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यथावत, 16-30 अप्रैल 2015
राजनाथ सिंह ने जब बेंती गाँव को आदर्श गाँव योजना के लिये चुना तो वहाँ रहने वालों के आनन्द का ठिकाना न था। पर जल्दी ही उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया लगता है उनके सपने टूटने लगे हैं।
बेंती गाँव के विकास को लेकर सरकारी अधिकारी और कर्मचारी कितने जागरूक हैं, इसका अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज तक जनपद स्तर से लेकर सरोजनी नगर विकासखण्ड तक के अधिकारियों और कर्मचारियों के पास गाँव की सही जानकारी नहीं है। ऐसी स्थिति में केन्द्रीय गृहमन्त्री द्वारा सांसद आदर्श ग्राम योजना के बारे में 6 दिसम्बर को बेंती में व्यक्त किया गया विचार धरातल पर उतरेगा या नहीं, यह संशय बेंतीवासियों के मन में गहरा बैठता जा रहा है।6 दिसम्बर, 2014 का दिन लखनऊ जनपद के सरोजनी नगर ब्लॉक के बेंती गाँव के निवासियों के लिये खास था। इसकी वजह थी देश के गृहमन्त्री, प्रदेश के पूर्व मुख्यमन्त्री और वर्तमान सांसद राजनाथ सिंह द्वारा सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इस गाँव को गोद लिया जाना। इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने गाँव के प्राथमिक विद्यालय पर चौपाल लगाई। ग्रामवासियों ने जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में अपनी समस्याएँ बताईं। राजनाथ सिंह ने ग्रामीणों के समस्याओं को ध्यान से सुना। फिर सहयोगियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश देते हुए गाँव में प्रवेश कर गए। इसी दिन बेंती में उन्होंने ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स की शाखा का उद्घाटन भी किया। ग्रामीणों को अहसास हुआ कि उनके गाँव की तस्वीर और तकदीर अब बदल जाएगी। लगा कि अब ग्राम सभा की भूमि पर अवैध कब्जे और खुली नालियों, बरसात के दिनों में होने वाली जल निकासी की समस्या, इन सभी से छुटकारा मिल जाएगा। गाँव में इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज और अस्पताल बन जाएगा। युवाओं को गाँव में खेल का मैदान न होना अखरता था। इन सभी को महसूस हुआ कि राजनाथ का कद इतना बड़ा है कि अब हमारी इन सभी समस्याओं का शीघ्र ही समाधान हो जाएगा।
सांसद आदर्श ग्राम योजना में चयनित होने पर बेंती निवासियों ने खुशी में आतिशबाजी की थी। गाँव में मिठाई भी बँटी थी। विकास को तरस रहे ग्रामवासियों में खुशी का ठिकाना नहीं था। राजनाथ सिंह ने गाँव के उचित और समग्र विकास का आश्वासन देकर उपस्थित ग्रामीणों का मन जीत लिया। गाँव के ही प्राथमिक स्कूल पर लगी अपनी चौपाल में उन्होंने ग्राम स्वराज की मूल अवधारणा पर भाषण दिया। उन्होंने कहा कि यदि नेताओं ने अपना दायित्व निर्वहन सही ढंग से किया होता तो आज गाँव गोद नहीं लेना पड़ता। मैं गाँव के विकास को लेकर कोई वायदा नहीं करुँगा। मैं वही कहूँगा, जिसे पूरा करुँगा। उनकी बातें सुनकर बेंती के निवासियों को लगा कि अब हमारा गाँव आदर्श गाँव बनकर रहेगा। राजनाथ सिंह ने बेंती के नागरिकों को जल्द-से-जल्द टेली मेडीसिन की सुविधा उपलब्ध कराना, पशु चिकित्सालय, सोलर प्लांट, सी.सी. रोड, शौचालय, पशुधन प्रसार की योजनाएँ और अन्य लाभकारी योजनाओं के बारे में बताकर ग्रामीणों को सुखद ग्राम्य जीवन का सपना दिखाया।
