प्रधानमन्त्री का आदर्श गाँव

Submitted by Shivendra on Thu, 01/08/2015 - 16:23
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यथावत, जनवरी 2015
कहा जरूर जाता था कि भारत की आत्मा गाँव में बसती है। पर गाँव ही सबसे उपेक्षित रहे। बार-बार गाँव की धरती और किसान के नाम पर वोट माँगे गए। पर धरातल पर कुछ हुआ नहीं। गाँव और किसान पिछड़ते चले गए। अब गाँवों को आदर्श बनाने की शुरुआत हुई है। सांसद आदर्श ग्राम योजना का हश्र क्या होगा, भविष्य ही बताएगा। पर उसका क्या स्वरूप हो सकता है, यह जानना जरूरी है। यथावत संवाददाता ने प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा गोद लिए गए गाँव की वर्तमान स्थिति का जायजा लिया। जब जयापुर ‘आदर्श गाँव’ घोषित हो जाएगा, तब उस परिवर्तन पर भी हमारी नजर रहेगी।

.प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से अपने प्रथम सम्बोधन में ‘सांसद आदर्श ग्राम जना’ की बात कही थी। तब ऐसा लगा कि महात्मा गाँधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा अब मूर्त रूप लेगी। इस बात के संकेत दिए गए कि अगर यह महात्वाकांक्षी योजना सफल रही तो निश्चित रूप से भारत में ग्राम स्वराज का नया मॉडल प्रस्तुत होगा।

लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन 11 अक्टूबर को प्रधानमन्त्री ने ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ का शुभारम्भ किया। ग्राम विकास की इस योजना के तहत् बुनियादी सुविधाएँ मुहैया कराकर समाज के सभी वर्गों के जीवनस्तर में सुधार का लक्ष्य रखा गया है। इसका उद्देश्य नैतिक मूल्यों पर आधारित महात्मा गाँधी के ग्राम स्वराज और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के ग्राम समुदाय पर आधारित लोकतन्त्र की स्थापना बताया गया है। योजना का मुख्य स्वरूप यह है-

1- प्रत्येक सांसद एक गाँव का चयन करेगा, जोकि उसके पति या पत्नी अथवा निकट परिजन का पैतृक गाँव नहीं होगा।
2- सांसद द्वारा केवल पिछड़े क्षेत्र से चयनित इस ग्राम पंचायत की विकास योजना तैयार करके प्रत्येक निर्धन परिवार के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
3- इन गाँवों का मूलभूत सुविधाओं के आधार पर कायाकल्प किया जाएगा। सामुदायिक सेवा, सफाई, स्वच्छता, महिला सम्मान व सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय, पर्यावरण अनुकूलन, शान्ति एवं सद्भाव बढ़ाने का भी लक्ष्य है।
4- सांसद के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में ग्राम पंचायत में परस्पर सहयोग, स्वावलम्बन, स्थानीय निकाय शासन, सार्वजनिक जीवन में पारर्दिशता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करना होगा।
5- आदर्श ग्राम की योजनागत् प्रक्रिया में जिलाधिकारी समन्वयक की भूमिका में कार्यकरेंगे।

जयापुर का अतीत


चूँकि यह प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है, इसलिए यह देखना लाजमी होगा कि वे क्या आदर्श प्रस्तुत करते हैं। मोदी ने इस योजना के अन्तर्गत अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी का ग्राम जयापुर गोद लेने की घोषणा की है। जनपद मुख्यालय वाराणसी से लगभग 25 कि.मी. एवं तहसील राजा तालाब से लगभग 8 किमी. दूर विकास खण्ड आराजी लाइन्स में जयापुर गाँव स्थित है। शेरशाह सूरी राष्ट्रीय राजमार्ग से दक्षिण राजा तालाब मार्ग पर इसकी दूरी लगभग 7 कि.मी. है। यह गाँव शहीद अजय सिंह व शहीद चन्द्रिका प्रसाद सिंह की भी जन्मस्थली है।

