उत्तरप्रदेश के कौशांबी जिले के महेवाघाट इलाके में 10 किलोमीटर के दायरे में मौजूद ऐतिहासिक अलवारा झील हमेशा से ही पर्यटन का केंद्र रही है। इस झील में ठंड के मौसम में साइबेरियन समेत तमाम विदेशी पक्षी आते हैं, और 4-5 महीने बाद वापस चले जाते हैं। आसपास रह रहे लोगों ने बताया कि जब यहाँ पक्षी आते हैं तो पर्यटकों की भी यहाँ भीड़ लग जाती है। दूर-दराज़ से लोग इस झील की खूबसूरती देखने आते हैं लेकिन झील दुरुपयोग और अनदेखी के कारण अपना अस्तित्व खोती जा रही है, इसकी देख रेख के लिए प्रशासन की तरफ से भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। लोग बताते हैं कि पक्षियों के लिए किसी भी तरह के कोई इंतज़ाम नहीं हैं। झील के सुंदरीकरण का बजट तो कई बार आया है लेकिन उसपर काम नहीं हुआ है। अगर झील का सुंदरीकरण हो जाए तो इस झील की सुंदरता में चार चांद लग जाएंगे और पर्यावरण सुधारने में भी मदद मिलेगी। और आसपास रह रहे लोगों को भी आराम मिलेगा। झील का पानी कोई बाँध न होने के चलते लोगों के खेतों में घुंस जाता है जिससे फसलें खराब हो जाती हैं लेकिन अगर बाँध बन जाता है तो लोगों को राहत हो जाएगी।
वही दूसरी ऒर नमामि गंगे योजना के तहत केंद्र सरकार पडोसी जनपद कौशांबी की अलवारा झील के करीब 404.86 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैव विविधता पार्क बनाने की अनुमति दे चुकी है और तकरीबन नौ करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना का कार्य 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा जैव विविधिता पार्क को मुख्यत: दो जोन में बांटा जाएगा। विजिटर्स जोन और नेचर कंजरवेशन में अलग-अलग सुविधाएं होंगी।