल में आग लगी है। मंगलवार रात 10.44 बजे चलौठी में दीप गेस्ट हाउस के पास आग लगने से करोड़ों की वन सम्पदा और जीव-जन्तु खाक हो गए। इस आगजनी की घटना में करीब 100 वर्गमीटर जंगल क्षेत्र आग की लपटों में आ गया, जबकि गोल्छा सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लांट के पास मंगलवार रात आग लगने से 500 वर्ग मीटर वन क्षेत्र जलकर राख हो गया। मुख्य मार्ग से आठ किलोमीटर दूर होने के कारण अग्निशमन के वाहन भी यहाँ नहीं पहुँच पाए जिस कारण आग पर काबू पाने में काफी समय लग गया। राजधानी में पाँच स्थानों पर लगी आग के कारण कई हेक्टेयर वन व निजी भूमि जली है।
‘चुनौती बड़ी है। आग बुझाने के लिये जिले में 62 फायर वाचर के साथ ही 75 वन कर्मचारी तैनात किए गए हैं। ये लोग स्थानीय लोगों के सहयोग से आग बुझा रहे हैं।’ - राजीव धीमान, उप वन संरक्षक, रूद्रप्रयाग |
क्यों लगती है जंगल में आग
1. शीतकालीन वर्षा न होने के कारण तापमान में बढ़ोतरी होना।
2. वन क्षेत्रों से गुजरने के दौरान लापरवाही से जलती बीड़ी, सिगरेट फेंकने से
3. जंगल से सटे खेतों में कूड़ा जलाने में लापरवाही, हवा चलने पर यह आग जंगल को अपनी चपेट में ले लेती है।
4. कई जगह अच्छी घास के लालच में भी लगाई जाती है जंगलों में आग
5. कुछ मौकों पर जंगल में अवैध कटान को छिपाने को शरारती तत्व लगा देते हैं आग
6. नमी न होने की दशा में पत्थरों के लुढ़कने के कारण हुए घर्षण से निकली चिंगारी भी बनती है आग की वजह