जनश्रुतियो के अनुसार ग्राम पंचायत जयापुर का नामकरण एक ऐतिहासिक घटनाक्रम के कारण पड़ा। तत्कालीन मुगल शासक के सैनिकों द्वारा आक्रमण करने के उपरान्त ग्रामीणों द्वारा वीरतापूर्वक प्रतिरोध करने पर आक्रमणकारी भाग गए। उसी क्रम में ग्रामवासियों के वीरता एवं शौर्य के परिणामस्वरूप इस गाँव का नाम जयापुर प्रचलित हुआ।

इस गाँव में एक प्राचीन यक्षिणी देवी का मन्दिर है। यहाँ पर दूर-दराज के लोग अपने मनोकामनोओं की पूर्ति हेतु पूजन-अर्चन करने आते हैं। 1934 में आए भूचाल और 1948 में गंगा में आई बाढ़ में भी यह गाँव सुरक्षित बचा रहा। एक समय में गाँव में पानी के लिए कच्चे कुएँ, लोटा डोरी, ढेकुल और रहट का इस्तेमाल किया जाता था। वहाँ जाने के लिए कच्चा रास्ता था। विद्यालय के नाम पर एक प्राथमिक पाठशाला थी।

गन्ने की पैदावार के लिए आस-पास के जिलों में मशहूर इस गाँव के प्रतिष्ठित नागरिकों में सर्वोदयी नेता बचाऊ सिंह, मेघई सिंह, बाबू विभूति सिंह और व्यापारी गोवर्धन साव थे। इस गाँव की पहचान सब्जी उत्पादन में अग्रणी होने के साथ ही 1970 से 2000 के दशक तक प्रमुख कालीन उत्पादक दुर्गा सिंह मास्टर के नाम से होती थी। इस गाँव के नौजवानों एच.टी.सी., जे.टी.सी., बी.टी.सी., बी.एड. की डिग्री तो ली लेकिन गाँव का जीवनस्तर ऊपर नहीं उठा सके। खाने के लिए सावाँ, कोदो, काकुन, संगुन, चेना, साठी धान ही थे। सनई, सन्न, आम, महुआ, पीपल, बरगद, गूलर, नीम, मेवड़ी, इमली, फुटेहरा, चना, मटर, अरहर ही थे।

इस गाँव की चौहद्दी में चन्दापुर, मकसूदपुर, पचांई सरैया, मलईं, जमुनी, जखीनी, कचहरियाँ, जमुआँव, कनकपुर हैं। अतीत में बाजार के लिए जयापुर के लोग जमुआँव (मिर्जापुर) जाते थे। जयापुर के लोग राजनीति से दूर रहने वाले थे। गुड़ ही व्यापारिक लेन-देन का माध्यम था। गाँव के बुजुर्ग बताते हैं कि 1952 में महिधर शर्मा नाम के बी.डी.ओ. तत्कालीन जक्खिनी (राजा तालाब) ब्लाक में नियुक्त थे। तब उन्होंने पहली बार मैदान में प्रोजेक्टर लगाकर पूरे क्षेत्र को जागृती और अनपढ़ जैसी फिल्में दिखाकर देश में हो रही प्रगति से पहली बार परिचित कराया था।

जयापुर का वर्तमान


मुख्य सड़क से जयापुर गाँव में प्रवेश करते ही युवकों की टोली क्रिकेट खेलते मिली। जयापुर के रामलीला भवन को ही पंचायत भवन के तौर पर अस्थाई रूप से प्रयोग किया जाता है। इसकी कोई चारदीवारी नहीं है। यही यहाँ के युवकों का मैदान है। इसी पंचायत भवन के मैदान पर गत् 7 नवम्बर को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने जयापुर के लोगों को सम्बोधित किया था। गाँव वालों से स्वयं को गोद लेने का आग्रह किया था।

