1- अगर स्वास्थ्यप्रद स्थितियां या बेहतर स्वस्थ माहौल की बात की जाए तो इसमें निजी साफ-सफाई से लेकर आसपास का साफ-सुथरा माहौल भी शामिल होता है। यूं भी पानी से जुड़ी बीमारियों या प्रदूषित पानी, खराब स्वास्थ्य और गरीबी का एक खास दायरा गंदे पानी और साफ-सफाई की खराब स्थितियों की वजह से सामने आता है।
2- साफ-सफाई का ध्यान न रखने से पानी प्रदूषित होता है। प्रदूषित पानी यानी जिसमें गंदगी की वजह से सूक्ष्म जीव पैदा होने लगते हैं।
3- दुनिया की 26 अरब से ज्यादा की आबादी में से 40 प्रतिशत बुनियादी सफाई सुविधाओं से महरूम है।
4- दुनिया में एक अरब से भी ज्यादा लोग प्रदूषित पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करते हैं।
5- बीमारियों और खराब स्वास्थ्य का सीधा संबंध गंदे पानी, सफाई का अभाव और अस्वस्थकर स्थितियों से है। गंदे पानी और गंदगी से डायरिया, टाइफाइड, पाराटाइफाइड, बुखार, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस ई और एफ, फ्लूरोसिस, आर्सेनिक जनित बीमारी जैसी बीमारियां होती हैं। कुछ दूसरी बीमारियां हैं:- लेजिनोलिसिस, मेथमोग्लोबीनेमिया, सिन्टोसोमिएसिस, आंत का संक्रमण, डेंगू, मलेरिया, जापानी इंसेफलाइटिस। वेस्टनील वायरस संक्रमण, येलो फीवर और इम्पेटिगो यानी त्वचा से संबंधित बीमारी भी हो सकती है।
5- दुनिया भर में डायरिया से 1,085,000 से लेकर 2,187,000 मौतें हो जाती हैं। यह मौतें गंदे पानी, खराब सफाई व्यवस्था और दूषित पानी के कारण हो जाती हैं। डायरिया से मरने वाले 90 फीसदी पांच साल से कम के बच्चे होते हैं।
6- साफ और गैर हानिकारक पानी की आपूर्ति, बेहतर सफाई और स्वस्थ माहौल डायरिया को 20 प्रतिशत तक घटा सकती है। बेहतर स्थिति से डायरिया से होने वाली 50 प्रतिशत मौतें कम हो सकती है।
7- शौच-गृह के इस्तेमाल या बच्चों का मल-मूत्र साफ करने के बाद हाथ धोने और भोजन से पहले हाथों की अच्छी तरह सफाई डायरिया को 33 प्रतिशत कम कर देती है।
8- सफाई का अंतरराष्ट्रीय लक्ष्य पूरा करने के लिए हर साल 14 करोड़ लोगों को बेहतर सफाई व्यवस्था मुहैया करानी होगी। 1990 और 2002 तक सिर्फ साढ़े आठ करोड़ लोगों को ही बेहतर सफाई व्यवस्था मुहैया थी। सरकारों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह एक बड़ी चुनौती है।