स्केलेटल फ्लोरोसिस के मरीजों के लिए उम्मीद की नयी रोशनी सामने आयी है। गया में राज्य भर के हड्डी रोग विशेषज्ञ एकजुट होकर इस मसले पर विचार-विमर्श करेंगे। यह कांफ्रेंस बोध गया में 13-15 फरवरी के बीच होगा। यह जानकारी कांफ्रेंस की स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ फरहत हुसैन और आयोजन सचिव डॉ प्रकाश सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि इस कांफ्रेस में नेशनल ऑर्थोपेडिक एसोसियेशन के कम से कम पांच पूर्व सचिव भाग लेंगे।
स्केलेटल फ्लोरोसिस पर बेहतर उपाय की तलाश
उन दोनों ने बताया कि इस कांफ्रेंस में हड्डियों से संबंधित विकार खास तौर पर विकलांगता के उपायों पर विचार किया जायेगा। यह भी जानने की कोशिश की जायेगी कि क्या किसी तरह की सर्जिकल इंटरवेंशन के जरिये कोई समाधान निकाला जा सकता है, साथ ही इस संबंध में किस तरह के मेडिकल एजुकेशन प्रोग्राम चलाये जा सकते हैं इस पर भी विचार किया जायेगा। बिहार के कई गांवों के पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा होने से लोग स्थायी विकलांगता के शिकार हो गये हैं। उम्मीद है कि इस कांफ्रेंस में उनके उपचार का कोई तरीका निकल पाये।
डॉ. हुसैन और डॉ. सिंह कहते हैं कि हालांकि राज्य के फ्लोराइड प्रभावित गांवों में राहत पहुंचाना सरकार की जिम्मेदारी है, मगर मेडिकल बिरादरी इस तरह की जिम्मेदारी उठाने में संकोच नहीं करती है। डॉ. द्वय ने माना कि उन इलाकों में या तो पेयजल को फ्लोराइड मुक्त किया गया है या लोग बड़े पैमाने पर पलायन कर रहे हैं। पेयजल को फ्लोराइड मुक्त करना बहुत महंगा उपाय है, लिहाजा गांव के लोग लाचार होकर पलायन कर जाते हैं।
तीन दिन का होगा सेमिनार
उन दोनों ने कहा कि मेडिकल बिरादरी की भूमिका जागरूकता फैलना और अगर किसी व्यक्ति की हड्डियों में विकार आ गया है तो उसे ठीक करने तक सीमित है। तीन दिवसीय सेमिनार में खास तौर पर हिप फ्रैक्चर, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और जन्मजात विकलांगता के उपचार के बारे में बातचीत होगी। साथ ही क्लब फुट के इलाज के संबंध में भी चर्चा होगी। इसके अलावा फ्रैक्टर के बाद हड्डियों के बीच गैप होने, हड्डियों में इनफेक्शन और घुटनों के आर्थराइटिस के बारे में भी बातें होंगी और संबंधित मसलों के विशेषज्ञ इस संबंध में अपनी राय जाहिर करेंगे।
स्केलेटल फ्लोरोसिस पर बेहतर उपाय की तलाश
उन दोनों ने बताया कि इस कांफ्रेंस में हड्डियों से संबंधित विकार खास तौर पर विकलांगता के उपायों पर विचार किया जायेगा। यह भी जानने की कोशिश की जायेगी कि क्या किसी तरह की सर्जिकल इंटरवेंशन के जरिये कोई समाधान निकाला जा सकता है, साथ ही इस संबंध में किस तरह के मेडिकल एजुकेशन प्रोग्राम चलाये जा सकते हैं इस पर भी विचार किया जायेगा। बिहार के कई गांवों के पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा होने से लोग स्थायी विकलांगता के शिकार हो गये हैं। उम्मीद है कि इस कांफ्रेंस में उनके उपचार का कोई तरीका निकल पाये।
डॉ. हुसैन और डॉ. सिंह कहते हैं कि हालांकि राज्य के फ्लोराइड प्रभावित गांवों में राहत पहुंचाना सरकार की जिम्मेदारी है, मगर मेडिकल बिरादरी इस तरह की जिम्मेदारी उठाने में संकोच नहीं करती है। डॉ. द्वय ने माना कि उन इलाकों में या तो पेयजल को फ्लोराइड मुक्त किया गया है या लोग बड़े पैमाने पर पलायन कर रहे हैं। पेयजल को फ्लोराइड मुक्त करना बहुत महंगा उपाय है, लिहाजा गांव के लोग लाचार होकर पलायन कर जाते हैं।
तीन दिन का होगा सेमिनार
उन दोनों ने कहा कि मेडिकल बिरादरी की भूमिका जागरूकता फैलना और अगर किसी व्यक्ति की हड्डियों में विकार आ गया है तो उसे ठीक करने तक सीमित है। तीन दिवसीय सेमिनार में खास तौर पर हिप फ्रैक्चर, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और जन्मजात विकलांगता के उपचार के बारे में बातचीत होगी। साथ ही क्लब फुट के इलाज के संबंध में भी चर्चा होगी। इसके अलावा फ्रैक्टर के बाद हड्डियों के बीच गैप होने, हड्डियों में इनफेक्शन और घुटनों के आर्थराइटिस के बारे में भी बातें होंगी और संबंधित मसलों के विशेषज्ञ इस संबंध में अपनी राय जाहिर करेंगे।