लेकिन 4 महीने बाद अब इन ग्रामीणों को लग रहा है कि यह उनका भ्रम मात्र था। उन्होंने जो सपने संजोए थे, वे अब बिखर रहे हैं। गाँव के कृषक रमाकान्त और अजय कुमार का कहना है कि गाँव में सिंचाई का साधन नहीं है। गाँव में सरकारी नलकूप की आवश्यकता है। गाँव से एक किलोमीटर दूर बहने वाली सई नदी से सिंचाई की सुविधा यदि उपलब्ध करा दी जाए तो हमारे गाँव में खेती की स्थिति सुधर जाएगी। गाँव में कोई कारखाना नहीं है। खेती एवं मजदूरी ही आय का प्रमुख स्रोत है। लखनऊ के करीब होने की वजह से गाँव के लगभग 50 प्रतिशत लोग यहीं रहते हैं। गाँव में 40 कुएँ हैं, पर सब सूखे हैं। गाँव वाले गाँव के मध्य में स्थित प्राचीन महादेव मन्दिर दिखाते हुए कहते हैं कि यहाँ तक माननीय सांसद आए थे। इस मन्दिर में पूजन-अर्चन के बाद उन्होंने इस गाँव को आदर्श बनाने का अपना संकल्प दोहराया था। मन्दिर के बगल में रहने वाले राजेश कोहार और गुड़िया, जो मेहनत-मजदूरी करके अपना जीवनयापन करते हैं, का कच्चा घर चार साल पहले गिर गया था। सर्वे भी हुआ लेकिन आज तक इन्हें मुआवजा नहीं मिल पाया। उन्हें भी राजनाथ के रूप में एक उम्मीद की किरण दिखी। रविशंकर, रफी अहमद भी याद करते हैं कि सांसद महोदय ने शहीद बाबा के मजार की चारदीवारी बनाने और हैण्डपम्प लगवाने का भी वायदा किया था, जो आज तक अधूरा है। गाँव के नाले पर अवैध अतिक्रमण है। जिसमें ग्रामसभा की 10 बिस्वा जमीन भी अवैध रूप से कब्जा हो गई है।
गाँव में प्रवेश करने वाले रास्तों में से एक को छोड़कर बाकी की स्थिति बदहाल है। अधिकांश घरों में शौचालय नहीं है। गाँव के मुख्यमार्ग पर लगा इण्डिया मार्का हैण्डपम्प बारिश में डूब जाता है। अधिकांश लोगों को एक अदद आवास की आवश्यकता है। गाँव की वृद्धा विजय लक्ष्मी के पास खर्च चलाने का भी साधन नहीं है। वे भूमिहीन हैं लेकिन पेंशन नहीं मिलती है। 06 दिसम्बर के 2 महीने बाद गाँव में लखनऊ के मुख्य विकास अधिकारी ने जूनियर हाईस्कूल में चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएँ सुनीं और समाधान का आश्वासन दिया। पर वह कोरा आश्वासन ही रहा।
चूँकि राजनाथ सिंह का संसदीय क्षेत्र शहरी है, इसलिये उन्होंने जिले की दूसरी लोकसभा सीट मोहनलालगंज का यह गाँव सांसद आदर्श गाँव योजना हेतु चुना। प्रदेश के राजधानी लखनऊ का यह गाँव दूसरे पिछड़े गाँव की ही तरह है। यहाँ भी दूसरे गाँव की तरह अधिकारी एवं कर्मचारी ग्रामीणों को आश्वासन की घुट्टी पिला रहे हैं। मोदी सरकार के गठन के लगभग 300 दिन पूरे होने को हैं। गाँव में पसरी गन्दगी मोदी के स्वच्छता अभियान से मुँह चिढ़ा रहा है। ग्रामीणों को यह उम्मीद थी कि राजनाथ सिंह के गोद लेने से उनका गाँव पूरे लखनऊ में आदर्श गाँव की तरह दिखने लगेगा। यहाँ उच्च शिक्षण संस्थान, अस्पताल, कारखाने, बाजार खुल जाएँगे, गाँव की सड़कें, नालियाँ पक्की हो जाएँगी। निराश्रित और वृद्ध जनों को पेंशन मिलने लगेगी। हाईवे से लगा होने के कारण प्रायः होने वाली लूट पाट से छुटकारा दिलाने के लिये पुलिस चौकी खुल जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब बेंती के नागरिक निराश हो चले हैं। निराश होने वालों में भाजपा के कार्यकर्ता भी हैं। वे बड़ी उम्मीद के साथ गाँव में आने वाले हर व्यक्ति से कहते थे कि हमें नहीं याद है कि भाजपा हमारे गाँव में कभी चुनाव जीती। राजनाथ सिंह के गाँव गोद लेने से हमारी उम्मीद बढ़ गई है।