वहाँ मौजूद युवा संजय सिंह, सुदर्शन हिन्द, अजय सिंह गुड्डु, प्रमोद, संजय कुमार, छेदी शर्मा, प्रहलाद हों या सुरेन्द्र नारायण सिंह- सभी लोग एक स्वर से कहते हैं कि हमारा सौभाग्य है कि मोदी जी ने हमारे गाँव को चुना। हम उनके अभारी हैं। हम उनके स्वच्छता अभियान को अपना रहे है।

धनेसरा देवी और इन्द्रावती देवी जैसी महिलाएँ भी मोदी के गाँव गोद लेने के बाद बदलाव को महसूस कर रही हैं। चिकित्सकों की टोली भी अब उनके गाँव का दौरा कर रही है। उ.प्र. चाहे सरकार मायावती की रही हो या अखिलेश यादव की हो, मूलभूत सुविधाओं से अभी भी एक बड़ी आबादी वंचित है।

हरिजन बस्ती जयापुर के झम्मन (65) जुगनू (60) साधूराम (60) को एक अदद् घर की आवश्यकता है। उन्हें लगता है कि प्रधानमन्त्री मोदी की वजह से अब उनका सपना पूरा हो जाएगा।

हरिजन बस्ती में जल निकासी की समस्या के साथ ही स्वच्छ पेयजल भी नहीं है। हीरावती देवी (55) और छोटे लाल को भी लगता है कि उन्हें साफ पीने का पानी मिल जाएगा। प्रधानमन्त्री मोदी से आत्मीय सम्बन्ध महसूस करते हुए छोटे लाल का कहना है कि मैं अपनी बेटी चन्द्रकला के विवाह का निमन्त्रण मोदी जी को भेजूँगा। मुसहर बस्ती के सुखराम, मन्झारी, संझारी, छवि ,मुखई, जमुना की समस्या है कि इन सबके पास भी अपना कोई घर नहीं है। इस बस्ती में आने-जाने का रास्ता भी नहीं है।

जयापुर मुसहर बस्ती की सीता, रीना, सुन्दरी, मुन्नी, चुन्नी, खुशबु और वन्दना जैसी बच्चियों को आज भी पता नहीं है कि स्कूल कैसा होता है। स्कूल का नाम पूछने पर वे शर्मा जाती हैं। उन्हें कभी ‘स्कूल चलो अभियान’ का नारा सुनाई ही नहीं पड़ा। मिड-डे-मील एवं फ्री में ड्रेस का सपना भी उन्हें नहीं दिखता। बगल में ही खड़े रीना के पिता सुखराम कहते हैं कि साहब हमारे पास खाने को दो वक्त का खाना नहीं है। हम बच्चियों को कैसे स्कूल भेजेंगे।

10 दिसम्बर को जयापुर में जन्मी पहली बिटिया की माँ पूजा गोंड उत्साहित हैं कि उनके घर लक्ष्मी जन्मी है। पूजा के ससुर प्रभु गोंड ने प्रसन्न होकर दरवाजे पर प्रतीकस्वरूप 5 सागौन के पेड़ लगा दिए। उनकी इच्छा है कि इस बच्ची का नामकरण मोदी जी करें।

प्रधानमन्त्री का गोद लिया हुआ गाँवभाजपा किसान मोर्चा (वाराणसी) के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं स्वदेशी जागरण मंच वाराणसी के संयोजक, जयापुर के प्रधान प्रतिनिधि नरायण सिंह पटेल के घर आज भी मीडिया की आवा-जाही लगी है। वे उत्साहित होकर कहते हैं कि मेरे गाँव में बदलाव की शुरुआत हो गई है। स्वयंसेवी संस्थाएं सर्वे कर तमाम लाभकारी योजनाओं के जल्दी ही यहाँ शुरू होने का भरोसा दिला रही हैं। गाँव की वर्तमान प्रधान दुर्गावती नारायण की भाभी हैं। घर में दूसरी बार प्रधानी आई है। इससे पहले नारायण पटेल के दिवंगत बड़े भाई प्रधान थे। फिर भी गाँव का विकास क्यों नहीं हुआ, इस प्रश्न का उत्तर उनके पास नहीं है।

जयापुर ही क्यों?


