जनपद प्रयागराज से लगभग 45 किलोमीटर दूर उर्वा ब्लॉक के अंतर्गत औटा गांव स्तिथ है जहाँ एक बेहद प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है औटा महावीर मंदिर इस मंदिर के के ठीक सामने एक बेहद पुराना गांव का तालाब भी मौजूद है जो पिछले काफी लम्बे समय से प्रदूषित था लेकिन अभी हाल ही में इस तालाब को अमृत सरोवर योजना के तहत न सिर्फ साफ़ किया गया बल्कि इसका सौन्दर्यीयकरण भी कराया गया क्यूंकि ये एक ऐसी जगह है जहाँ हजारो की तादाद में श्रद्धालु औटा महवीर मंदिर के दर्शन के लिए दूर दराज से पहुंचते है इसलिए प्रशासन ने इस तालाब को अमृत सरोवर योजना के तहत लाकर इसका सही से रख रखाव करना सुनिश्चित समझा लेकिन फिर भी मंदिर के महंत कहते है की इस तालाब को और सुरक्षित बनाने की जरुरत है क्यूंकि इसमें कई प्रकार के कछुओं की प्रजाति वास करती है जिनका सरंक्षण बेहद जरूरी है और इन कछुओं को देखकर यहाँ आये श्रद्धालु भी बेहद खुश नज़र आते है
आपको बता दे की भारत सरकार के 21 दिसंबर 1989 के एक आदेश के अनुसार हल्दिया से रामनगर (वाराणसी) तक जल परिवहन पर अड़चन थी, क्योंकि सरकार के आदेशानुसार रामनगर किले से राजघाट पुल तक के क्षेत्र को कछुआ सेंक्चुरी घोषित कर दिया गया था जिसके बाद इस सेंचुरी को अब कोठरी गाव से लेकर अष्टभुजा मंदिर तक शिफ्ट किया गया है पर्याववरण के साथ सही संतुलन बनाने के लिए इन कछुओं का सरंक्षण बेहद जरूरी है।,क्यूंकि जिन कछुओं की प्रजाति इस तालाब में पाई गई है विशेषज्ञों का मानना है की ये प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर है महंत कहते है की तालाब को सरंक्षित करने के लिए जरूरी है की इसमें पानी की पर्याप्त मात्रा रहे और अगर हो सके तो इसकी गहराई में और बढ़ोतरी होनी चाहिए जिससे की कछुओं की इन ख़ास प्रजाति को बचाया जा सके