वायु प्रदूषण की चपेट में उत्तर भारत

Submitted by RuralWater on Sun, 11/12/2017 - 13:07
Source
दैनिक जागरण, 12 नवम्बर 2017

पूरा दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र इन दिनों धुंध, माफ कीजिए जहरीली धुंध की गिरफ्त में है। यह सामान्य धुंध नहीं है जिसमें केवल दूर तक दिखाई नहीं देता। यह धुंध लोगों के जीवनकाल को भी धुंधला कर रही है। कुछ दशक पहले दिल्ली ऐसी नहीं थी। इसकी आबोहवा ठीक थी। धुंध होती थी, लेकिन वह विषाक्त नहीं होती थी। हानिकारक गैसों और तत्वों से भरी इस धुंध से बचने के लिये यहाँ जनजीवन को घर में कैद होने की सलाह दी जा रही है। अब कोई भी सामान्य समझ का आदमी यह अनुमान आसानी से लगा सकता है कि घर में बैठकर वह कितने घंटे की अपनी जरूरतें पूरी कर सकेगा। दरअसल दिल्ली की यह दुर्गति दिल्लीवासियों और उसके पड़ोसी राज्यों ने बनाई है। सरकार से लेकर समाज तक सब दोषी हैं। छोटे लाभ के लिये आबोहवा को लोग तबाह करते रहे और सरकार मौन साधे रही। बिगड़ती वायु को प्राणवायु बनाने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। अब इस समस्या का रंग-रूप और आकार बढ़ रहा है। देश की राजधानी से कुछ सौ किमी दूर बैठे अगर सोच रहे हैं कि अभी दिल्ली दूर है और आप सुरक्षित हैं तो आप गलत हैं। देर-सबेर यह दिल्ली सरीखी समस्या आपको और आपके क्षेत्र को भी लपेटे में ले सकती है। जिस तरह से अभी ही देश के तमाम अन्य शहरों की वायु गुणवत्ता खराब हो चली है उससे अगर लोगों ने जीवन जीने के अपने तौर-तरीके नहीं बदले और सरकारों ने पर्यावरण बचाने को दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं दिखाई तो पूरा देश दिल्ली बन जाएगा। देश के लिये दिल्ली आईना दिखा रही है। इसकी दुर्दशा से सीखिए और चेतिए जिससे आप अपने घर में कैद होने से बचे रहें।



यह जहरीली धुंध सिर्फ दिल्ली-एनसीआर पर नहीं पसरी है, बल्कि पश्चिम से लेकर पूर्व तक सभी राज्य इसकी चपेट में है। नासा का सेटेलाइट चित्र बताता है कि पाकिस्तान के पूर्वी इलाकों से लेकर भारत के बिहार और बंगाल तक यह पसरी है। पराली जलाने के कारण पाकिस्तान और पूरे उत्तर भारत में यह स्थिति है।

पंजाब


फेस्टीवल सीजन, धान की कटाई और मौसम में बदलाव के कारण अक्टूबर और नवम्बर के दौरान राज्य में वायु प्रदूषण घातक स्तर पर पहुँच जाता है। हालांकि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के आँकड़ों के मुताबिक पाँच वर्षों के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर काफी नीचे आया है। लेकिन दिवाली और गुरुपर्व के दौरान सामने आये पीपीसीबी के आँकड़ों के मुताबिक स्थिति अभी भी खतरनाक है।

पटियाला में 2012 में वायु प्रदूषण का स्तर 122 आरएसपीएम था जो 2016 में 130 आरएसपीएम तक पहुँच गया। राज्य में अब तक एक करोड़ 23 लाख टन पराली जलाई जा चुकी है। पाँच साल पहले यहाँ ईंट भट्टों की संख्या करीब 3000 थी, जो अब घटकर 2400 रह गई है। वर्तमान में 95 लाख वाहन सड़कों पर हैं। करीब 12 लाख कॉमर्शियल वाहन हैं। इनमें 4.5 लाख ट्रैक्टर भी शामिल हैं। राज्य के प्रदूषण में इन वाहनों की भूमिका करीब 12 फीसद है। यहाँ गाड़ियों की वृद्धि दर तकरीबन नौ फीसद है।

