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पंचायतनामा, 11-17 अगस्त 2014
संवाददाता- बिहार और झारखंड राज्य में मत्स्य पालन को लेकर काफी संभावनाएं हैं। मत्स्य पालन को रोजगार के रूप में अपना कर बेहतर आय अर्जित की जा सकती है। पिछले कुछ दशकों से मत्स्य पालन ने खेती का रूप ले लिया है और एक सफल आर्थिक कार्यकलाप के रूप में देखा जाता है।
झारखंड के पशुपालन व मत्स्य विभाग के आंकड़े के अनुसार, राज्य में 1.15 लाख टन मछली की सालाना मांग होती है जबकि राज्य में मछली का उत्पादन 71,000 मिट्रिक टन हो रहा है। बाकी की मांग की आपूर्ति आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यों से की जाती है। मत्स्य पालन, मछली बीज का उत्पादन, बाजार, जाल तथा नाव का निर्माण करना आदि अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है।
बिहार और झारखंड राज्य में मत्स्य पालन को लेकर काफी संभावनाएं हैं। मत्स्य पालन को रोजगार के रूप में अपना कर बेहतर आय अर्जित की जा सकती है।इसी तरह बिहार में भी मछली पालन के अच्छे अवसर मौजूद हैं। राज्य सरकार यह मानती है कि मछली पालन से रोजगार के अवसरों को बढ़ा कर ग्रामीण क्षेत्र के वैसे समुदाय जिनकी आजीविका खेती पर आधारित है, उनके आर्थिक और सामाजिक जीवन में बदलाव लाया जा सकता है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में मत्स्य पालन विभाग ने एक लाख चालीस हजार टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
इस योजना में राज्य के वैसे सभी सक्रिय मछली पालकों का लाभ पहुंचना है जो किसी भी निबंधित मत्स्य जीवी सहयोग समिति या मत्स्य जीवी स्वावलंबी समिति के सदस्य हो अथवा जिला स्तर पर, प्रमंडल स्तर पर अथवा राज्य स्तर पर मत्स्य विभाग से संबद्ध मत्स्य कृषक, मत्स्य विक्रेता, मत्स्य बीज उत्पादक अथवा मत्स्य मित्र हों। इस योजना के तहत मछली पालक की मृत्यु होने पर अथवा पूर्ण अपंग होने की स्थिति में बीमा कंपनी द्वारा उसके आश्रित को एक लाख रुपए की बीमा राशि तथा स्थाई आंशिक अपंग की स्थिति में 50,000 रुपए का भुगतान किया जाता है।
यह एक आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जिसमें राज्य स्तर पर मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र, धुर्वा, रांची द्वारा दो दिवसीय तथा पांच दिवसीय प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है। दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पहले से प्रशिक्षित मत्स्य पालकों के लिए आयोजित किया जाता है। पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम नव चयनित मत्स्य कृषक के लिए आयोजित किया जाता है।
यहां पर वैसे सभी इच्छुक मत्स्य कृषक प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं, जिनके पास निजी, सरकारी अथवा पट्टा पर जलकर अथवा हिस्सेदारी का तालाब हो एवं मछली पालन को अपना रोजगार बनाना चाहते हों। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थी को दैनिक भत्ता 150 रुपए प्रतिदिन तथा आने-जाने का भाड़ा 375 रुपए दिए जाते हैं। प्रशिक्षणार्थी को अपने खाने का व्यय प्रशिक्षण भत्ता से स्वयं वहन करना होता है।
इस योजना के तहत गरीब एवं कच्चे मकान वाले सक्रिय मछुआरा बहुल इलाके में सामूहिक रूप से 10 या इससे अधिक मछुवा घर का निर्माण कराया जाता है। इस योजना के तहत प्रति आवास इकाई लागत 50,000 रुपया का अधिकतम अनुदान है।