प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने जयापुर गाँव को ही क्यों चुना इस बात का खुलासा स्वयं स्थानीय सांसद मोदी उपस्थित जनसमुदाय के मध्य कर चुके हैं। फिर भी इस पर उठ रहे सवालों पर विराम लगाते हुए जयापुर की प्रधान दुर्गावती देवी कहती हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान ही हमारे गाँव में 11,000 बोल्ट की विद्युत लाईन गिर गई थी। जिसमें पाँच लोग झुलस गए थे।

उसी समय चुनाव प्रचार के लिए हमारे गाँव आए गुजरात के पूर्व मन्त्री सुनील ओझा और विहिप के वरिष्ठ नेताओं ने नरेन्द्र मोदी को इस घटना की सूचना दी। इसके बाद रात में 10.30 बजे हमारे यहाँ मोदी जी का फोन आया। उन्होंने विस्तार से घटना की जानकारी ली। उसके बाद रात में ही मीडिया सक्रिय हो उठी। दूसरे दिन सुबह ही मदद के लिए जिला प्रशासन भी सक्रिय हो गया।

बगल में बैठे मुकेश सिंह पटेल भी अपनी माँ की बातों से सहमति जताते हैं। इसे महज संयोग ही कहा जा सकता है कि जयापुर का एक गुजरात से भी कनेक्शन है। 1980 के दशक में इस गाँव के लगभग 500 लोग जीविकोपार्जन के लिये देश के विभिन्न हिस्सों में गए लेकिन उनमें से अधिकांश बड़ौदा एवं अहमदाबाद में ही बस गए।

वहाँ इन लोगों ने दुग्ध उद्योग, शिक्षा एवं अन्य व्यवसाय शुरू किया। इनमें से कुछ लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़ गए। इन्हीं लोगों की वजह से गाँव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य प्रारम्भ हुआ। जो दिन-दूना और रात चौगुना पुष्पित-पल्लवित होता रहा। जयापुर गाँव में पिछले 32 वर्षों से प्रतिदिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा लगती है। 32 प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं वाले इस गाँव में प्रवास के कार्यक्रम भी चलते रहते हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा वर्ष 2002 में इस गाँव को गोद लिया गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह जिला कार्यवाह और विधानसभा सेवापुरी के समन्वयक, जयापुर के निवासी अरविन्द का कहना है कि संघ ने जबसे गाँव को गोद लिया तबसे आज तक हम निरन्तर कार्यक्रम चला रहे है। संघ द्वारा ग्राम विकास के लिए 5 आयाम बनाये गये हैं। (1) स्वास्थ्य, (2) शिक्षा, (3) संस्कार, (4) स्वावलम्बन (5) सुरक्षा।

लेकिन जयापुर के समग्र विकास के लिये हमने यहाँ एक आयाम कृषि का और बढ़ा दिया। इन आयामों के तीन चरण होते हैं - उदय, किरण एवं प्रभात। अब द्वितीय चरण में हमारा गाँव है। जिसमें तुलसी रोपण, फलदार वृक्षों को लगाना, गौ पालन आदि मुख्य है। गाँव का प्रत्येक नागरिक अपने घर की सफाई स्वयं करता है। रविवार के दिन पूरा गाँव एक साथ मिलकर सफाई अभियान चलाता है।

अरविन्द एवं रामललित मिश्र कहते हैं कि प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थी तभी हमारे गाँव को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क बनी। इसके बाद कोई विकास कार्य नहीं हुआ। हमारा पूरा गाँव भाजपाई है। सम्भवत: इसी द्वेष के कारण हमारे गाँव को कोई मदद नहीं मिली। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जयापुर को गोद लेने के बाद अरविन्द ही समन्यवक की भूमिका निभा रहे हैं। प्रधानमन्त्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी उनसे निरन्तर सम्पर्क में हैं। उनसे कई स्वयंसेवी संस्थाएँ कृषि, चिकित्सा एवं अन्य विभागों के अधिकारी विकास की चर्चा कर रहे हैं।