हरियाणा


अधिकतर जिले कई दिन से स्मॉग की चपेट में हैं। भले ही इसके लिये पराली जलाने वाले किसानों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा हो, लेकिन हवा में जहर घोलने के लिये अकेले वे ही जिम्मेदार नहीं हैं। राज्य प्रदूषण का बड़ा कारण अवैध खनन, अंधाधुंध निर्माण कार्य, धुआँ उड़ाते वाहन, खुले में कूड़ा जलाना, कारखाने और नियमों को ताक पर रख कर चल रहे 2947 ईंट भट्टे और स्टोन क्रशर हैं। अधिकतर ईंट भट्टे एनसीआर इलाके में ही मौजूद हैं। सरकार ने हाल ही में इनके संचालन पर रोक लगा दी है। प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ रहा कि दिल्ली के साथ लगते गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत की हवा में जहरीली गैसों की मात्रा निर्धारित मानकों से कई गुणा बढ़ चुकी है।

फरीदाबाद और गुरुग्राम में औसतन 400 माइक्रोग्राम घन मीटर पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 मापा गया। पूरे महीने हवा तय मानक 60 घन क्यूबिक मीटर से औसतन पाँच गुणा अधिक जहरीली रही। इसके अलावा भिवानी, हिसार, यमुनानगर, बहादुरगढ़, बल्लभगढ़ और धारुहेड़ा भी खूब प्रदूषण फैला रहे हैं। प्रदेश की सड़कों पर दौड़ रहे करीब 75 लाख वाहनों में से 40 फीसद पुराने हैं, जिन पर किसी का कोई अंकुश नहीं। हर साल करीब पाँच लाख वाहन और सड़कों पर आ रहे हैं। राज्य के मुख्य सचिव डीएस ढेसी के अनुसार अगले आदेश तक एनसीआर के भट्टे और स्टोन क्रशर बन्द कर दिये गए हैं।

उत्तराखण्ड


उत्तराखण्ड में स्मॉग यानी जहरीली धुंध पसरने जैसी स्थिति नहीं है, लेकिन देहरादून समेत अन्य मैदानी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण बढ़ा है। उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के मुताबिक देहरादून, रुड़की, ऊधमसिंह नगर समेत दूसरे मैदानी इलाकों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर को छू रहा है।

देहरादून के आइएसबीटी में आमतौर पर हवा में सस्पेंडेंट पार्टिकुलेट मैटर 300 के आस-पास रहते हैं, लेकिन इन दिनों यह 400 के आँकड़े को पार कर चुका है। ऐसी ही स्थिति अन्य मैदानी और खासकर उन क्षेत्रों में है, जहाँ औद्योगिक इकाइयों के साथ ही वाहनों की संख्या अधिक है। राज्य में मार्च 2016 तक 21.17 लाख छोटे-बड़े वाहन पंजीकृत थे। अब यह आँकड़ा 23 से 24 लाख के बीच पहुँच गया है। ऐसे में वाहनों से निकलने वाला धुआँ परेशानी का सबब बन रहा है। इसके चलते कुछ इलाकों में धुंध भी है।

हिमाचल प्रदेश


प्रदेश की आबोहवा में जहरीले कण काफी कम हैं। कुछ क्षेत्रों को छोड़कर अन्य जगह वातावरण शुद्ध है। सोलन जिला के बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, ऊना जिला, सिरमौर जिला के काला अंब व पांवटा साहिब में ही अन्य राज्यों के वायु प्रदूषण का कुछ असर देखने को मिलता है। ये इलाके पड़ोसी राज्यों की सीमाओं से सटे हैं। इसके अलावा अन्य स्थानों की आबोहवा साफ है।

प्रदेश का कोई हिस्सा स्मॉग की चपेट में नहीं है। दिवाली की रात भी जहरीले कण रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) की मात्रा अधिकतर क्षेत्रों में 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से भी कम रहती है। शिमला की हवा में सल्फर डाइऑक्साइड 2.0 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और नाइट्रोजन ऑक्साइड 29.0 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। धर्मशाला और मनाली में दोनों ही गैसों की मात्रा सिर्फ 4.5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। राज्य में सर्वाधिक आरएसपीएम 187 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर बद्दी में है। इसके अलावा सभी प्रमुख शहरों में आरएसपीएम 100 से कम है।

