जलमग्न हो गया न्यू मूर द्वीप

Submitted by admin on Tue, 04/13/2010 - 10:54
वेब/संगठन

बंगाल की खाड़ी में स्थित न्यू मूर नामक छोटा-सा द्वीप पूरी तरह जलमग्न हो चुका है, जिसने इस आशंका को फिर से जन्म दे दिया है कि समुद्र जल स्तर बढ़ने से एक दिन कहीं मॉरीशस, लक्षद्वीप और अंडमान द्वीप समूह ही नहीं, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे मुल्कों का भी अस्तित्व समाप्त न हो जाए।

न्यू मूर को भारत में पुरबाशा और बांग्लादेश में दक्षिण तलपट्टी के नाम से भी जाना जाता है। इस द्वीप के स्वामित्व को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद भी रहा है हालाँकि यह द्वीप निर्जन ही रहा है। भारत ने 1989 में नौ सेना का जहाज और फिर बीएसएफ के जवानों को वहाँ तैनात करके वहाँ तिरंगा झंडा फहराया था। अब जैसे प्रकृति ने खुद हस्तक्षेप करके विवाद का अंतिम हल कर दिया है। इससे पहले 1996 में सुंदरवन में लोहाछरा नामक द्वीप समुद्र में डूब गया था। घोड़ामार ऐसा दूसरा द्वीप है जिसका करीब आधा हिस्सा जलमग्न हो चुका है।

जलमग्न द्वीप के लोगों को शरणार्थी का दर्जा दिया जाता है भारतीय बाघ के लिए मशहूर सुंदरवन डेल्टा के अनेक द्वीप, जिनमें कुछ निर्जन तो कुछ मनुष्य बस्तियों वाले हैं, 2020 तक पूरी तरह जलमग्न हो जाएँगे ।

जलवायु परिवर्तन के कारण मालद्वीप के नए राष्ट्रपति मोहम्मद नशीर ने भावी खतरे को पहचानकर अपने द्वीप देश को नई जगह बसाने के लिए जमीन खरीदने की बात कही थी, जिसने सबको चौंका डाला था। दरअसल, कई द्वीप देशों के लिए यह एक वास्तविक समस्या बनने वाली है। दुनिया में अब तक 18 द्वीप पूरी तरह जलमग्न हो चुके है । अकेले 2007 में 2 करोड़ 50 लाख लोग द्वीपों के डूबने के कारण विस्थापित हुए जिनमें दस हजार की आबादी वाला भारत का लोहाचार द्वीप भी शामिल है । यहीं नहीं, तुवालू नामक देश सहित 40 मुल्कोंं में समुद्र का जल स्तर बढ़ने से हजारों लोगों के बेघर होने का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। मानवीय प्रयत्नों से इसे अब रोका नहीं जा सकता लेकिन मनुष्य को अपने सामूहिक भविष्य के लिए जलवायु परिवर्तन की समस्या को रोकने के लिए तत्काल कदम तो उठाने ही पड़ेंगे ।