बूँद-बुँदानी

Submitted by Hindi on Tue, 05/24/2011 - 09:36
बादल-घर से
धरती पर
उतर रहे हैं
बूँद-बुँदानी

माटी महक रही है

भीग-भीग कर
गीत बन रही
अपनी बोली-बानी।।