विकास की बाट जोह रहे बेंती के लोग पिछली 6 दिसम्बर के प्रथम सप्ताह की बातों की याद करके दुखी हो रहे हैं। तब गाँव में प्रवेश करने वाला प्रत्येक भाजपा नेता कार्यकर्ता अपने को राजनाथ सिंह का निकटवर्ती होने का दावा करता हुआ विकास की ऊँचाईयों तक गाँव को ले जा रहा था। अभिषेक शुक्ल, शिवम और सत्यम शुक्ला जैसे नौजवान, जो कौशल विकास मिशन जैसे रोजगारपरक कार्यक्रम में प्रशिक्षण लेने लखनऊ जाना चाहते थे। उन्हें सरकारी कर्मचारियों के असहयोग के कारण अनेक दुश्वारियाँ उठानी पड़ी। ये सभी दुखी मन से कहते हैं कि 6 दिसम्बर के बाद जनवरी में लगी मुख्य विकास अधिकारी की चौपाल में हम नौजवान सरकारी उदासीनता के लिये अधिकारियों को घेरना चाहते थे, तब गाँव के बड़े बुजुर्ग ने हमें रोक दिया। अब हम सभी लाचार हैं। न तो गाँव में कोई सरकारी अधिकारी आ रहे हैं न ही सांसद प्रतिनिधि।
बेंती गाँव के विकास को लेकर सरकारी अधिकारी और कर्मचारी कितने जागरूक हैं, इसका अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज तक जनपद स्तर से लेकर सरोजनी नगर विकासखण्ड तक के अधिकारियों और कर्मचारियों के पास गाँव की सही जानकारी नहीं है। ऐसी स्थिति में केन्द्रीय गृहमन्त्री द्वारा सांसद आदर्श ग्राम योजना के बारे में 6 दिसम्बर को बेंती में व्यक्त किया गया विचार धरातल पर उतरेगा या नहीं, यह संशय बेंतीवासियों के मन में गहरा बैठता जा रहा है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना में जिन मूल्यों का प्रचार किया जाना है वे निम्न हैं-
1. अपने ध्येय के रूप में लोगों की भागीदारी को अपनाना, ग्रामीण जीवन से सम्बन्धित सभी पहलुओं खासकर शासन से सम्बन्धित निर्णय निर्माण में, समाज के सभी वर्गों की सहभागिता सुनिश्चित करना।
2. अन्त्योदय का अनुपालन-गाँव में “अति निर्धनों और कमजोर व्यक्तियों” के कल्याण में सहयोग करना।
3. महिला-पुरुष समानता की पुष्टि करना और महिलाओं का सम्मान सुनिश्चित करना।
4. सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना।
5. श्रम की गरिमा और सामुदायिक सेवा एवं स्वैच्छिक सेवा की भावना मन में बैठाना।
6. साफ-सफाई की आदत को बढ़ावा देना।
7. प्रकृति के सान्निध्य में रहना-विकास और पारिस्थितिकी में सन्तुलन सुनिश्चित करना।
8. स्थानीय सांस्कृतिक सम्पदा को संरक्षित रखना और इसे प्रोत्साहन देना।
9. पारस्परिक सहयोग, स्व-सहायता और आत्मविश्वास की भावना उत्पन्न करना।
10. ग्रामीण समुदाय में शान्ति और सौहार्द्र को बनाए रखना।
11. सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी बढ़ाना।
12. स्थानीय स्वशासन को सहायता प्रदान करना।
लेकिन इन मूल्यों का प्रचार कदाचित किसी आदर्श गाँव में हो रहा है। ऐसे में यदि ये गाँव विकसित भी हो जाते हैं तो भी महात्मा गाँधी का आदर्श ग्राम योजना रूपी स्वप्न अधूरा रहेगा।
