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जागरण संवाददाता, 23 अप्रैल 2015
दर्जनों गाँवों के सैकड़ों हैण्डपम्प अर्से से रिबोर की जोह रहे बाट
गर्मी की तपिश दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। मौसम के तीखे मिजाज से हर कोई बेहाल है। ऐसे में जब एक घूँट पानी भी पीने को मयस्सर न हो तो सोचिए क्या हाल होगा। जी हाँ अंचलों में ज्यादातर हैण्डपम्पों के दम तोड़ जाने से प्यास लोगों का दम फुला रही है। गम्भीर बात यह है कि रिबोर की आस तो दूर हैण्डपम्पों की छोटी-मोटी खराबियाँ दूर कराने के लिये भी लोगों को अर्से तक इन्तजार करना पड़ता है।
इसी क्रम में काशी विद्यापीठ ब्लाक के स्थानीय ब्लाक मुख्यालय को ही लें। यहाँ अक्सर लोग हैण्डपम्प रिबोर करवाने के लिये चक्कर लगाते नजर आते हैं। खास बात यह है कि यह समस्या एक या दो गाँवों की नहीं बल्कि कई गाँवों में देखने को मिल रही है। कुओं के सूख जाने के बाद पेयजल की उपलब्धता का एकमात्र सहारा हैण्डपम्प भी दर्जनों की संख्या में रिबोर की बाट जोह रहे हैं। विकासखण्ड के कोरौता, ऊँच गाँव अलाउद्दीनपुर, भीटी, सुसुवाही, खुलासपुर, केराकतपुर, फरीदपुर समेत कई गाँवों में हैण्डपम्प रिबोर के लिये पड़े हैं।
ब्लाक कार्यालय का कहना है कि विभिन्न गाँवों के लगभग 800 हैण्डपम्प रिबोर की बाट जोह रहे हैं। उधर एडीओ पंचायत डीके अस्थाना ने बताया स्कूल समेत अन्य सार्वजनिक स्थलों पर रिबोर के लिये मौजूद हैण्डपम्पों को प्राथमिकता के आधार पर रिबोर कराया जाता है लेकिन बजट के अभाव में सभी हैण्डपम्पों को ग्राम पंचायत निधि से रिबोर करवा पाना सम्भव नहीं है। इसलिये जिला विकास अधिकारी कार्यालय के माध्यम से रिबोर के लिये हैण्डपम्पों की सूची सम्बन्धित विभाग को प्रेषित की जाती है। उन्होंने बताया सामान्य खराबी वाले हैण्डपम्पों को ग्राम निधि प्रथम से बनवाने के लिये गाँवों के ग्राम सचिवों को सख्त हिदायत दी गई है। उधर सेवापुरी विकासखण्ड में 82 ग्रामसभा में 302 हैण्डपम्प किसी-न-किसी रूप में खराब पड़े हैं जिसके चलते पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसमें 132 हैण्डपम्प रिबोर के लिये हैं सबसे ज्यादा खराब हैण्डपम्पों की संख्या गाँवसभा कपसेठी में बताई जाती है। खण्ड विकास अधिकारी गजेन्द्र तिवारी ने बताया हैण्डपम्पों के रिबोर का अधिकार ग्राम प्रधानों को दिया गया है। ग्राम प्रधान 13वें राज्य वित्त से हैण्डपम्पों को रिबोर कराने का काम करेंगे। इतना ही नहीं खराब हैण्डपम्पों के मरम्मत की जिम्मेदारी भी ग्राम प्रधानों की ही है। उधर ग्राम प्रधान संघ के जिला के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व भीषमपुर के ग्राम प्रधान राकेश सिंह का कहना है कि लगभग आठ माह से 13वें राज्य वित्त मद में एक भी रुपया नहीं आया जिसके कारण ग्राम प्रधानों के हाथ रुक गए हैं। उन्होंने बताया अगर 13वें राज्य वित्त निधि में पैसा नहीं भेजा गया तो गाँवों में पेयजल का संकट उत्पन्न हो जाएगा।