विभागीय प्रक्षेत्रों से 22 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन किया जाना है। उत्पादित मत्स्य बीज की बिक्री उसकी उम्र के अनुसार 100 रुपए से 400 रुपए प्रति हजार की दर पर बिक्री की जाएगी। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मत्स्य कृषकों को 20 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है जो नगद राशि पर मछली बीज की खरीद के लिए हों।
राज्य में 112 करोड़ मछली बीज की मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय, प्रखंड व पंचायत स्तर पर मछली बीज उत्पादन एवं वितरण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रशिक्षित मत्स्य बीज उत्पादकों को अनुदान पर मत्स्य स्पॉन आपूर्ति की योजना है। इसके अंतर्गत स्पॉन (अंडा) का मूल्य अधिकतम 550 रुपए प्रति लाख का 75 प्रतिशत व्यय का वहन राज्य सरकार द्वारा तथा 25 प्रतिशत व्यय का वहन मत्स्य बीज उत्पादक द्वारा किया जाना है। मत्स्य बीज उत्पादकों को मत्स्य बीज के सफल उत्पादन हेतु 2000 रुपए का फैक्ट्री फॉरमूलेटेड फीड के साथ जाल, हापा आदि के क्रय पर 1000 रुपए अनुदान स्वरूप उपलब्ध कराया जाएगा।
जलाशयों में अधिक मछली उत्पादन के लिए पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत जलाशयों में गठित मत्स्य जीवी सहयोग समिति के सक्रिय सदस्यों, मत्स्य बीज उत्पादकों के माध्यम से जलाशयों में प्रति हेक्टेयर 2000 की दर से मत्स्य अंगुलिकाओं के संचयन हेतु जलाशय के छाड़न जलक्षेत्र में मत्स्य स्पॉन संचित कर मत्स्य अंगुलिकाओं का उत्पादन किया जाना है। इस हेतु प्रति लाख 10,000 रुपए मात्र की दर से उत्पादन एवं संचयन पर विभागीय सहयोग एवं विभाग के स्तर पर व्यय की योजना है।
इन सीटू मत्स्य बीज के उत्पादन अथवा संचयन के अतिरिक्त 50 हेक्टेयर तक के जलाशय, चेकडेम, क्वेरी जैसे माइनिंग के बाद बने स्थिर जल क्षेत्र में 2000 मत्स्य अंगुलिकाएं प्रति हेक्टेयर की दर से संचित की जानी है। इसके अतिरिक्त 50 हेक्टेयर से 500 हेक्टेयर तक के जलाशयों में 1000 अंगुलिकाएं प्रति हेक्टेयर तथा 500 हेक्टेयर से बड़े जल क्षेत्र के जलाशयों में 500 अंगुलिकाएं प्रति हेक्टेयर की दर से मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन किया जाएगा।
चयनित मत्स्य मित्रों के माध्यम से मत्स्य बीज का संचयन, संवर्धन एवं उनके द्वारा मत्स्य कृषकों को समय-समय पर जागरूकता एवं तकनीकी सलाह प्रदान करने पर 150 रुपए प्रति हेक्टेयर जल क्षेत्र की दर से मानदेय का भुगतान किया जाएगा। साथ ही नए तालाबों के सर्वेक्षण पर प्रति तालाब 100 रुपए की दर से भुगतान बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से किया जाएगा।
राज्य के 40 एकड़ निजी जल क्षेत्र में प्रत्यक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रति एकड़ एक लाख रुपए व्यय कर पांच टन पंगेशियस मछली के उत्पादन करने वाले मत्स्य कृषकों को काम के समाप्त होने पर 40,000 रुपए प्रति एकड़ की दर से सहायता प्रदान करने की योजना है।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत रंगीन मछली पालन एवं इसके बढ़ावा देने के लिए मछली अनुसंधान केंद्र, रांची की ओर से रंगीन मछली के पालन, प्रजनन और वितरण से जुड़े और जुड़ने की इच्छा रखने वाले लाभुकों को सहायता प्रदान की जाती है।