बेंती गाँव के विकास को लेकर सरकारी अधिकारी और कर्मचारी कितने जागरूक हैं, इसका अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज तक जनपद स्तर से लेकर सरोजनी नगर विकासखण्ड तक के अधिकारियों और कर्मचारियों के पास गाँव की सही जानकारी नहीं है। ऐसी स्थिति में केन्द्रीय गृहमन्त्री द्वारा सांसद आदर्श ग्राम योजना के बारे में 6 दिसम्बर को बेंती में व्यक्त किया गया विचार धरातल पर उतरेगा या नहीं, यह संशय बेंतीवासियों के मन में गहरा बैठता जा रहा है।6 दिसम्बर, 2014 का दिन लखनऊ जनपद के सरोजनी नगर ब्लॉक के बेंती गाँव के निवासियों के लिये खास था। इसकी वजह थी देश के गृहमन्त्री, प्रदेश के पूर्व मुख्यमन्त्री और वर्तमान सांसद राजनाथ सिंह द्वारा सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इस गाँव को गोद लिया जाना। इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने गाँव के प्राथमिक विद्यालय पर चौपाल लगाई। ग्रामवासियों ने जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में अपनी समस्याएँ बताईं। राजनाथ सिंह ने ग्रामीणों के समस्याओं को ध्यान से सुना। फिर सहयोगियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश देते हुए गाँव में प्रवेश कर गए। इसी दिन बेंती में उन्होंने ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स की शाखा का उद्घाटन भी किया। ग्रामीणों को अहसास हुआ कि उनके गाँव की तस्वीर और तकदीर अब बदल जाएगी। लगा कि अब ग्राम सभा की भूमि पर अवैध कब्जे और खुली नालियों, बरसात के दिनों में होने वाली जल निकासी की समस्या, इन सभी से छुटकारा मिल जाएगा। गाँव में इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज और अस्पताल बन जाएगा। युवाओं को गाँव में खेल का मैदान न होना अखरता था। इन सभी को महसूस हुआ कि राजनाथ का कद इतना बड़ा है कि अब हमारी इन सभी समस्याओं का शीघ्र ही समाधान हो जाएगा।
सांसद आदर्श ग्राम योजना में चयनित होने पर बेंती निवासियों ने खुशी में आतिशबाजी की थी। गाँव में मिठाई भी बँटी थी। विकास को तरस रहे ग्रामवासियों में खुशी का ठिकाना नहीं था। राजनाथ सिंह ने गाँव के उचित और समग्र विकास का आश्वासन देकर उपस्थित ग्रामीणों का मन जीत लिया। गाँव के ही प्राथमिक स्कूल पर लगी अपनी चौपाल में उन्होंने ग्राम स्वराज की मूल अवधारणा पर भाषण दिया। उन्होंने कहा कि यदि नेताओं ने अपना दायित्व निर्वहन सही ढंग से किया होता तो आज गाँव गोद नहीं लेना पड़ता। मैं गाँव के विकास को लेकर कोई वायदा नहीं करुँगा। मैं वही कहूँगा, जिसे पूरा करुँगा। उनकी बातें सुनकर बेंती के निवासियों को लगा कि अब हमारा गाँव आदर्श गाँव बनकर रहेगा। राजनाथ सिंह ने बेंती के नागरिकों को जल्द-से-जल्द टेली मेडीसिन की सुविधा उपलब्ध कराना, पशु चिकित्सालय, सोलर प्लांट, सी.सी. रोड, शौचालय, पशुधन प्रसार की योजनाएँ और अन्य लाभकारी योजनाओं के बारे में बताकर ग्रामीणों को सुखद ग्राम्य जीवन का सपना दिखाया।
