बुन्देलखण्ड को नष्ट करने की साजिश हो रही हैः परिहार

Submitted by Hindi on Mon, 07/18/2016 - 13:19
Source
सोपानSTEP, जुलाई, 2016

प्राकृतिक आपदा और सरकारी तंत्र से बेहाल बुन्देलखण्ड सालों से सूखे की मार झेल रहा है। सूखे के चलते खेत-खलिहान चौपट हो गए हैं। लोगों को दो जून की रोटी तक नसीब नहीं हो पा रही है। इस स्थिति में किसान शहर की तरफ पलायन कर रहे हैं। पलायन और बुन्देलखण्ड के किसानों से जुड़े सवालों पर भारतीय किसान यूनियन (भानु) के बुन्देलखण्ड अध्यक्ष शिव नारायण सिंह परिहार से सोपानSTEP के लिये रमेश ठाकुर ने बातचीत की। प्रस्तुत है, बातचीत के प्रमुख अंश:

पिछले दो दशकों से बुन्देलखण्ड बूरे दौर से गुजर रहा है। मौजूदा समय में क्या हालात हैं?


.बुन्देलखण्ड राजनीति का अखाड़ा बनकर रह गया है। वायदे बहुत किए जाते हैं, लेकिन समय के साथ धुंधले हो जाते हैं। बुन्देलखण्ड आजाद भारत का आज भी सबसे असुविधाओं वाला क्षेत्र है। बुन्देलखण्ड पहले से ही कई वर्षों से भीषण सूखे की मार झेल रहा है। और अब मानवीय समस्या का सामना कर रहा है। बांदा, चित्रकूट, महोबा, झांसी, ललितपुर आदि जिलों में पिछले कुछ वर्षों से निरंतर अंधाधुध अवैध खनन का काम किया जा रहा है। पानी, पहाड़, जंगल, वन्यजीव, खेती, मजदूरी और स्थानीय निवासियों की सेहत तथा पर्यावरण सब कुछ खनन की भेंट चढ़ रहा है। इस अवैध खनन की जानकारी सूबे की सरकार को भी है फिर भी रोकने के बजाय और बढ़ावा दे रही है। खनन से धरती की कोख में बाकी बचा पानी भी लगातार सूखता जा रहा है, जिससे खेती-बाड़ी, जीवन-यापन और मवेशियों का जीवन संकट में पड़ गया है।

खबर है कि भुखमरी के कारण लोग यहाँ से दूसरे जगहों के लिये पलायन कर रहे हैं?


घरों में ताले पड़े हैं। सिर्फ बुजुर्ग लोग हैं खेत सूखे पड़े हैं। फसल बिल्कुल भी नहीं हो रही है। एसी कमरों में बैठे नेताओं को बिल्कुल भी नहीं पता कि यहाँ के लोग किस हाल में अपना जीवन जी रहे हैं। भूख के मारे पिछले कुछ समय में कई गरीबों ने दम तोड़ दिया। स्थिति बहुत ही भयावह है। लेकिन इसकी असल तस्वीरयहाँ के अधिकारी सरकार को पेश नहीं करते। जितनी भी रिर्पोटें सरकार को भेजी जाती हैं। वह सभी असल समस्याओं से परे होती हैं।

यहाँ अवैध खनन होने की खबरें आ रही है। क्या सच्चाई है?


धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है। इसका कोई विरोध करता है तो उसे सरेआम पीटा जाता है। मुझे भी धमकियाँ मिली हैं। खनन से हो रही मुनाफाखोरी के लालच में बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ लगी हैं। खनन से मिलने वाले पत्थरों की देश और विदेशों में काफी मांग रहती है। यहाँ लाल फॉर्च्यून स्टोनों की अधिकता ज्यादा पाई जाती है। यहाँ से प्राप्त होने वाले ग्रेनाइट एवं ब्लैक स्टोन सामग्री का उपयोग सजावटी समानों एवं भवन निर्माण आदि के लिये किया जाता है। अन्तरराष्ट्रीय मार्केट में इन स्टोनों की कीमत कहीं ज्यादा है। इन पत्थरों में अयस्क, रॉक, फॉस्फेट की मात्रा भी अधिक होती है। बुन्देलखण्ड आज प्रकृति से नहीं बल्कि मानवीय कृत्य से ग्रस्त है यही कारण है कि लोग गरीबी और फांके का जीवन जीने को मजबूर हैं।

यहाँ बिजली, पानी व सड़कों की स्थिति क्या है?


आपको बता दूँ कि बुन्देलखण्ड का अधिकतर इलाका बिजली विहीन है। साथ ही यहाँ चलने को सड़कें, अस्पताल, बच्चों की शिक्षा के लिये विद्यालय और स्वच्छ पानी की व्यवस्था नहीं हैं। आधुनिक सुख-सुविधाओं के नाम पर यहाँ कुछ भी नहीं है। इसलिए यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि बुन्देलखण्ड विकास की मुख्यधारा से आज भी महरूम है। अब यहाँ सिर्फ दबंग खनन माफियाओं का राज चल रहा है। स्टोन क्रेशरों के प्रदूषण से कृषि योग्य भूमी पूरी तरह बर्बाद हो गई है। साथ ही इस प्रदूषण से यहाँ के लोग एसबेसरोसिस और सिलिकोसिस जैसी घातक जानलेवा बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं।