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नैनीताल समाचार,31 दिसंबर 2011

शिवानंद का अनशन शुरू होने के बाद भी सरकार चुप बैठी रही। राजस्व मंत्री दिवाकर भट्ट तो इस अनशन के पहले दिन से ही मातृ सदन को समाज विरोधी और खनन को आवश्यक बताते हुए खनन माफियाओं का पक्ष लेते रहे। मुख्यमंत्री ने भी 3 दिसम्बर को हरिद्वार के भोगपुर में हुई जनसभा में मातृ सदन पर आरोप लगाया कि वह अपनी माँगों की सूची लंबी करता जा रहा है। उसकी कुंभ क्षेत्र को खननमुक्त करने की माँग मान ली गयी है, लेकिन उनकी पूरे हरिद्वार में गंगा को खननमुक्त करने की माँग को मानना संभव नहीं है। सरकार की इस बेरुखी से नाराज मातृ सदन ने भी साफ कह दिया कि जब तक सरकार गंगा में चल रहे खनन को बंद नहीं करेगी तब तक अनशन जारी रहेगा। मातृ सदन ने दिवाकर भट्ट पर खनन माफियाओं से मिले होने का आरोप लगाते हुए कहा कि दिवाकर भट्ट खुद ही स्टोन क्रशर चलाते हैं और इनके क्रशर को भी गंगा से ही पत्थर सप्लाई होता है। इस आरोप से बौखलाये दिवाकर भट्ट ने कहा कि खनन का विरोध करने वाले समाज विरोधी हैं, जो गंगा के नाम पर अपना चेहरा चमकाना चाहते हैं। उन्होंने मंत्रिपद से इस्तीफा देकर 6 दिसम्बर से अनशन के बदले अनशन करने का ऐलान किया। मगर उन्होंने एक बार भी जाँच का सामना करने की बात नहीं कही। क्योंकि यह बात जगजाहिर है कि राजस्व मंत्री हरिद्वार के निकट श्यामपुर में चल रहे एक स्टोन क्रशर में हिस्सेदार हैं। यह हिस्सेदारी उनके पुत्र व पुत्रवधू के नाम से है।
एक ओर सरकार गंगा में चल रहे खनन को वैध ठहराने की कोशिश करती रही तो दूसरी ओर आरोप-प्रत्यारोप चलता रहा। मगर शिवानंद का अनशन तुड़वाने की मनोवैज्ञानिक कसरत भी जारी रही। 4-5 दिसम्बर को दिवाकर भट्ट ने तीन बार मातृ सदन जाकर स्वामी शिवानंद को मनाने की कोशिश की। लेकिन जब शिवानंद नहीं माने तो मंत्री ने साफ कह दिया कि न तो वे अनशन करेंगे और न ही इस्तीफा देंगे। उनका तर्क था कि जनता नहीं चाहती कि वे इस्तीफा दें। जबकि हकीकत यह है कि मंत्री ने इस्तीफे का पाँसा इस उम्मीद में फेंका था कि प्रशासन शिवानंद को उठाकर अस्पताल पहुँचा देगा। मगर इतना ही हो पाया कि पहले 3 दिसम्बर की रात प्रशासन ने शिवानंद को फोर्स फीडिंग की कोशिश की और बाद में 4 दिसम्बर को थाना कनखल में एसओ प्रदीप चौहान ने धारा 309 के तहत उन पर आत्महत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर दिया। इस कार्यवाही के बाद मातृ सदन के ब्रह्मचारी दयानंद ने एसएसपी पीएस सैलाल को पत्र लिखकर पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया। पुलिस ने मातृ सदन में रह रही दो विदेशी महिलाओं, आस्ट्रेलिया की लिसा सबीना और यूएसए की ब्राइस गोर्डन को भी इस आधार पर नोटिस जारी कर दिया कि वे टूरिस्ट वीजा के आधार पर भारत में रह रही हैं, लेकिन वे न सिर्फ जर्नलिज्म कर रही हैं बल्कि फील्म भी बना रही हैं। यह विदेशी प्रवास कानून का उल्लंघन है।

खनन के कारण हरिद्वार में गंगा का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ गया है। कई प्राकृतिक द्वीप पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं। जलीय पर्यावरण दूषित हो रहा है। वर्तमान में हरिद्वार जिले में 41 स्टोन क्रशर संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 22 पूरी तरह से गंगा में हो रहे खनन पर निर्भर हैं, जिनको 8,000 घन मीटर प्रतिदिन की उपखनिज की निकासी के पट्टे जारी किए गए हैं। इन क्रशरों की प्रतिदिन क्षमता 7,58,200 घमी. क्रशिंग की है। सवाल यह है कि यह सैकड़ों गुना अधिक उपखनिज इन क्रशरों में कहाँ से आ रहा है ? मातृ सदन के संत ब्रह्मचारी दयानंद का कहना है कि हरिद्वार में चलने वाले अधिकांश क्रशर अवैध खनन के सहारे चलते हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर आँखें मूँदे रहता है। जब राज्य के मंत्री ही माफियाओं के साथ खड़े हैं तो अवैध खनन कैसे रुकेगा ?
हरिद्वार में खनन पट्टे जारी करने की जिम्मेदारी वन विकास निगम और गढ़वाल मंडल विकास निगम की है। गंगा के अलावा हरिद्वार में रवासन, बाणगंगा और सोनाली नदियों में भी बड़े पैमाने पर अवैध खनन होता है। यहाँ भी प्रशासन मूकदर्शक रहता है। खनन के खिलाफ जारी इस लड़ाई को जहाँ अधिकांश संगठनों का खुला समर्थन मिल रहा है, वहीं पद्मश्री अवधेश कौशल इसे चेहरा चमकाने की कवायद करार देते हैं। उनका कहना है कि पर्यावरण की चिंता और विकास की जरूरत के बीच तालमेल बनाते हुए एक सुविचारित खनन नीति बनानी होगी। मगर स्वामी शिवानंद का कहना है कि हमारी लड़ाई गंगा की रक्षा के लिए है। बीस साल के संघर्ष के बाद हमने कुंभ क्षेत्र से क्रशरों को हटाने में सफलता हासिल की। अब यह लड़ाई हरिद्वार में बाहरी क्षेत्र के गंगा में खनन के खिलाफ लड़ी जा रही है। कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट ने मातृ सदन का उत्पीड़न करने संबंधी आरोपों से इंकार किया है। उनका कहना है कि क्रशर मेरा बेटा चलाता था, जो अब किराए पर दे दिया गया है।