उत्तर प्रदेश


वायु प्रदूषण की काली धुंध में मेरठ का दम घुट रहा है। यहाँ पर हवा की गुणवत्ता दिल्ली से भी खराब मिली है। जहाँ दिल्ली पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) की औसत मात्रा 400 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, वहीं मेरठ में तमाम स्थानों पर सात से आठ सौ माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर मिला। चिकित्सकों का दावा है कि हर तीसरे व्यक्ति पर दमा का खतरा है। औद्योगिक सेक्टर में पेटकॉक और फर्नेस आयल का ईंधन के रूप में प्रयोग हो रहा है। कानपुर का प्रदूषण दिल्ली को टक्कर दे रहा है।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वायु गुणवत्ता सूचकांक में कानपुर प्रदेश का पाँचवाँ सबसे प्रदूषित शहर हो गया है। बीते गुरुवार को (पीएम 2.5) 436 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया। इसका मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होता है। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड 107.85 और कार्बन मोनोऑक्साइड 5.92 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। इसका एक कारण चमड़ा उद्योग भी है। यहाँ 418 चमड़ा इकाइयाँ हैं। बीते वर्ष के मुकाबले लखनऊ की हवा कुछ और जहरीली हो गई है। लखनऊ भी धुंध की गिरफ्त में है।

बीते सप्ताह भारतीय विष विज्ञान अनुसन्धान संस्थान (आईआईटीआर) की लखनऊ के पर्यावरण की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण की वजह से लोग एलर्जिक ब्रांकइटिस व अस्थमा से पीड़ित हो रहे हैं। मुरादाबाद मण्डल भी तीन दिन से काली धुंध की चपेट में है। सात नवम्बर को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में मुरादाबाद को देश का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया था। इस दिन प्रदूषण का स्तर 519 पीएम-10 दर्ज किया गया था। मुरादाबाद में वायु प्रदूषण के लिये ई-कचरा जलाए जाने और एक्सपोर्ट इंडस्ट्री के लिये विभिन्न धातुओं को गलाकर वस्तुएँ बनाए जाने को मुख्य कारक माना गया है।

बिहार


पटना और मुजफ्फरपुर समेत एक दर्जन शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद गम्भीर है। 01 अप्रैल 2016 से 31 मर्च 2017 तक करीब आठ लाख वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ। पटना में एक अप्रैल 2011 को 2.34 लाख वाहन रजिस्टर्ड थे। 31 मार्च 2016 को 6.74 लाख हो गए। इस साल करीब 8 लाख की संख्या भी पार हो गई है।

शहरीकरण एवं सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पिछले दस साल में पूरे प्रदेश में हजारों पेड़ काटे गए। राजधानी में बेली रोड और वीरचंद पटेल पथ के चौड़ीकरण के लिये दस हजार से अधिक पेड़ काट दिये गए। प्रदूषण पर अंकुश लगाने को राज्य सरकार द्वारा पटना के आसपास के क्षेत्रों में नए ईंट भट्टे खोलने पर रोक लगा दी गई है, लेकिन दूसरे जिलों में ईंट भट्टे धड़ल्ले से चल रहे हैं।

झारखण्ड


वायु प्रदूषण निर्धारित मानकों को पार कर गया है। तीन मानकों में से एक में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा तो निर्धारित दायरे 80 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के दायरे में है लेकिन आरएसपीएम 100 के निर्धारित दायरे को पार कर गया है।

केन्द्रीय प्रदूषण कंद्रोल बोर्ड के नेशनल एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग प्रोजेक्ट के तहत राज्य के चार जिलों में वायु प्रदूषण की जाँच के लिये मशीनें लगाई गई हैं। गत माह आरएसपीएम राँची, धनबाद और जमशेदपुर में आवश्यकता से अधिक रहा। राँची में दो जगह रिकॉर्ड किये गए आरएसपीएम का औसत 135-140 रहा। जबकि धनबाद के विभिन्न क्षेत्रों में इसका औसत 129 से 168 पाया गया। 30 फीसद वनों से आच्छादित झारखण्ड के वायुमण्डल में आरएसपीएम की मात्रा का निर्धारित मानकों से अधिक रहना खतरे की घंटी है।

पश्चिम बंगाल


वायु प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव से कोलकाता की हवा भी तेजी से जहरीली होती जा रही है। यहाँ कई बार न सिर्फ दिल्ली की तरह प्रदूषण ने खतरनाक स्तर को छुआ है बल्कि इसे पार भी किया है। इस साल जनवरी में ब्रिटिश डिप्टी हाई कमीशन, यूकेएआइडी और कोलकाता नगर निगम द्वारा जारी की गई संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया कि रोजाना 14.8 मिलियन टन ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करने वाला कोलकाता देश का पाँचवाँ सर्वाधिक प्रदूषित शहर है। प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में भी कोलकाता दूसरे नम्बर पर है।