कुछ यही हाल आराजी लाइन विकासखण्ड का भी है। यहाँ कुल 7177 हैण्डपम्प हैं जिसमें 1013 पाँच-छह महीने से रिबोर के लिये पड़े हैं। यहाँ पंचायत विभाग द्वारा ग्राम प्रधान के माध्यम से रिबोर की प्रक्रिया कराई जा रही है। पहले थोड़े बहुत मेंटेनेंस का काम ग्राम प्रधान कराते थे और रिबोर का जलनिगम। जबकि अब कमिश्नर के आदेश पर ग्राम पंचायत को जो धनराशि विकास कार्यों के लिये एलाट होती है उसी से रिबोर कराना होगा। इसमें जिन गाँवों में रिबोर के लिये धनराशि मिली है वहाँ पर कार्य कराया जा रहा है। हालांकि पर्याप्त धन एक साथ न मिलने के कारण एक साथ रिबोर करवा पाना सम्भव नहीं है।
22 विकासखण्ड बड़ागाँव, कुल हैण्डपम्पों की संख्या 4600 है जिसमें से 150 अब तक रिबोर नहीं हुए हैं। वहीं लगभग 70-80 हैण्डपम्प मामूली खराबी के चलते खराब हैं। टेक्नीशियन महेन्द्र सिंह ने बताया कि ब्लाक से भेजी गई सूचियों के समय से अनुमोदन न हो पाने के कारण रिबोर नहीं हो पा रहा। उन्होंने बताया कि हैण्डपम्पों के रखरखाव की जिम्मेदारी उस ग्रामसभा के प्रधान की है। जो समय-समय पर उनकी मरम्मत व देखभाल करे। वहीं प्रधानों का कहना है कि जब हैण्डपम्प लग गया तो उसकी देख-रेख की जिम्मेदारी उसे प्रयोग करने वाले लोगों की भी होती है। ऐसे में हैण्डपम्प कम खराब होते हैं।
दानगंज चोलापुर विकासखण्ड के 81 ग्रामसभा में कुल 4656 हैण्डपम्प हैं जिनमें से 282 रिपेयरिंग के अभाव में खराब पड़े हैं और 92 की रिबोर की जरूरत है। खण्ड विकास अधिकारी रमेश यादव ने बताया रिबोर व मरम्मत का अधिकार ग्राम पंचायत को दिया गया है। पेयजल समस्या से बचने के लिये 13वें वित्त का इन्तजार न करें। इसे राज्य वित्त से करा सकते हैं। बाद में इसे स्थानान्तरित किया जाएगा। कैथोर, रौनाखुर्द, कटारी, जगदीशपुर, कैथोर, महदा, पहाड़पुर गाँवों से रिबोर के आवेदन आए हैं। कटारी गाँव के ग्राम पंचायत अधिकारी अनिल कुमार व प्रधान लक्ष्मी देवी ने बताया कि ग्रामीणों की आवश्यकता देखते हुए चाहे जिस वित्त में पैसा है उसी से हैण्डपम्पों की मरम्मत व रिबोर का काम कराया जा रहा है।
हरहुआ विकासखण्ड में कुल 4152 हैण्डपम्प हैं जिनमें से 2200 निजी है। सरकारी में से 119 रिबोर की स्थिति में हैं फिलहाल 17 हैण्डपम्पों की मरम्मत कराई गई है। शेष 102 अभी भी बाकी हैं। तकनीकी जाँच के लिये जल निगम को पत्र लिखा गया है। 581 में मामूली खराबी है जिन्हें ठीक कराने के लिये ग्राम पंचायतों को आदेश दिया गया है। बीडीओ हरहुआ त्रिभुवन ने कहा कि हरहुआ ब्लाक डार्क जोन में है। ग्राम पंचायत अधिकारी एवं ग्राम विकास अधिकारी को प्राथमिकता के आधार पर हैण्डपम्पों को ठीक कराने का आदेश दिया गया है।
चिरईगाँव के बीडीओ सुरेन्द्र प्रसाद ने बताया अक्टूबर वर्ष 2014 विकासखण्ड में कुल हैण्डपम्प 4945 थे जिनमें से 248 खराब थे। 96 को रिबोर की जरूरत थी। खराब पम्प सभी बने या नहीं इस पर बीडीओ का कहना था कि बन गए होंगे। जबकि सूचनाओं में 42 के ही रिबोर हो पाने की बात बताई गई। गौर करने वाली बात है कि अधिकारी को इसकी जानकारी ही नहीं है।