शुरुआत तो हुई


प्राथमिक शिक्षा के लिए गाँव में विद्यालय तो है लेकिन उसकी अपनी चारदीवारी भी नहीं है। जूनियर हाईस्कूल जक्खिनी भी जयापुर से 1.5 किमी दूर है। उच्च शिक्षा लिये विद्यार्थियों को 25 किमी दूर वाराणसी जाना पड़ता है। गाँव में गन्ना, धान, सब्जीऔर पुष्प उत्पादन से ही अधिकांश लोगों की जीविका चलती है। औराई चीनी मिल के बन्द होेने से भी इस गाँव की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हाल ही में यूनियन बैंक आॅफ इण्डिया ने यहाँ अपनी शाखा खोली है। डाकघर भी खुलने वाला है। भारत दूर संचार निगम अपना टावर लगाने की तैयारी में है।

जनवरी माह के अन्त से ही गाँव में पानी का संकट प्रारम्भ हो जाता है। जलस्तर काफी नीचे चला जाता है। हैण्डपम्प, ट्यूबवेल पानी छोड़ देते हैं। पूरे गाँव में ईट के खड़ंजे एवं मिट्टी के रास्ते ही है। तालाब, पोखरे गन्दगी से पटे पड़े हैं। अधिकांश घरों में शौचालय भी नहीं है। गाँव में कोई कुटीर उद्योग भी नहीं है।

बेरोजगारों की फौज यहाँ भी खड़ी है। जल निकासी की भी व्यापक समस्या है। कुल मिलाकर अन्य अल्प विकसित गाँवों की तरह ही जयापुर की ही स्थिति है। कल तक देश की चकाचौंध से दूर रहे इस गाँव के लोगों को प्रधानमन्त्री ने मन्त्रमुग्घ कर दिया।

गाँव में अभी उत्साह का वातावरण बना हुआ है। जयापुर के जयप्रकाश शर्मा, इनरधन, राजकुमार यादव, शिवशंकर प्रजापति, रामनाथराम, सुरेश सभी उत्सााहित हैं कि हमारे गाँव को मॉडल की तरह प्रधानमन्त्री खुद विकसित करेंगे।

प्रदेश में बसपा सरकार के दौरान चलाई गई डॉ. अम्बेडकर ग्राम योजना हो या वर्तमान अखिलेश यादव की सरकार के कार्यकाल में लोहिया ग्राम विकास की योजना हो, सबके लिये निर्धारित बजट और विभाग है। जिसमें एक निर्धारित समयावधि के अर्न्तगत् ही गाँव को संतृप्त करना होता है। लेकिन प्रधानमन्त्री के इस ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ के लिए अलग से कोई विशेष कार्य-योजना अभी तक नही बनी है।

वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना की गाईडलाईन के अनुसार विकास कराया जाएगा। अभी अवलोकन हो रहा है’। जयापुर के लोगों को 7 नवम्बर के बाद जिले का कोई भी बड़ा अधिकारी गाँव में नहीं दिखा।

ऐसे में यह सवाल भी उठना लाजमी है कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 7 नवम्बर को जयापुरवासियों को जो सपना दिखाया जो सुखद अहसास कराया, जिसकी अनुभूति वे कर रहे हैं, वह साकार कब होगा? और जब साकार होगा तब उसका स्वरूप क्या होगा।

क्या है योजना?