कोलकाता में वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत वाहन हैं, इनकी हिस्सेदारी करीब 50 फीसद है। उद्योगों की हिस्सेदारी 48 फीसद जबकि कोयला व लकड़ी से भोजन पकाने का दो फीसद हिस्सा है। महानगर की करीब 1.5 करोड़ आबादी में से 70 फीसद लोग वायु प्रदूषण के कारण होने वाली साँस सम्बन्धी समस्याओं से पीड़ित है। पिछले चार वर्षों में महानगर व आसपास इलाकों की हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा तय सीमा से कहीं ऊपर चली गई है। इसके बावजूद कोलकाता की भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी है कि यहाँ प्रदूषण रिकॉर्ड कम होता है।


TAGS

air pollution in punjab, Images for air pollution in punjab, air pollution in indian states, Why India is so polluted?, Who most polluted cities list?, What is the most air polluted city in the world?, How air pollution is measured in India?, What is air pollution Wikipedia?, What is water pollution Wikipedia?, What is the most polluted city in the world?, What is the most polluted city in the United States?, Which is the least polluted city in India?, What are the most polluted rivers in the world?, How are air quality index calculated?, What are the six levels of air quality?, air pollution in indian cities, air pollution in india causes and effects, pollution levels in india statistics, air pollution index india, state wise pollution in india, air pollution in india pdf, causes of air pollution in india, pollution in india essay, toxic air pollution in hindi, what are the various ill effects of toxic air pollutants in hindi, toxic air pollutants list in hindi, toxic air pollutants examples in hindi, which is the most toxic air pollutant in hindi, toxic air meaning in hindi, toxic air pollutants from petrol car in hindi, hazardous air pollutants sources in hindi, what is an air quality index in hindi, What are the negative effects of air pollution?, Why is it bad to pollute the air?, What are the main reasons for air pollution?, Why air pollution is a problem?, What are the effects of air pollution on humans?, What is the main cause of air pollution?, What is the pollution of air?, What are the causes and effects of air pollution?, What is a natural source of air pollution?, How do we pollute the air?, What pollution can cause?, How can we control air pollution in the environment?, most polluted district of haryana pollution level in sonipat, haryana pollution control board recruitment 2017 in hindi, haryana pollution control board green category in hindi, haryana state pollution control board dharuhera in hindi, hspcb consent application form in hindi, haryana state pollution control board recruitment in hindi, haryana pollution control board rules 2016 in hindi, air pollution in haryana, air pollution in uttarakhand, pollution level in rishikesh, air quality index in dehradun, case study on air pollution in dehradun, air pollution level in haridwar, pollution level in mussoorie, polluted places in dehradun, auses of air pollution in dehradun, water pollution in dehradun, air pollution in uttar pradesh, u.p pollution control board lucknow, uttar pradesh, up pollution control board ghaziabad uttar pradesh in hindi, u.p pollution control board, lucknow lucknow, uttar pradesh in hindi, uttar pradesh pollution control board online application in hindi, up pollution control board online application in hindi, up pollution control board chairman in hindi, up pollution control board kanpur in hindi, up pollution control board consent fee in hindi, air pollution in himachal pradesh, hp pollution in hindi, shimla air quality index in hindi, pollution in hill station, pollution control board baddi address in hindi, hp pollution control board form 4 in hindi, hppcb recruitment 2017 in hindi, hp state pollution control board parwanoo in hindi, hp state pollution control board himachal pradesh in hindi, air pollution in Bihar, effects of pollution in patna, patna air quality index in hindi, causes of pollution in patna, pollution in patna wikipedia, bihar state pollution control board muzaffarpur in hindi, water pollution in patna, essay on pollution in patna, pollution in gwalior, air pollution in jharkhand, ranchi pollution index, ranchi air quality index, water pollution in ranchi, pollution in ranchi in hindi, air pollution in jamshedpur, ranchi city details in hindi, jharkhand pollution control board in hindi, air pollution in west bengal, pollution levels in india statistics, air pollution in india causes and effects, air pollution in indian cities, state wise pollution in india, air pollution in delhi statistics, air quality index chandigarh, air quality index noida, national air quality index india.