लखनऊ के बक्शी का तालाब से निकली रेठ नदी का पानी जलजीव व मनुष्य के लिये घातक है। इस बात का खुलासा नदी के पानी के कुछ दिन पहले लिये गए नमूने की जाँच रिपोर्ट में हुआ है। यह नमूना कुर्सी थाना के अगासड़ में संचालित हो रहे यांत्रिक स्लाटर हाउस अमरून फूड प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड से करीब तीन सौ मीटर की दूरी पर लिया गया था। यह नदी जिले से गुजरे वाली गोमती नदी में समाहित हो जाती है। हैरानी की बात तो यह है कि जिला प्रशासन ने नदी के पानी के शुद्धिकरण व उसकी वजहों तक जाकर रोकने के बजाय पूरी रिपोर्ट शासन को भेजकर चुप्पी साध ली है। अब इसको लेकर लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। क्योंकि यह एक ऐसी नदी है जो बाराबंकी की पहचान के तौर पर जानी जाती है।
इलाके के लोगों का कहना है कि चूँकि इस नदी की लम्बाई ज्यादा नहीं है ऐसे में अगर प्रशासन चाहे तो इस नदी को बचाने के लिये बेहतर प्रयास कर सकती है। लेकिन न तो प्रशासन की ओर से कुछ हो रहा है और न ही स्थानीय नेताओं की ओर से। जल संरक्षण को लेकर काम करने वालों ने जरूर नदी के प्रदूषित हो रहे पानी और खो रही नदी के अस्तित्व पर आगे आने की बात कहीं लेकिन अभी तक उसका कोई खास असर नहीं दिखा।
क्या कहा गया है रिपोर्ट में
शासन के आदेश पर गठित जिला स्तरीय टास्कफोर्स ने 23 मई को अगासड़ के यांत्रिक स्लाटर हाउस अमरून फूड प्रोडक्ट के अन्दर लगे अपशिष्ट शोधन यंत्र से निकलने वाले जल रेठ नदी में गिरने वाले स्थल तथा उससे करीब तीन सौ मीटर की दूरी पर पानी के तीन अलग-अलग नमूने लिये थे। फैक्टरी से करीब तीन सौ मीटर दूरी पर लिये गए पानी के नमूने की रिपोर्ट चौंकाने वाली आई है। इसमें बताया गया है कि पानी में बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) 210 मिलीग्राम प्रतिलीटर है। इसी प्रकार सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) 912 एमएल प्रति लीटर तथा एसएस की मात्रा 240 बताई गई है।
बेहद हानिकारक है पानी
फूड सिक्योरिटी एंड ड्रग अथॉरिटी (एफएसडीए) के अभिहीत अधिकारी मनोज कुमार वर्मा ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार नदी का पानी दूषित है तथा जलीय जीव व मनुष्य के लिये घातक है। हैरत करने वाली बात तो यह है कि दो अन्य नमूने फैक्टरी के अन्दर तथा फैक्टरी से नदी में छोड़े जाने वाले पानी के नमूने को ठीक बताया गया है।
जाँच रिपोर्ट ठीक नहीं, दोबारा होगी जाँच
शासन ने यह जाँच बीजेपी के हैदरगढ़ के एमएलए बैजनाथ रावत के 16 मई 2017 को विधानसभा में उठाए गए एक सवाल पर कराई थी। एमएलए ने सदन को बताया था कि अगासड़ में संचालित अमरून फूड प्रोडक्ट (स्लाटर हाउस) के द्वारा दूषित कचरा व पानी नदी में छोड़ा जा रहा है। इससे आसपास बीमारियाँ फैल रही हैै। फिलहाल एमएलए रावत ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नमूने की रिपोर्ट पर कहा कि यह जाँच आधी सच है। इसमें आधा सच छिपाया गया प्रतीत हो रहा है। इस मामले को मैं सीएम के सामने रखकर पुनः उच्चस्तरीय जाँच की सिफारिश करुँगा।