महात्मा गाँधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा के अनुसार गाँव में 5 किमी. की परिधि में सब कुछ उपलब्ध हो जाना चाहिए। जैसे- विद्यालय, पंचायत भवन, खेल का मैदान, बाजार आदि मौजूद हो। यानी अपने आप में गणराज्य का सूक्ष्म स्वरूप दिखाई पड़े।

सांसद आदर्श ग्राम योजना में पहली बार सांसदों को ऐसी योजना को क्रियान्वित करना है जिसका स्वयं अपना कोई बजट नही है। गोद ली गई पंचायत को सुदृढ़ करने के लिए केन्द्र की 57 योजनाओं का ही सहारा लेना पड़ेगा। परोेक्ष रूप से प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की यह योजना सांसदों को स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के समुचित सदुपयोग को प्रेरित करती हैं। 1993 में प्रारम्भ और तब से ही विवादों में घिरी इस योजना का बजट वर्तमान समय में 4000 करोड़ रुपए का है।

इस योजना की शुरुआत पी. वी. नरसिंह राव की अल्पमत सरकार ने की थी। राव सरकार अपने अस्तित्व के लिए छोटी क्षेत्रीय पार्टियों के सर्मथन पर टिकी थी। सरकार बचाए रखने की युक्ति में राव ने सांसदों को खुश रखने के लिए सांसद विकास निधि की स्थापना की। इसके तहत् प्रत्येक सांसद को क्षेत्रीय विकास योजना के तहत् 5 करोड़ रु. की विकास राशि दी जाती है। वर्ष 2009-10 में संप्रग ने प्रधानमन्त्री आदर्श ग्राम योजना शुरू की थी। मोदी योजना भिन्न है।

इस योजना के तहत् सांसदों को 11 नवम्बर तक चयनित ग्राम की सार्वजनिक घोषणा करनी थी। लेकिन कुल 800 सांसदों में से मात्र 206 सांसदों ने गाँव गोद लेने की पहल की। इनमें 111 लोकसभा और 95 राज्यसभा के हैं। कार्यक्रम के तहत् सांसदों को 2016 तक एक गाँव और 2019 तक दो गाँव को विकसित करना है। 2019 से 2024 तक पाँच गाँव आदर्श बनाए जाने हैं। यानी 10 साल की समयावधि में 6433 गाँव आर्दश हो जाएँगे।

ग्राम पंचायत का नाम

जयापुर

न्याय पंचायत का नाम

जक्खिनी

ग्राम में सम्बन्धित मजरों के नाम

जयापुर, मानिकपुर, मुसेपुर

भौगोलिक क्षेत्रफल

262.68 हेक्टेयर

वर्ष 2011 के अनुसार जनसंख्या

अभिलेख में दर्ज, 3337 किन्तु वर्तमान में 4200

लैंगिक अनुपात

2200 पुरूष , 2000 महिला

आबादी प्रतिशत

पिछड़ी 50 प्रतिशत ( पटेल, यादव, कुम्हार, तेली, नाई, गिरी) सामान्य 40 प्रतिशत (भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ) अनुसूचित जाति एवं जनजाति 10 प्रतिशत ( चर्मकार, गोंड, मुसहर)

कुल परिवार

430

गरीबी रेखा से नीचे परिवार

117

जीविकोपार्जन के स्रोत

87-88 प्रतिशत कृषि/मजदूरी 10 प्रतिशत स्वरोजगार/प्राइवेट

1 से 2 प्रतिशत सरकारी नौकरी

साक्षरता दर

90 प्रतिशत

निरक्षर

10 प्रतिशत

आवास

पक्का 80 प्रतिशत, कच्चा 20 प्रतिशत

शौचालय उपलब्धता

10 प्रतिशत

सड़क

2.5 किमी. / खड़ंजा

पेयजल

55 हैण्डपम्प , 20 कुआँ

जनपद मुख्यालय से दूरी

23 किमी.

तहसील मुख्यालय से दूरी

7 किमी.

विकास खण्ड मुख्यालय से दूरी

7 किमी

थाना का नाम एवं दूरी

रोहनिया 13 किमी.

नजदीकी स्वास्थ केन्द्र का नाम एवं दूरी

सामुदायिक स्वास्थय केन्द्र जक्खिनी 1.50 किमी.

पशु चिकित्सालय

जक्खिनी 1.50 किमी.