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आईबीएन-7, 01 मई 2013
पानी हमेशा जीवन देता है लेकिन मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में पानी लोगों को बीमारियाँ बांट रहा है। पानी में जहर की वजह से बीमारी, ज़ख्म, दर्द और मौतें हो रहीं हैं। बालाघाट के मलांजखंड गांव में बर्बाद खेती, जलते पेड़ और जहरीली जिंदगी जीने को अभिशप्त हैं लोग। करीब 480 एकड़ में फैली एचसीएल की खुली खदान से रोज़ाना 70 टन रेत निकलती है। इस रेत में मैंगनीज, निकल, जिंक और मॉलिब्डेनम जैसे रसायन मिले होते हैं। खदान के चारों ओर इस रेत को डंप किया जाता है, जबकि बाकी का अवशिष्ट खदान के नज़दीक बंजर नदी में बहाया जा रहा है। इसके लिए कंपनी ने विशाल टेलिंग डैम बना रखा है, जहां फिलहाल पांच करोड़ टन अवशिष्ट जमा है। खदान में इस्तेमाल किए जा रहे पानी में घुले रसायन 20 किमी के दायरे में तकरीबन सभी जलस्रोतों और भूमिगत जल को प्रदूषित कर चुके हैं। एचसीएल की खदान से फैल रहे प्रदूषण का असर बैगा और गोंड बहुल 134 गाँवों पर पड़ा है, लेकिन इसके बिल्कुल नज़दीक बसे छिंदीटोला, बोरखेड़ा, सूजी, झिंझोरी, करमसरा, नयाटोला और भिमजोरी जैसे कुल 10 गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। हैरत की बात यह है कि मध्य प्रदेश प्रदूषण निवारण मंडल की टीम को दिसंबर 2010 से फरवरी 2011 तक मलांजखंड का लगातार दौरा करने के बाद प्रदूषण फैलाने के एक भी सुबूत नजर नहीं आए।