मत्स्य मित्रों व मत्स्य बीज उत्पादकों को मोबाइल रिचार्ज वाउचर की प्रतिपूर्ति के लिए एक वर्ष में अधिकतम 500 रुपए प्रदान किया जाना है।
राज्य में मत्स्य बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं मत्स्य बीज उत्पादकों को नई तकनीक से अपडेट रखने के लिए तीन दिनों का कार्यशाला विभाग की ओर से आयोजित की जाती है। कार्यशाला में भाग लेने वाले को 150 रुपए प्रतिदिन की दर से मानदेय तथा आवागमन हेतु 325 रुपए का भुगतान इस योजना के अंतर्गत होता है।
200 क्विंटल मछली अथवा 50 लाख मत्स्य बीज तैयार, विपणन करने वाले मत्स्यजीवी सहयोग समितियों को परिवहन में सुविधा के लिए पिक-अप वैन के क्रय हेतु अधिकतम दो लाख रुपए अथवा मूल्य का 50 प्रतिशत जो भी कम हो प्रदान किए जाने का प्रावधान है।
पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर मत्स्य पालकों के बीच जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष में दो बार गोष्ठी का आयोजन किया जाना है। भाग लेने वाले मछली पालकों को 100 रुपए प्रतिदिन की दर से राशि व्यय की जाती है।
प्रगतिशील मत्स्य कृषकों, मत्स्य मित्रों तथा मत्स्य बीज उत्पादकों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार स्वरूप सम्मानित भी किया जाता है। इसके अंतर्गत मछली पालन के प्रचार-प्रसार एवं विपणन हेतु मोटरसाइकिल अथवा 2-3 एचपी का डीजल पंप सेट की खरीद पर व्यय का 50 प्रतिशत या अधिकतम 20,000 अथवा 10,000 रुपए जो भी कम हो दिया जाएगा। चयनित मछली बीज उत्पादकों को हैचरी के प्रचार-प्रसार हेतु दो स्पॉनिंग पूल के निर्माण हेतु अधिकतम 20,000 रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
इस योजना के तहत विभिन्न मछली पालन का काम करने वाले जैसे स्वयं की जमीन पर तालाब का निर्माण, तालाब का जीर्णोद्धार, बैंक ऋण या स्वयं के द्वारा किए गए व्यय के अनुपात में भारत सरकार द्वारा स्वीकृत दर पर अनुदान मुहैया कराया जाता है। इसकी पूरी जानकारी जिला मत्स्य कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है।
इस योजना के तहत मत्स्य कृषकों के तालाबों की मिट्टी, पानी की जांच मत्स्य अनुसंधान केंद्र में मुफ्त की जाती है।
इस योजना के अंतर्गत राज्य में घूम-घूम कर मछली बेचने वालों को आइस बाक्स (बर्फ का डिब्बा) के साथ साइकिल की खरीद करने के लिए प्रति इकाई लागत का 50 प्रतिशत, अधिकतम 3500 रुपए तथा गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह करने वाले खुदरा मत्स्य विक्रेताओं को 75 प्रतिशत, अधिकतम 5250 रुपए अनुदान के साथ ही 1000 रुपए तक की एक जोड़ी यूनिफॉर्म दिए जाने की योजना है।
चयनित प्रगतिशील मछली पालकों, मछली बीज उत्पादकों को राज्य के बाहर अन्य राज्यों में मछली पालन होने वाले क्षेत्रों में घुमने और जानकारी लेने के लिए वास्तविक बस अथवा स्लीपर श्रेणी का रेल भाड़ा के साथ-साथ मानदेय अधिकतम 150 रुपए प्रतिदिन देने की योजना है।
झारखंड के पशुपालन व मत्स्य विभाग के आंकड़े के अनुसार, राज्य में 1.15 लाख टन मछली की सालाना मांग होती है जबकि राज्य में मछली का उत्पादन 71,000 मिट्रिक टन हो रहा है। बाकी की मांग की आपूर्ति आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यों से की जाती है। मत्स्य पालन, मछली बीज का उत्पादन, बाजार, जाल तथा नाव का निर्माण करना आदि अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है।
बिहार और झारखंड राज्य में मत्स्य पालन को लेकर काफी संभावनाएं हैं। मत्स्य पालन को रोजगार के रूप में अपना कर बेहतर आय अर्जित की जा सकती है।इसी तरह बिहार में भी मछली पालन के अच्छे अवसर मौजूद हैं। राज्य सरकार यह मानती है कि मछली पालन से रोजगार के अवसरों को बढ़ा कर ग्रामीण क्षेत्र के वैसे समुदाय जिनकी आजीविका खेती पर आधारित है, उनके आर्थिक और सामाजिक जीवन में बदलाव लाया जा सकता है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में मत्स्य पालन विभाग ने एक लाख चालीस हजार टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
सामूहिक बीमा योजना
इस योजना में राज्य के वैसे सभी सक्रिय मछली पालकों का लाभ पहुंचना है जो किसी भी निबंधित मत्स्य जीवी सहयोग समिति या मत्स्य जीवी स्वावलंबी समिति के सदस्य हो अथवा जिला स्तर पर, प्रमंडल स्तर पर अथवा राज्य स्तर पर मत्स्य विभाग से संबद्ध मत्स्य कृषक, मत्स्य विक्रेता, मत्स्य बीज उत्पादक अथवा मत्स्य मित्र हों। इस योजना के तहत मछली पालक की मृत्यु होने पर अथवा पूर्ण अपंग होने की स्थिति में बीमा कंपनी द्वारा उसके आश्रित को एक लाख रुपए की बीमा राशि तथा स्थाई आंशिक अपंग की स्थिति में 50,000 रुपए का भुगतान किया जाता है।
मत्स्य कृषक प्रशिक्षण
यह एक आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जिसमें राज्य स्तर पर मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र, धुर्वा, रांची द्वारा दो दिवसीय तथा पांच दिवसीय प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है। दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पहले से प्रशिक्षित मत्स्य पालकों के लिए आयोजित किया जाता है। पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम नव चयनित मत्स्य कृषक के लिए आयोजित किया जाता है।
यहां पर वैसे सभी इच्छुक मत्स्य कृषक प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं, जिनके पास निजी, सरकारी अथवा पट्टा पर जलकर अथवा हिस्सेदारी का तालाब हो एवं मछली पालन को अपना रोजगार बनाना चाहते हों। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थी को दैनिक भत्ता 150 रुपए प्रतिदिन तथा आने-जाने का भाड़ा 375 रुपए दिए जाते हैं। प्रशिक्षणार्थी को अपने खाने का व्यय प्रशिक्षण भत्ता से स्वयं वहन करना होता है।
मछुआरों के लिए मछुवा आवास योजना
इस योजना के तहत गरीब एवं कच्चे मकान वाले सक्रिय मछुआरा बहुल इलाके में सामूहिक रूप से 10 या इससे अधिक मछुवा घर का निर्माण कराया जाता है। इस योजना के तहत प्रति आवास इकाई लागत 50,000 रुपया का अधिकतम अनुदान है।
विभागीय मत्स्य बीज वितरण
विभागीय प्रक्षेत्रों से 22 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन किया जाना है। उत्पादित मत्स्य बीज की बिक्री उसकी उम्र के अनुसार 100 रुपए से 400 रुपए प्रति हजार की दर पर बिक्री की जाएगी। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मत्स्य कृषकों को 20 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है जो नगद राशि पर मछली बीज की खरीद के लिए हों।
