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केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने 25,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ मार्च 2021 तक देश में लगभग 28000 प्रभावित बस्तियों को सुरक्षित पेयजल मुहैया कराने की योजना शुरू की है। इस योजना में आर्सेनिक और फ्लोराइड पर राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उपमिशन का शुभारम्भ किया गया है। केन्द्र सरकार की इस योजना में राज्य सरकारों की भी भागीदारी होगी।
हर तरह के विविधताओं वाले हमारे देश में प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है। पेड़-पौधों से लेकर खनिज और जल संसाधन हमारे यहाँ भरे पड़े हैं। देश में जल की कमी नहीं है। लेकिन आज भी हमारे देश का बड़ा तबका स्वच्छ पानी से वंचित है। साफ और शुद्ध पानी के अभाव में उसे हानिकारक खनिजयुक्त पानी पीना पड़ता है। कालान्तर में जो उसके स्वास्थ के लिये हानिकारक साबित होता है। देश के कई राज्यों में एक बहुत बड़ी आबादी आर्सेनिक और फ्लोराइड युक्त पानी पीने को अभिशप्त है।केन्द्र सरकार अब पूरे देश में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की योजना पर काम कर रही है। केन्द्र सरकार की योजना है कि देश के हर भाग में हर घर तक सन 2030 तक साफ पानी पहुँचाने के लक्ष्य को पूरा कर लिया जाये। केन्द्र सरकार ने चार वर्षों में पेयजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड की समस्याओं से निपटने के लिये 25,000 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
अभी हाल ही में केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने 25,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ मार्च 2021 तक देश में लगभग 28000 प्रभावित बस्तियों को सुरक्षित पेयजल मुहैया कराने की योजना शुरू की है। इस योजना में आर्सेनिक और फ्लोराइड पर राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उपमिशन का शुभारम्भ किया गया है। केन्द्र सरकार की इस योजना में राज्य सरकारों की भी भागीदारी होगी।
मिशन का शुभारम्भ करते हुए केन्द्रीय ग्रामीण विकास, पेयजल एवं स्वच्छता और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जहाँ एक ओर पश्चिम बंगाल आर्सेनिक की समस्या से बुरी तरह प्रभावित है, वहीं दूसरी ओर राजस्थान पेयजल में फ्लोराइड की मौजूदगी से जूझ रहा है, जिससे स्वास्थ्य को गम्भीर खतरा है। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 17 लाख 14 हजार ग्रामीण बस्तियाँ हैं, जिनमें से लगभग 77 फीसदी बस्तियों को प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 40 लीटर से भी ज्यादा सुरक्षित पेयजल मुहैया कराया जा रहा है। उधर, इनमें से लगभग 4 फीसदी बस्तियाँ जल गुणवत्ता की समस्याओं से जूझ रही हैं।
दूषित पानी पीने से व्यक्ति कई संक्रामक बीमारियों के चपेट में आ जाता है। हैजा, मलेरिया और कई तरह के रोग दूषित पानी की वजह से फैलते हैं। इसके अलावा कई गम्भीर रोग भी दूषित पानी की वजह से होते हैं। इसलिये हमें अपने आसपास गन्दगी और जल की शुद्धता पर विशेष ध्यान देना होगा।
इस दौरान पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री ने विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों को यह आश्वासन दिया कि पेयजल एवं स्वच्छता की दोहरी चुनौतियों से निपटने के दौरान धनराशि मुहैया कराने के मामले में किसी भी राज्य के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
12 राज्यों के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रियों ने ‘सभी के लिये जल और स्वच्छ भारत’ पर आयोजित की गई राष्ट्रीय कार्यशाला में भाग लिया। मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप वर्ष 2030 तक प्रत्येक घर को निरन्तर नल का पानी उपलब्ध कराने के लिये सरकार प्रतिबद्ध है, जिसके लिये लक्ष्य पूरा होने तक हर वर्ष 23000 करोड़ रुपए के केन्द्रीय कोष की जरूरत पड़ेगी। इतने बड़े मिशन को केवल सरकार के भरोसे पूरा नहीं किया जा सकता है।
इस कार्य में देश के नागरिकों की भागीदारी होने के बाद ही 'हर घर जल' के सपने को साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में लगभग 2000 ब्लॉक ऐसे हैं जहाँ सतह एवं भूजल स्रोतों की भारी किल्लत है। उन्होंने 'मनरेगा' जैसी योजनाओं के बीच समुचित सामंजस्य बैठाते हुए युद्ध स्तर पर जल संरक्षण के लिये आह्वान किया।
स्वच्छता के मसले पर विस्तार से बताते हुए तोमर ने कहा कि अक्टूबर, 2014 में स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के शुभारम्भ के बाद से लेकर अब तक स्वच्छता कवरेज 42 फीसदी से बढ़कर 62 फीसदी के स्तर पर पहुँच गई है। उन्होंने कहा कि सिक्किम, हिमाचल प्रदेश एवं केरल, जो ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) राज्य हैं, के अलावा 4-5 और राज्य भी अगले 6 महीनों में ओडीएफ हो सकते हैं। अब तक 119 जिले और 1.75 लाख गाँव ओडीएफ हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने इस दिशा में समय पर प्रगति के लिये राज्यों को प्रोत्साहन देने की घोषणा की है। एसबीएम के शुभारम्भ से लेकर अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में 3.6 करोड़ से ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। 'मनरेगा' के तहत 16.41 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया है। इस अवसर पर पेयजल एवं स्वच्छता राज्य मंत्री रमेश जिगाजीनागी ने एक 'वाटर एप' लांच किया।