भारत में आराध्य की परिक्रमा की परंपरा रही है और समय समय पर लोगो ने इसे सार्थक भी किया है इस बार इस परंपरा को निभाने एक ऐसा दाल निकल पड़ा जिन्होंने न अपने उम्र का तकाज़ा देखा और न पदयात्रा के दौरान आने वाली परेशानियों को ये पदयात्रा 60 70 साल के आर्मी से सेवनिर्वित हुए लोगो की है जिन्होंने गंगा की की परिक्रमा की वैदिक परंपरा को जीवित रखने का बीड़ा उठाया प्रयागराज से गंगोत्री तक का ये सफर करीब 6 महीनो तक चला और कुल 5530 किलोमीटर पैदल चलकर एक ऐसा इतिहास बना डाला जो शायद ही आज से पहले किसी दल ने बनाया हो ये पदयात्रा 15 दिसंबर से शुरू हुई और 23 जून 2021 को प्रयागराज से गंगासागर पहुंची ।
वैसे तो इस दल में कई लोग मौजूद थे लेकिन किसी कारणवश दल के कुछ सदस्यों ने यात्रा को अधूरे में ही छोड़ दिया लेकिन 2 लोग ऐसे थे जिन्होंने इस पूरा किया जिनके नाम रोहित जाट और शगुन त्यागी है इस पदयात्रा के दौरान ही एक टीम गंगा में हर स्रोत से होने वाले प्रदूषण की माप, उसकी जियोटैगिंग और पानी की शुद्धता मापने का काम करती रहीऔर पदयात्रा के दौरान वृक्षमाल कार्यक्रम भी साथ साथ चलता रहा. दरअसल गंगा की मिट्टी को संरक्षित रखने और मैदान में आने वाली बाढ़ के बचाव के लिए जितना जरूरी भूमिगत जल का बचाव है।
उतना ही जरूरी है इसके फ्लोरा फॉना को सुरक्षित करना है. इसी के चलते ग्रीन इंडिया फाउंडेशन की एक टीम ने गंगा के पास बरगद, नीम और पीपल जैसे करीब 30,000 पेड़ लगाए. लेकिन ये वृक्षारोपण अन्य वृक्षारोपण से अलग इस तरह से रहा कि इन वृक्षों का वहीं के एक निवासी या संगठन को अभिभावक बनाया गया ।
प्रकृति और पर्यावरण के इन प्रेमियों ने जो कर दिखाया वो वाकई सराहनीय है गंगा के उदगम स्थल तक इस उम्र में कोई पर्यावरण प्रेमी ही पहुच सकते है वो भी हजारों किलोमीटर पैदल चलकर पर्यावरण के प्रति इनके इस मोह ने हमे ये सीख दी है कि हम प्राकृतिक संसाधनों को संजो कर रखै।
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