मछली बीज उत्पादकों को मत्स्य बीज वितरण हेतु अनुदान
राज्य में 112 करोड़ मछली बीज की मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय, प्रखंड व पंचायत स्तर पर मछली बीज उत्पादन एवं वितरण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रशिक्षित मत्स्य बीज उत्पादकों को अनुदान पर मत्स्य स्पॉन आपूर्ति की योजना है। इसके अंतर्गत स्पॉन (अंडा) का मूल्य अधिकतम 550 रुपए प्रति लाख का 75 प्रतिशत व्यय का वहन राज्य सरकार द्वारा तथा 25 प्रतिशत व्यय का वहन मत्स्य बीज उत्पादक द्वारा किया जाना है। मत्स्य बीज उत्पादकों को मत्स्य बीज के सफल उत्पादन हेतु 2000 रुपए का फैक्ट्री फॉरमूलेटेड फीड के साथ जाल, हापा आदि के क्रय पर 1000 रुपए अनुदान स्वरूप उपलब्ध कराया जाएगा।
जलाशय के छाड़न में मत्स्य अंगुलिकाओं का उत्पादन एवं संचयन
जलाशयों में अधिक मछली उत्पादन के लिए पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत जलाशयों में गठित मत्स्य जीवी सहयोग समिति के सक्रिय सदस्यों, मत्स्य बीज उत्पादकों के माध्यम से जलाशयों में प्रति हेक्टेयर 2000 की दर से मत्स्य अंगुलिकाओं के संचयन हेतु जलाशय के छाड़न जलक्षेत्र में मत्स्य स्पॉन संचित कर मत्स्य अंगुलिकाओं का उत्पादन किया जाना है। इस हेतु प्रति लाख 10,000 रुपए मात्र की दर से उत्पादन एवं संचयन पर विभागीय सहयोग एवं विभाग के स्तर पर व्यय की योजना है।
जलाशयों में मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन
इन सीटू मत्स्य बीज के उत्पादन अथवा संचयन के अतिरिक्त 50 हेक्टेयर तक के जलाशय, चेकडेम, क्वेरी जैसे माइनिंग के बाद बने स्थिर जल क्षेत्र में 2000 मत्स्य अंगुलिकाएं प्रति हेक्टेयर की दर से संचित की जानी है। इसके अतिरिक्त 50 हेक्टेयर से 500 हेक्टेयर तक के जलाशयों में 1000 अंगुलिकाएं प्रति हेक्टेयर तथा 500 हेक्टेयर से बड़े जल क्षेत्र के जलाशयों में 500 अंगुलिकाएं प्रति हेक्टेयर की दर से मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन किया जाएगा।
मत्स्य मित्रों के माध्यम से मत्स्य बीज का संचयन, संवर्धन तथा नए तालाबों का सर्वेक्षण
चयनित मत्स्य मित्रों के माध्यम से मत्स्य बीज का संचयन, संवर्धन एवं उनके द्वारा मत्स्य कृषकों को समय-समय पर जागरूकता एवं तकनीकी सलाह प्रदान करने पर 150 रुपए प्रति हेक्टेयर जल क्षेत्र की दर से मानदेय का भुगतान किया जाएगा। साथ ही नए तालाबों के सर्वेक्षण पर प्रति तालाब 100 रुपए की दर से भुगतान बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से किया जाएगा।
निजी क्षेत्र में पंगेशियस मछली का प्रत्यक्षण
राज्य के 40 एकड़ निजी जल क्षेत्र में प्रत्यक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रति एकड़ एक लाख रुपए व्यय कर पांच टन पंगेशियस मछली के उत्पादन करने वाले मत्स्य कृषकों को काम के समाप्त होने पर 40,000 रुपए प्रति एकड़ की दर से सहायता प्रदान करने की योजना है।
रंगीन मछलियों का पालन, प्रजनन एवं विस्तार कार्य
पायलट प्रोजेक्ट के तहत रंगीन मछली पालन एवं इसके बढ़ावा देने के लिए मछली अनुसंधान केंद्र, रांची की ओर से रंगीन मछली के पालन, प्रजनन और वितरण से जुड़े और जुड़ने की इच्छा रखने वाले लाभुकों को सहायता प्रदान की जाती है।
