मयाली गाँव में मधेश्वर में स्थित वनों का संरक्षण ग्रामीणों द्वारा किया जाता है तथा नए वृक्षों का रोपण वैज्ञानिक पद्धति से किया गया है जिससे वहाँ के वन अब व्यवस्थित नजर आते हैं। सभी ग्रामीण पर्यावरण के महत्त्व को समझते हुए अपने घर में कम-से-कम 5 वृक्ष अवश्य लगाते हैं जिसमें मुनगा, पपीता, नीबू, आँवला तथा आम हैं जिससे भंडरी ग्राम पंचायत में आज चारों ओर हरियाली-ही-हरियाली है।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिला मुख्याल से 35 किलोमीटर की दूरी पर राजकीय राजपथ क्रमांक 78 परचरई डांड के समीप मयाली ग्राम स्थित है मधेश्वर। वहाँ स्थित एक पहाड़ है जिसकी आकृति शिवलिंग जैसी है। ग्रामीण इसकी पूजा करते हैं और इसे विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान में यहाँ वन विभाग द्वारा नेचरपार्क का निर्माण किया गया है जिससे सम्पूर्ण भंडरी ग्राम पंचायत को फायदा हो रहा है तथा भंडरी ग्राम पंचायत की वित्तीय स्थिति में गुणोत्तर विकास हुआ है।
मनुष्य के प्रगतिशील बने रहने के लिये आवश्यक है कि उसे अवकाश मिले। जिस प्रकार किसी औजार से निरन्तर काम करते रहने पर उसकी धार मंद हो जाती है और उसकी धार को तेज बनाने हेतु उसे कुछ समय विश्राम देना पड़ता है ठीक उसी प्रकार मनुष्य भी यदि निरन्तर काम करता रहे तो उसकी क्षमता प्रभावित होती है। अतः कार्यक्षमता को प्रभावी बनाए रखने के लिये आवश्यक है कि मनुष्य भी अवकाश ले और ऐसे स्थान पर समय बिताए जहाँ प्रकृति अपनी अनूठी छवि के साथ विराजित हो। ऐसा स्थान प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों हो सकते हैं।
मयाली ग्राम में पहले अत्यधिक वन सम्पदा बाँस के रूप में थी परन्तु ग्रामीणों द्वारा उसका निरन्तर दोहन किया गया जिससे वहाँ के बाँस वनों की स्थिति अत्यन्त दयनीय हो गई और बाँस के वन वहाँ नाममात्र के बचे। ऐसी स्थिति में वन विभाग हरकत में आया और पर्यावरण चेतना केन्द्र के रूप में मयाली गाँव को चिन्हांकित करते हुए वहाँ की बंजर जमीन में कृत्रिम झील का निर्माण किया और नेचर पार्क हेतु कुल 3 चरणों में 36.22 लाख रुपए खर्च किये जिसमें शामिल हैं- आधुनिक टेंट निवास हेतु भोजन हेतु कैंटीन, बच्चों हेतु चिल्ड्रस पार्क, झील में भ्रमण हेतु आधुनिक बोट इत्यादि।
इन सभी की व्यवस्था हेतु ग्रामीणों के एक स्वयंसहायता समूह का निर्माण किया गया और इसकी देखरेख की जिम्मेदारी समूह को प्रदान की गई। समूह में कुल 20 सदस्य हैं। मधेश्वर नेचरपार्क की बदौलत आज मयाली गाँव को किसी पहचान की आवश्यकता नहीं है। छुट्टी के दिन यहाँ आने वाले सैलानियों की संख्या अत्यधिक बढ़ जाती है। आज मयाली गाँव की रूपरेखा ही बदल गई है। पूरे नेचरपार्क का प्रबन्धन देवबोरा पर्यावरण जागरुकता समूह द्वारा किया जाता है।
