दृश्य और भाव

Submitted by admin on Fri, 12/06/2013 - 10:29
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काव्य संचय- (कविता नदी)
आकाश
उतना ही नीला
जितना आंखों का उस पर
भरोसा
नीला

सूरज
उतना ही पीला
जितना पुतलियों में
दीप्ति का रंग
पीला

नदी का पानी
उतना ही गीला
जितना तरल होने का संस्कार
पानी को करता गीला।