लेकिन 4 महीने बाद अब इन ग्रामीणों को लग रहा है कि यह उनका भ्रम मात्र था। उन्होंने जो सपने संजोए थे, वे अब बिखर रहे हैं। गाँव के कृषक रमाकान्त और अजय कुमार का कहना है कि गाँव में सिंचाई का साधन नहीं है। गाँव में सरकारी नलकूप की आवश्यकता है। गाँव से एक किलोमीटर दूर बहने वाली सई नदी से सिंचाई की सुविधा यदि उपलब्ध करा दी जाए तो हमारे गाँव में खेती की स्थिति सुधर जाएगी। गाँव में कोई कारखाना नहीं है। खेती एवं मजदूरी ही आय का प्रमुख स्रोत है। लखनऊ के करीब होने की वजह से गाँव के लगभग 50 प्रतिशत लोग यहीं रहते हैं। गाँव में 40 कुएँ हैं, पर सब सूखे हैं। गाँव वाले गाँव के मध्य में स्थित प्राचीन महादेव मन्दिर दिखाते हुए कहते हैं कि यहाँ तक माननीय सांसद आए थे। इस मन्दिर में पूजन-अर्चन के बाद उन्होंने इस गाँव को आदर्श बनाने का अपना संकल्प दोहराया था। मन्दिर के बगल में रहने वाले राजेश कोहार और गुड़िया, जो मेहनत-मजदूरी करके अपना जीवनयापन करते हैं, का कच्चा घर चार साल पहले गिर गया था। सर्वे भी हुआ लेकिन आज तक इन्हें मुआवजा नहीं मिल पाया। उन्हें भी राजनाथ के रूप में एक उम्मीद की किरण दिखी। रविशंकर, रफी अहमद भी याद करते हैं कि सांसद महोदय ने शहीद बाबा के मजार की चारदीवारी बनाने और हैण्डपम्प लगवाने का भी वायदा किया था, जो आज तक अधूरा है। गाँव के नाले पर अवैध अतिक्रमण है। जिसमें ग्रामसभा की 10 बिस्वा जमीन भी अवैध रूप से कब्जा हो गई है।
गाँव में प्रवेश करने वाले रास्तों में से एक को छोड़कर बाकी की स्थिति बदहाल है। अधिकांश घरों में शौचालय नहीं है। गाँव के मुख्यमार्ग पर लगा इण्डिया मार्का हैण्डपम्प बारिश में डूब जाता है। अधिकांश लोगों को एक अदद आवास की आवश्यकता है। गाँव की वृद्धा विजय लक्ष्मी के पास खर्च चलाने का भी साधन नहीं है। वे भूमिहीन हैं लेकिन पेंशन नहीं मिलती है। 06 दिसम्बर के 2 महीने बाद गाँव में लखनऊ के मुख्य विकास अधिकारी ने जूनियर हाईस्कूल में चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएँ सुनीं और समाधान का आश्वासन दिया। पर वह कोरा आश्वासन ही रहा।
चूँकि राजनाथ सिंह का संसदीय क्षेत्र शहरी है, इसलिये उन्होंने जिले की दूसरी लोकसभा सीट मोहनलालगंज का यह गाँव सांसद आदर्श गाँव योजना हेतु चुना। प्रदेश के राजधानी लखनऊ का यह गाँव दूसरे पिछड़े गाँव की ही तरह है। यहाँ भी दूसरे गाँव की तरह अधिकारी एवं कर्मचारी ग्रामीणों को आश्वासन की घुट्टी पिला रहे हैं। मोदी सरकार के गठन के लगभग 300 दिन पूरे होने को हैं। गाँव में पसरी गन्दगी मोदी के स्वच्छता अभियान से मुँह चिढ़ा रहा है। ग्रामीणों को यह उम्मीद थी कि राजनाथ सिंह के गोद लेने से उनका गाँव पूरे लखनऊ में आदर्श गाँव की तरह दिखने लगेगा। यहाँ उच्च शिक्षण संस्थान, अस्पताल, कारखाने, बाजार खुल जाएँगे, गाँव की सड़कें, नालियाँ पक्की हो जाएँगी। निराश्रित और वृद्ध जनों को पेंशन मिलने लगेगी। हाईवे से लगा होने के कारण प्रायः होने वाली लूट पाट से छुटकारा दिलाने के लिये पुलिस चौकी खुल जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब बेंती के नागरिक निराश हो चले हैं। निराश होने वालों में भाजपा के कार्यकर्ता भी हैं। वे बड़ी उम्मीद के साथ गाँव में आने वाले हर व्यक्ति से कहते थे कि हमें नहीं याद है कि भाजपा हमारे गाँव में कभी चुनाव जीती। राजनाथ सिंह के गाँव गोद लेने से हमारी उम्मीद बढ़ गई है।
