विलुप्ति के कगार पर पहुंच जाएगी बेतवा नदी

Submitted by Shivendra on Thu, 12/23/2021 - 12:35

देश की बड़ी नदियों को विशालता देने का कार्य उनकी सहायक छोटी नदियां ही करती है। लेकिन आज ऐसी ही कई  हज़ारो नदियां लुप्त हो चुकी या उसके कगार पर खड़ी  है। आखिर ऐसा क्यों और कैसे नदियों की स्थिति बनी। तो आइए हम आपको बताते है ऐसा क्यों हो रहा है । दरअसल, इसका सबसे बड़ा कारण अवैध खनन है। आज भी  इन छोटी  मौसमी  नदियों से बेहताशा रेत निकालने का काम  नाहि बंद हुआ नाहि  कम । जिसके चलते इन नदियों का उदगम और बड़ी नदियों को मिलने का रास्ता बंद हो रहा है। जिससे इन विशालकाय नदियों में पानी तो  कम हो ही रहा है साथ ही  छोटी मौसमी नदियां भी  लुप्त  हो रही है। कुछ  ऐसा ही हाल बेतवा नदी का  भी है।  

उत्तरप्रदेश की बेतवा नदी में भी खनन माफियाओं का बेहताशा बालू निकलने का काम रुक नही रहा है। लेकिन  शासन प्रशासन को इसकी थोड़ी भी भनक नही लगी । आखिर कैसे ? क्यों  शासन प्रशासन ने आँखे मूंदी है । 

दरअसल, नदी के किनारे से रेत निकालने के लिए शर्तों के साथ बाकायदा एक  टेंडर होता है.जिसमें टेंडर पाने वालों को भूजलस्तर से ऊपर की रेत उठान की अनुमति होती है क्योंकि अधिक रेत निकलने से भूजलस्तर गिरने आशंका रहती  है। और  पानी को साफ रखने के लिए रेत  अपने करीबी इलाकों के भूजल को भी सहेजती है। लेकिन ये खनन माफिया प्रशासन से मिलकर बड़ी बड़ी मशीनें लगाकर 15 फिट अंदर तक का रेत निकाल रहे है,लेखपाल, तहसीलदार एस डीएम ,डीएम, से लेकर मंत्रियों तक सूटकेस पहुंचता है, हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कई बार तो  छापेमारी भी की जाती है। 

 नदी के 02 किलोमीटर के इलाके में कई सौ ट्रक लोड होते है जिनको लोड करने के लिए कम से कम 100 बड़ी मशीन लगती है जबकि नियम के मुताबिक इनका  नदियों के पास आना भी गैरकानूनी है । कुछ साल पहले एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि रेत ढोने वाले वाहनों पर जीपीएस अवश्य लगा हो, ताकि उन्हें ट्रैक किया जा सके। लेकिन आज भी  एनजीटी के आदेश का ना हि  सख्ती से  पलान किया जाता है  । ऐसे में जरूरी की राज्य सरकार और भारत सरकार भूजल स्तर बढ़ने को लेकर जैसे बड़े बड़े कानून बना रही है कुछ ऐसा कानून नदियों को बचाने के लिए भी लाये ताकि हमारी आने वाले पीढ़ियां पानी से महरूम ना हो सके।