मधेश्वर नेचरपार्क द्वारा भंडरी ग्राम पंचायत का विकास- भंडरी ग्राम पंचायत में सैलानी घूमने आते हैं जिससे वहाँ के निवासियों को अतिरिक्त आय के साधन मिले हैं। जैसे रोजमर्रा की जरूरतों हेतु दुकानें, मोटर मैकेनिक, खिलौना, फुग्गा इत्यादि से सम्बन्धित दुकानें खुली हैं।
नेचरपार्क में भ्रमण हेतु विभिन्न सरकारी विभाग के अधिकारी भी आते रहते हैं जिससे वहाँ संचालित होने वाली विभिन्न सरकारी योजनाओं का निरीक्षण एवं क्रियान्वयन भी तेजी से होता है। तत्कालीन कलेक्टर श्री हिमशिखर गुप्ता स्वयं भी भ्रमण हेतु मयाली जा चुके हैं। वहाँ स्थित वनों का संरक्षण ग्रामीणों द्वारा किया जाता है तथा नए वृक्षों का रोपण वैज्ञानिक पद्धति से किया गया है जिससे वहाँ के वन अब व्यवस्थित नजर आते हैं।
सभी ग्रामीण पर्यावरण के महत्त्व को समझते हुए अपने घर में कम-से-कम 5 वृक्ष अवश्य लगाते हैं जिसमें मुनगा, पपीता, नीबू, आँवला तथा आम हैं जिससे भंडरी ग्राम पंचायत में आज चारों ओर हरियाली-ही-हरियाली है। कृत्रिम झील में मछली बीज डाला जाता है तथा उस झील की नीलामी की जाती है जिससे ग्राम पंचायत की आमदनी बढ़ी है और इस आय से ग्राम पंचायत के विकास कार्यों मे तेजी आई है। पहले कृषि कार्य हेतु पानी की अनुपलब्धता थी परन्तु अब भंडरी ग्राम पंचायत में भूजल स्तर सुधरा है वहाँ के सभी हैण्डपम्प जो पहले सूखे थे उन सभी में पानी आ गया है।
पर्यावरण की जानकारी
वहाँ सैलानी दूर-दूर से आते हैं और प्रकृति से अपने आप को जोड़ते हैं। कई स्कूली बच्चों का कैम्प यहाँ लगाया गया है। स्कूली बच्चे वहाँ रहकर पर्यावरण को निकटता से महसूस करते हैं। उनके द्वारा मधेश्वर पहाड़ पर पर्वतारोहण किया जाता है; विभिन्न प्रकार के क्रियाकलाप किये जाते हैं जिससे उनका सर्वांगीण विकास सम्भव दिखता है।
पार्किंग सुविधा
पंचायत द्वारा वहाँ पार्किंग की सुविधा प्रदान की गई है, जिस पर नियंत्रण पंचायत के बेरोजगार नवयुवकों को दिया गया है जिससे उनकी बेरोजगारी दूर हुई है।
नेचरपार्क में गाँव के ही कुछ व्यक्तियों की खानसामा, सहायक खानसामा, चौकीदार तथा गार्ड्स के रूप में नियुक्ति की गई है। पूरे मधेश्वर नेचरपार्क परिसर को इस प्रकार से बनाया गया है कि वहाँ साँप ना आ सकें तथा रात्रि में प्रकाश हेतु सोलर लाइट की व्यवस्था भी की गई है। मधेश्वर नेचरपार्क से वहाँ के ग्रामीणों के साथ-साथ आसपास के लोगों को भी लाभ हुआ है।
मधेश्वर पार्क के माध्यम से आसपास के लोग प्रकृति के बीच रहने आते हैं और अपने आप को रिचार्ज करते हैं। आसपास की जनता वहाँ जाकर आनन्द महसूस करती है। वर्तमान में वहाँ निवास हेतु कुल 4 टेंट हैं और विकास कार्य प्रारम्भ हैं। मधेश्वर नेचर पार्क से प्रेरणा लेकर अन्य स्थानों पर भी नेचरपार्क का निर्माण किया जा सकता है जिससे ग्रामीण भी लाभान्वित हों और प्रकृति भी।
(लेखक जशपुर (छत्तीसगढ़) के जिला पंचायत संसाधन केन्द्र में संकाय सदस्य हैं।)
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