मोबाइल रिचार्ज वाउचर की प्रतिपूर्ति
मत्स्य मित्रों व मत्स्य बीज उत्पादकों को मोबाइल रिचार्ज वाउचर की प्रतिपूर्ति के लिए एक वर्ष में अधिकतम 500 रुपए प्रदान किया जाना है।
बीज उत्पादकों की कार्यशाला
राज्य में मत्स्य बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं मत्स्य बीज उत्पादकों को नई तकनीक से अपडेट रखने के लिए तीन दिनों का कार्यशाला विभाग की ओर से आयोजित की जाती है। कार्यशाला में भाग लेने वाले को 150 रुपए प्रतिदिन की दर से मानदेय तथा आवागमन हेतु 325 रुपए का भुगतान इस योजना के अंतर्गत होता है।
मत्स्य जीवी सहयोग समितियों को पिक-अप वैन
200 क्विंटल मछली अथवा 50 लाख मत्स्य बीज तैयार, विपणन करने वाले मत्स्यजीवी सहयोग समितियों को परिवहन में सुविधा के लिए पिक-अप वैन के क्रय हेतु अधिकतम दो लाख रुपए अथवा मूल्य का 50 प्रतिशत जो भी कम हो प्रदान किए जाने का प्रावधान है।
मत्स्य कृषक गोष्ठी
पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर मत्स्य पालकों के बीच जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष में दो बार गोष्ठी का आयोजन किया जाना है। भाग लेने वाले मछली पालकों को 100 रुपए प्रतिदिन की दर से राशि व्यय की जाती है।
प्रगतिशील मत्स्य कृषकों, मछली बीज उत्पादकों, मत्स्य मित्रों को उत्कृष्ट कार्य हेतु पुरस्कार
प्रगतिशील मत्स्य कृषकों, मत्स्य मित्रों तथा मत्स्य बीज उत्पादकों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार स्वरूप सम्मानित भी किया जाता है। इसके अंतर्गत मछली पालन के प्रचार-प्रसार एवं विपणन हेतु मोटरसाइकिल अथवा 2-3 एचपी का डीजल पंप सेट की खरीद पर व्यय का 50 प्रतिशत या अधिकतम 20,000 अथवा 10,000 रुपए जो भी कम हो दिया जाएगा। चयनित मछली बीज उत्पादकों को हैचरी के प्रचार-प्रसार हेतु दो स्पॉनिंग पूल के निर्माण हेतु अधिकतम 20,000 रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
मछली पालक विकास अभिकरण योजना
इस योजना के तहत विभिन्न मछली पालन का काम करने वाले जैसे स्वयं की जमीन पर तालाब का निर्माण, तालाब का जीर्णोद्धार, बैंक ऋण या स्वयं के द्वारा किए गए व्यय के अनुपात में भारत सरकार द्वारा स्वीकृत दर पर अनुदान मुहैया कराया जाता है। इसकी पूरी जानकारी जिला मत्स्य कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है।
तालाबों के मिट्टी, पानी की जांच
इस योजना के तहत मत्स्य कृषकों के तालाबों की मिट्टी, पानी की जांच मत्स्य अनुसंधान केंद्र में मुफ्त की जाती है।
मत्स्य डोमेस्टिक मार्केट
इस योजना के अंतर्गत राज्य में घूम-घूम कर मछली बेचने वालों को आइस बाक्स (बर्फ का डिब्बा) के साथ साइकिल की खरीद करने के लिए प्रति इकाई लागत का 50 प्रतिशत, अधिकतम 3500 रुपए तथा गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह करने वाले खुदरा मत्स्य विक्रेताओं को 75 प्रतिशत, अधिकतम 5250 रुपए अनुदान के साथ ही 1000 रुपए तक की एक जोड़ी यूनिफॉर्म दिए जाने की योजना है।
राज्य के बाहर परिभ्रमण
चयनित प्रगतिशील मछली पालकों, मछली बीज उत्पादकों को राज्य के बाहर अन्य राज्यों में मछली पालन होने वाले क्षेत्रों में घुमने और जानकारी लेने के लिए वास्तविक बस अथवा स्लीपर श्रेणी का रेल भाड़ा के साथ-साथ मानदेय अधिकतम 150 रुपए प्रतिदिन देने की योजना है।