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दैनिक जागरण, 06 जनवरी 2017
नमामि गंगे के लिये अहम साल
2,525 किमी लम्बी गंगा को निर्मल और अविरल करने के लिये मोदी सरकार ने 2014-15 में बजट में नमामि गंगे कार्यक्रम के लिये 2,037 करोड़ रुपये आवंटित किये।
1. अन्य सौ करोड़ रुपए से केदारनाथ, हरिद्वार, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, पटना, दिल्ली में घाटों का निर्माण और सौन्दर्यीकरण किया जाना है।
2. यह सभी कार्य 2020 तक पूरे करने का लक्ष्य तय किया गया है।
3. इससे नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण, सफाई योजनाएँ, जल प्रदूषण से निपटने जैसे कार्य किये जाने हैं।
4. जुलाई, 2016 में सात राज्यों में पहले चरण की 231 परियोजनाओं का शुभारम्भ हुआ।
5. यूपी में 112, उत्तराखण्ड में 47, बिहार में 26, पश्चिम बंगाल में 20 और झारखण्ड में 19 योजनाएँ चलेंगी। इसमें दिल्ली-हरियाणा में यमुना के लिये सात योजनाएँ भी शामिल हैं।
6. आठ बायोडायवर्सिटीज सेंटर ऋषिकेश, देहरादून, नरोरा, इलाहाबाद, वाराणसी, भागलपुर, साहिबगंज और बैरकपुर में
7. गंगा ग्राम योजना में नदी से लगे 400 गाँवों को कचरा प्रबन्धन में शामिल किया जाएगा।
8. नदी से सटे 30 हजार हेक्टेयर इलाके में पेड़-पौधे लगेंगे। 113 रियल टाइम वाटर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन बनाए जाएँगे।
भूजल बचाओ
सरकार द्वारा देश भर में भूजल के बारे में अधिक जानकारी जुटाने और उसे बचाने के लिये नेशनल एक्वीफर मैनेजमेंट परियोजना चलाई जा रही है।
1. यह हेलीबोर्न जियोफिजिकल सर्वे सिस्टम पर आधारित है। इस तकनीक वाला भारत सातवाँ देश है।
2. पहले चरण में आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना शामिल हैं। यहाँ भूजल की स्थिति काफी खराब है। बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु के छह स्थानों में मैपिंग हो चुकी है।
3. 2017-2022 के बीच इसके तहत 14 लाख वर्ग किमी क्षेत्रफल में मैपिंग किये जाने का लक्ष्य है।
राष्ट्रीय जल अभियान
जल संरक्षण के लिये लोगों को जागरूक करने, संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान और जल के कुशलतम इस्तेमाल को 20 फीसद तक बढ़ाना, इसका मकसद है। इस साल समाप्त हो रही पंचवर्षीय योजना के कारण इस अभियान के अन्तर्गत 20 फीसद जल संरक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है।
स्वायत्त संस्था का प्रस्ताव
जल का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल, नियंत्रण और नियमन के लिये एक नेशनल ब्यूरो ऑफ वाटर यूज एफिशियंसी की स्थापना का प्रस्ताव है। इसके जरिए विभिन्न क्षेत्रों द्वारा जल के कुशलतम इस्तेमाल और बर्बादी को कम करना सुनिश्चित होगा। इस साल इसके गठन को लेकर पहल हो सकती है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना
जल संकट को दूर करने के लिये नदियों को जोड़ने की परियोजनाएँ काफी अहम हैं। महत्त्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना के इस साल साकार होने के आसार हैं। इसे पर्यावरणीय और वन विभाग की मंजूरी मिल गई है। इसके तहत मध्य प्रदेश की केन और उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी को जोड़ा जाएगा। इसके अन्तर्गत मध्य प्रदेश का 3.69 लाख हेक्टेयर और यूपी का 2.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र आएगा। इससे 6.35 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। 4.9 करोड़ क्यूबिक मीटर पेयजल उपलब्ध होगा। इससे बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 13.42 लाख लोग लाभान्वित होंगे।