विकास की बाट जोह रहे बेंती के लोग पिछली 6 दिसम्बर के प्रथम सप्ताह की बातों की याद करके दुखी हो रहे हैं। तब गाँव में प्रवेश करने वाला प्रत्येक भाजपा नेता कार्यकर्ता अपने को राजनाथ सिंह का निकटवर्ती होने का दावा करता हुआ विकास की ऊँचाईयों तक गाँव को ले जा रहा था। अभिषेक शुक्ल, शिवम और सत्यम शुक्ला जैसे नौजवान, जो कौशल विकास मिशन जैसे रोजगारपरक कार्यक्रम में प्रशिक्षण लेने लखनऊ जाना चाहते थे। उन्हें सरकारी कर्मचारियों के असहयोग के कारण अनेक दुश्वारियाँ उठानी पड़ी। ये सभी दुखी मन से कहते हैं कि 6 दिसम्बर के बाद जनवरी में लगी मुख्य विकास अधिकारी की चौपाल में हम नौजवान सरकारी उदासीनता के लिये अधिकारियों को घेरना चाहते थे, तब गाँव के बड़े बुजुर्ग ने हमें रोक दिया। अब हम सभी लाचार हैं। न तो गाँव में कोई सरकारी अधिकारी आ रहे हैं न ही सांसद प्रतिनिधि।
बेंती गाँव के विकास को लेकर सरकारी अधिकारी और कर्मचारी कितने जागरूक हैं, इसका अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज तक जनपद स्तर से लेकर सरोजनी नगर विकासखण्ड तक के अधिकारियों और कर्मचारियों के पास गाँव की सही जानकारी नहीं है। ऐसी स्थिति में केन्द्रीय गृहमन्त्री द्वारा सांसद आदर्श ग्राम योजना के बारे में 6 दिसम्बर को बेंती में व्यक्त किया गया विचार धरातल पर उतरेगा या नहीं, यह संशय बेंतीवासियों के मन में गहरा बैठता जा रहा है।
क्या है आदर्श ग्राम योजना?
सांसद आदर्श ग्राम योजना में जिन मूल्यों का प्रचार किया जाना है वे निम्न हैं-
1. अपने ध्येय के रूप में लोगों की भागीदारी को अपनाना, ग्रामीण जीवन से सम्बन्धित सभी पहलुओं खासकर शासन से सम्बन्धित निर्णय निर्माण में, समाज के सभी वर्गों की सहभागिता सुनिश्चित करना।
2. अन्त्योदय का अनुपालन-गाँव में “अति निर्धनों और कमजोर व्यक्तियों” के कल्याण में सहयोग करना।
3. महिला-पुरुष समानता की पुष्टि करना और महिलाओं का सम्मान सुनिश्चित करना।
4. सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना।
5. श्रम की गरिमा और सामुदायिक सेवा एवं स्वैच्छिक सेवा की भावना मन में बैठाना।
6. साफ-सफाई की आदत को बढ़ावा देना।
7. प्रकृति के सान्निध्य में रहना-विकास और पारिस्थितिकी में सन्तुलन सुनिश्चित करना।
8. स्थानीय सांस्कृतिक सम्पदा को संरक्षित रखना और इसे प्रोत्साहन देना।
9. पारस्परिक सहयोग, स्व-सहायता और आत्मविश्वास की भावना उत्पन्न करना।
10. ग्रामीण समुदाय में शान्ति और सौहार्द्र को बनाए रखना।
11. सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी बढ़ाना।
12. स्थानीय स्वशासन को सहायता प्रदान करना।
लेकिन इन मूल्यों का प्रचार कदाचित किसी आदर्श गाँव में हो रहा है। ऐसे में यदि ये गाँव विकसित भी हो जाते हैं तो भी महात्मा गाँधी का आदर्श ग्राम योजना रूपी स्वप्न अधूरा रहेगा।
बेंती गाँव : एक नजर में
ग्राम पंचायत | बेंती |
भौगोेलिक क्षेत्रफल | 18.135 हे. (बेंती), 3.894 हे. (भौकापुर) |
2011 के अनुसार जनसंख्या | 5601 |
लैंगिक अनुपात | 2984 पुरुष, 2617 महिला |
कुल बीपीएल परिवारों की संख्या | 1208 |
साक्षरता दर | 68 प्रतिशत |
पेयजल | 141 इण्डिया मार्का हैण्डपम्प |
प्राथमिक विद्यालय | 05 |
उच्च प्राथमिक विद्यालय | 01 |
राजकीय हाईस्कूल | 01 |
आँगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या | 07 |