दूषित पानी से देश के बच्चों का जीवन खतरे में

Submitted by Shivendra on Fri, 04/09/2021 - 15:16

बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते है लेकिन वो भविष्य आज पानी की वजह से डूबता हुआ नज़र आ रहा है भारत समेत विश्व भर में हर रोज़ 700  बच्चे अपनी जान सिर्फ इस वजह से गंवा देते है क्यूंकि उन्हें पीने का साफ़ और स्वच्छ पानी नहीं मिलता जिसके कारण वो कई किस्म की बीमारियों से घिर जाते है और उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है साफ़ पानी न पीने की वजह से उन्हें  डायरिया jaisi घातक बिमारी से जूझना पड़ता है और उससे झूझते  झूझते  वो ज़िन्दगी की जंग हार जाते है वाटर फॉर आल सिक्योरिटी नाम से प्रकशित हुई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है की हर साल भारत समेत विश्व भर में 700 बच्चे अपनी जान स्वच्छ पानी के  चलते गँवा देते है है जो की पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बना हुआ है भारत में हर साल गंदे पानी पीने की वजह से करीब एक लाख चार हजार बच्चे मौत का शिकार हो रहे है  वही अगर जल संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट की बात करे तो 639  जिलों में से 147  जिलों के कई हिस्सों में भूजल खारा हो चूका है यानी समुद्र के पानी के जैसा जो पीने योग्य नहीं होता हमारे देश में ग्रामीण इलाको में करीब 6 करोड़ लोगों को पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है

अभी हाल ही में यूनिसेफ  (unicef)   द्वारा जारी  की गई रिपोर्ट में कहा गया  है की सही पानी उपलब्ध न होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई में भी असर पड़ रहा है  की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर कहती है की जब जब जल संकट गहराता है तो इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है क्यूंकि तब बच्चों को ही पानी को लाने के लिए घरो से दूर बभेजा आजाता है जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है पानी की अगर गाँव में शहर में या कही और जगह कमी है तो उसका शिकार भी बच्चे ही सबसे ज्यादा होते है क्यूंकि वो काम पानी में खुद को साफ़ और स्वच्छ नहीं रख पाते और जब सूखा पड़ता है तो बच्चे ही कुपोषण का शिकार होते है आंकड़े बताते है की भारत में हर दूसरा बच्चा किसी न किसी रूप में कुपोषण का शिकार हो रहा है बाढ़ आने पर भी सबसे ज्यादा बीमारियों के शिकार बच्चे ही होते है unicef  की रिपोर्ट की अगर बात माने तो 2040  तक दुनिया में हर चार में से एक बच्चा पानी की गंभीर समस्या से उन क्षेत्रों में झूझेगा जहाँ पानी की सबसे ज्यादा किल्लत हो रही है आपदाओं से वाटर बॉडी को बेहद नुकसान पहुँचता है और इसका  सीधा असर बच्चों पर पड़ता है भारत में ऐसे कई गाँव क्षेत्र या राज्य है जहाँ गर्भवती माँ पानी को लेने कई किलोमीटर का पैदल सफर तय करती है जिसका सीधा असर बच्चे की सेहत पर देखने को मिलता है और जो उसके भविष्य को भी खराब कर सकता है  भारत में मार्च  से ही पानी की किल्लत शुरू हो चुकी है राजस्थान  झारखण्ड मध्य प्रदेश  उत्तर प्रदेश उत्तराखंड महाराष्ट्र कर्णाटक तमिलनाडु  समेत कई राज्यों के तमाम इलाको में पानी का संकट गहराने लगा है इसलिए आज ये बेहद जरुरी है की हम पानी के सरंक्षा को लेकर और ज्यादा गंभीर होना होगा क्यूंकि आने वाली पीड़ी का विकास पानी के क्षेत्र में हमारे बेहतर कदम के ऊपर ही निर्भर करता है