बाराबंकी के एडीएम प्रशासन अनिल कुमार सिंह कहते हैं कि रेठ नदी का पानी अगासड़ के पास दूषित होना पाया गया है। इस पर शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है। शासन के निर्णय पर अगला कदम प्रशासन उठाएगा।
सुधारा जाये तो जिन्दगी सुधर जाये लोगों की
बीकेटी के विधायक अविनाश त्रिवेदी कहते हैं कि रेठ नदी का उद्गम हमारे इलाके के लिये पहचान है। इस नदी का अस्तित्व खत्म नहीं होने दिया जाएगा। त्रिवेदी के मुताबिक नदी को लेकर जो समस्याएँ मेरी जानकारी में आई हैं उनको दूर किया जाएगा। इलाके के ही निवासी हर नारायण सिंह कहते हैं कि नदियों को सुधारने से लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा। वह कहते हैं कि इस नदी का अधिकांश हिस्सा या तो सूख चुका है या फिर मिट्टी से पट चुका है। इसको सुधार कर बारिश के पानी का संचयन किया जा सकता है। जो इलाके के दर्जनों गाँवों के हजारों किसानों के लिये जीवनदायिनी के काम के तौर पर काम आ सके। रेठ नदी का उद्गम बीकेटी के कुनौरा शाहपुर गाँव से है। बीकेटी के दाताराम लोध ने बताया कि यह नदी कुंहरावां, अमरसंडा, पलहटी, कुर्सी गाँव होते हुए बाराबंकी जिले में आगे जाकर गोमती नदी में मिल जाती है। हालांकि इस नदी की लम्बाई बहुत नहीं है लेकिन तकरीबन 37 किलाेमीटर लम्बी नदी बाराबंकी के अागे जाकर गोमती में समा जाती है।
मिलीभगत से नदी को नाला बना दिया
कुर्सी रोड स्थित इंडस्ट्रियल एरिया के आस-पास से निकली इस नदी को नाले की तरह पूरी तरह से बन्द कर दिया गया। कुछ साल पहले लोगों ने आपत्तियाँ की तो यह मामला सामने आया। हालांकि अभी भी इस इलाके से गुजरने वाली नदी अब नाले से बड़ी नहीं है। बाराबंकी के व्यापारी जिग्नेश चतुर्वेदी कहते हैं कि कहने को तो यह नदी है। लेकिन हकीकत में यह नाला भी नहीं है। 37 किलोमीटर लम्बी इस नदी का बहुत सा पैच भी सूख चुका है। इस इलाके में दुकान करने वाले रामचरन कहते हैं कि उन्होंने अभी जल्द ही अपना काम शुरू किया है। लोगों ने जब बताया कि यह रेठ नदी है तब पता चला कि यह कोई नदी है वरना हकीकत में तो यह कोई नाले से कम नहीं है। वह कहते हैं कि अगर शासन-प्रशासन स्तर पर कोई सुधार नहीं हो सकता है तो लोगों को नदी बचाने के लिये सामने आना चाहिए उनका कहना है कि इस इंडस्ट्रियल एरिया आस-पास के दुकानदार और गाँव वाले तो नदी को बचाना चाहते हैं लेकिन बड़े उद्यमी अभी भी नदी को पाटने में लगे हुए हैं।
लोगों ने कहा अब नहीं सुधरी तो करेंगे आन्दोलन
बीकेटी से लेकर कुर्सी और बाराबंकी के किसानों ने आन्दोलन करने की बात कही। बेहटा के किसान राममूर्ति ने कहा कि एक तो नदी में पानी नहीं। अगर है भी तो उसका पानी जहर बन चुका है। अगर शासन स्तर पर कुछ नहीं हुआ तो इलाके के किसान आन्दोलन भी करेंगे। बाराबंकी के किसान अमर नाथ कहते हैं कि अगर जल्द ही नदी में पानी की समस्या दूर नहीं हुई तो किसान राजधानी में घेराव करेंगे।