जनपद का वृक्ष

Submitted by Hindi on Tue, 02/17/2015 - 13:40
Source
परिषद साक्ष्य धरती का ताप, जनवरी-मार्च 2006
नहीं सुखा पाओगे मुझको
ओ सप्त अश्वधारी भगवान भास्कर
सजल स्रोत जीवन से
गुंथी हुई है
धरती में
जड़ मेरी

झेल चुका हूं
घोर अकाल
वर्षा का अभाव
पूरे जनपद पर मेरे
ग्रीष्म ताप
तेज जलाती किरणें पैनी

तुमने जाना अपने को
रश्मिरथी सम्राट
प्रभु सता का

संकेतों पर चलने वाले
धनपतियों के रक्षक
नहीं सुखा पाओगे मुझको

जब चाहो
तब आना जनपद मेरे
अगले वसंत में
तुमको दूँगा पत्ते अपने