गर्मी की तपिश दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। मौसम के तीखे मिजाज से हर कोई बेहाल है। ऐसे में जब एक घूँट पानी भी पीने को मयस्सर न हो तो सोचिए क्या हाल होगा। जी हाँ अंचलों में ज्यादातर हैण्डपम्पों के दम तोड़ जाने से प्यास लोगों का दम फुला रही है। गम्भीर बात यह है कि रिबोर की आस तो दूर हैण्डपम्पों की छोटी-मोटी खराबियाँ दूर कराने के लिये भी लोगों को अर्से तक इन्तजार करना पड़ता है।
इसी क्रम में काशी विद्यापीठ ब्लाक के स्थानीय ब्लाक मुख्यालय को ही लें। यहाँ अक्सर लोग हैण्डपम्प रिबोर करवाने के लिये चक्कर लगाते नजर आते हैं। खास बात यह है कि यह समस्या एक या दो गाँवों की नहीं बल्कि कई गाँवों में देखने को मिल रही है। कुओं के सूख जाने के बाद पेयजल की उपलब्धता का एकमात्र सहारा हैण्डपम्प भी दर्जनों की संख्या में रिबोर की बाट जोह रहे हैं। विकासखण्ड के कोरौता, ऊँच गाँव अलाउद्दीनपुर, भीटी, सुसुवाही, खुलासपुर, केराकतपुर, फरीदपुर समेत कई गाँवों में हैण्डपम्प रिबोर के लिये पड़े हैं।
ब्लाक कार्यालय का कहना है कि विभिन्न गाँवों के लगभग 800 हैण्डपम्प रिबोर की बाट जोह रहे हैं। उधर एडीओ पंचायत डीके अस्थाना ने बताया स्कूल समेत अन्य सार्वजनिक स्थलों पर रिबोर के लिये मौजूद हैण्डपम्पों को प्राथमिकता के आधार पर रिबोर कराया जाता है लेकिन बजट के अभाव में सभी हैण्डपम्पों को ग्राम पंचायत निधि से रिबोर करवा पाना सम्भव नहीं है। इसलिये जिला विकास अधिकारी कार्यालय के माध्यम से रिबोर के लिये हैण्डपम्पों की सूची सम्बन्धित विभाग को प्रेषित की जाती है। उन्होंने बताया सामान्य खराबी वाले हैण्डपम्पों को ग्राम निधि प्रथम से बनवाने के लिये गाँवों के ग्राम सचिवों को सख्त हिदायत दी गई है। उधर सेवापुरी विकासखण्ड में 82 ग्रामसभा में 302 हैण्डपम्प किसी-न-किसी रूप में खराब पड़े हैं जिसके चलते पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसमें 132 हैण्डपम्प रिबोर के लिये हैं सबसे ज्यादा खराब हैण्डपम्पों की संख्या गाँवसभा कपसेठी में बताई जाती है। खण्ड विकास अधिकारी गजेन्द्र तिवारी ने बताया हैण्डपम्पों के रिबोर का अधिकार ग्राम प्रधानों को दिया गया है। ग्राम प्रधान 13वें राज्य वित्त से हैण्डपम्पों को रिबोर कराने का काम करेंगे। इतना ही नहीं खराब हैण्डपम्पों के मरम्मत की जिम्मेदारी भी ग्राम प्रधानों की ही है। उधर ग्राम प्रधान संघ के जिला के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व भीषमपुर के ग्राम प्रधान राकेश सिंह का कहना है कि लगभग आठ माह से 13वें राज्य वित्त मद में एक भी रुपया नहीं आया जिसके कारण ग्राम प्रधानों के हाथ रुक गए हैं। उन्होंने बताया अगर 13वें राज्य वित्त निधि में पैसा नहीं भेजा गया तो गाँवों में पेयजल का संकट उत्पन्न हो जाएगा।
कुछ यही हाल आराजी लाइन विकासखण्ड का भी है। यहाँ कुल 7177 हैण्डपम्प हैं जिसमें 1013 पाँच-छह महीने से रिबोर के लिये पड़े हैं। यहाँ पंचायत विभाग द्वारा ग्राम प्रधान के माध्यम से रिबोर की प्रक्रिया कराई जा रही है। पहले थोड़े बहुत मेंटेनेंस का काम ग्राम प्रधान कराते थे और रिबोर का जलनिगम। जबकि अब कमिश्नर के आदेश पर ग्राम पंचायत को जो धनराशि विकास कार्यों के लिये एलाट होती है उसी से रिबोर कराना होगा। इसमें जिन गाँवों में रिबोर के लिये धनराशि मिली है वहाँ पर कार्य कराया जा रहा है। हालांकि पर्याप्त धन एक साथ न मिलने के कारण एक साथ रिबोर करवा पाना सम्भव नहीं है।
22 विकासखण्ड बड़ागाँव, कुल हैण्डपम्पों की संख्या 4600 है जिसमें से 150 अब तक रिबोर नहीं हुए हैं। वहीं लगभग 70-80 हैण्डपम्प मामूली खराबी के चलते खराब हैं। टेक्नीशियन महेन्द्र सिंह ने बताया कि ब्लाक से भेजी गई सूचियों के समय से अनुमोदन न हो पाने के कारण रिबोर नहीं हो पा रहा। उन्होंने बताया कि हैण्डपम्पों के रखरखाव की जिम्मेदारी उस ग्रामसभा के प्रधान की है। जो समय-समय पर उनकी मरम्मत व देखभाल करे। वहीं प्रधानों का कहना है कि जब हैण्डपम्प लग गया तो उसकी देख-रेख की जिम्मेदारी उसे प्रयोग करने वाले लोगों की भी होती है। ऐसे में हैण्डपम्प कम खराब होते हैं।
दानगंज चोलापुर विकासखण्ड के 81 ग्रामसभा में कुल 4656 हैण्डपम्प हैं जिनमें से 282 रिपेयरिंग के अभाव में खराब पड़े हैं और 92 की रिबोर की जरूरत है। खण्ड विकास अधिकारी रमेश यादव ने बताया रिबोर व मरम्मत का अधिकार ग्राम पंचायत को दिया गया है। पेयजल समस्या से बचने के लिये 13वें वित्त का इन्तजार न करें। इसे राज्य वित्त से करा सकते हैं। बाद में इसे स्थानान्तरित किया जाएगा। कैथोर, रौनाखुर्द, कटारी, जगदीशपुर, कैथोर, महदा, पहाड़पुर गाँवों से रिबोर के आवेदन आए हैं। कटारी गाँव के ग्राम पंचायत अधिकारी अनिल कुमार व प्रधान लक्ष्मी देवी ने बताया कि ग्रामीणों की आवश्यकता देखते हुए चाहे जिस वित्त में पैसा है उसी से हैण्डपम्पों की मरम्मत व रिबोर का काम कराया जा रहा है।
हरहुआ विकासखण्ड में कुल 4152 हैण्डपम्प हैं जिनमें से 2200 निजी है। सरकारी में से 119 रिबोर की स्थिति में हैं फिलहाल 17 हैण्डपम्पों की मरम्मत कराई गई है। शेष 102 अभी भी बाकी हैं। तकनीकी जाँच के लिये जल निगम को पत्र लिखा गया है। 581 में मामूली खराबी है जिन्हें ठीक कराने के लिये ग्राम पंचायतों को आदेश दिया गया है। बीडीओ हरहुआ त्रिभुवन ने कहा कि हरहुआ ब्लाक डार्क जोन में है। ग्राम पंचायत अधिकारी एवं ग्राम विकास अधिकारी को प्राथमिकता के आधार पर हैण्डपम्पों को ठीक कराने का आदेश दिया गया है।
चिरईगाँव के बीडीओ सुरेन्द्र प्रसाद ने बताया अक्टूबर वर्ष 2014 विकासखण्ड में कुल हैण्डपम्प 4945 थे जिनमें से 248 खराब थे। 96 को रिबोर की जरूरत थी। खराब पम्प सभी बने या नहीं इस पर बीडीओ का कहना था कि बन गए होंगे। जबकि सूचनाओं में 42 के ही रिबोर हो पाने की बात बताई गई। गौर करने वाली बात है कि अधिकारी को इसकी जानकारी ही नहीं है।