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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by Shivendra on Tue, 06/08/2021 - 16:16
Source:
जीईपी लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड
पिछले कुछ दशकों से राज्य के मूल्यांकन तंत्र में जीईपी को शामिल करने की मांग लंबित थी और इसके लिये कई शिक्षाविद और पर्यावरणविद सरकारों पर दबाव बना रहे थे। ग्रीन एक्टिविटस द्वारा की गई गणना के मुताबिक उत्तराखंड अपनी जैव विविधता के माध्यम से देश को हर साल 95112 करोड़ रुपये की सेवाएं देता है । राज्य का 71% भू भाग जंगलों से घिरा हुआ है यहाँ  हिमालय का घर के अलावा गंगा, यमुना और शारदा जैसी नदियों का उद्गम स्थल, और कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व जैसे वन्य जीव अभ्यारण भी है  दो दशक से अधिक समय से 'ग्रॉस इकोसिस्टम प्रोडक्ट' को महत्वपूर्ण बता रहे एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के जाने माने  इकोलॉजिस्ट और पूर्व कुलपति एसपी सिंह ने उत्तराखंड सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर खुशी जताई है ।
Submitted by Shivendra on Mon, 06/07/2021 - 16:21
Source:
विश्व मे पानी के लिये 265 लड़ाइयां हुई
जिसके बिना प्रत्येक जीव का जीवित रह पाना असंभव है, पृथ्वी पर  पाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण संसाधन है. जल को अंग्रेजी भाषा में वाटर और भारतीय आम भाषा में पानी कहकर संबोधित करते हैं. जल दो तत्वों,  हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिल कर बना है.जी हां दोस्तों, आज का हमारा लेख पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवित प्राणियों के जीवन में अहम स्थान रखने वाले संसाधन से जुड़ा है. जिसकी कीमत का अंदाजा महज इस एक कथन से लगाया जा सकता है ' जल ही जीवन है'. आज हम आपको पानी से जुड़े वे सभी रोचक तथ्य (water facts) बताने जा रहे हैं जो आपने आज से पहले शायद ही कही पढ़े या जानें होंगे. तो देर ना करते हुए चलिए जानते है
Submitted by Shivendra on Sat, 06/05/2021 - 15:22
Source:
नदी विज्ञान की कसौटी पर ललितपुर जिले की ओडी नदी के पुनर्जीवन की कहानी
ओडी नदी के पुनर्जीवन पर 87 लाख रुपये खर्च किए गए। इस राशि में पंचायत का योगदान 23 लाख रुपये था। बाकी राशि मनरेगा मद से जुटाई गई। सन 2019 की बरसात के बाद उदगम के निकट ऊँचाई पर स्थित मदनपुर और दारुटोला ग्रामों को छोडकर बाकी के नदी मार्ग में नदी लबालब भर गई और सदानीरा हो गई। लगभग 250 कुओं की क्षमता में वृद्धि हुई। ओडी नदी के पुनर्जीवन से लगभग 3500 परिवार लाभान्वित हुए। उनकी सालाना आय 40,200 से बढ़कर 68,000 हो गई। ओडी नदी का लगभग 2428 हैक्टर रकबा दो फसली हो गया। गाद हटाना, नदी की तली को गहरा करना और तटबन्धों पर वृक्षारोपण ने नई इबारत लिख दी। प्रयोग को सराहा गया और वह सम्मानित भी हुआ। लोगों में सन्देश गया कि यह प्रयास लाभदायक है और उसे दोहराया जा सकता है। इस अनुक्रम में उपरोक्त प्रयास को नदी विज्ञान, जल उपलब्धता की निरन्तरता और गाद जमाव से मुक्ति के नजरिए से परखा जाना चाहिए। सबसे पहले बात नदी विज्ञान के नजरिए से प्रयास की। 

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

जीईपी लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड

Submitted by Shivendra on Tue, 06/08/2021 - 16:16
जीईपी लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड
पिछले कुछ दशकों से राज्य के मूल्यांकन तंत्र में जीईपी को शामिल करने की मांग लंबित थी और इसके लिये कई शिक्षाविद और पर्यावरणविद सरकारों पर दबाव बना रहे थे। ग्रीन एक्टिविटस द्वारा की गई गणना के मुताबिक उत्तराखंड अपनी जैव विविधता के माध्यम से देश को हर साल 95112 करोड़ रुपये की सेवाएं देता है । राज्य का 71% भू भाग जंगलों से घिरा हुआ है यहाँ  हिमालय का घर के अलावा गंगा, यमुना और शारदा जैसी नदियों का उद्गम स्थल, और कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व जैसे वन्य जीव अभ्यारण भी है  दो दशक से अधिक समय से 'ग्रॉस इकोसिस्टम प्रोडक्ट' को महत्वपूर्ण बता रहे एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के जाने माने  इकोलॉजिस्ट और पूर्व कुलपति एसपी सिंह ने उत्तराखंड सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर खुशी जताई है ।

विश्व मे पानी के लिये 265 लड़ाइयां हुई

Submitted by Shivendra on Mon, 06/07/2021 - 16:21
विश्व मे पानी के लिये 265 लड़ाइयां हुई
जिसके बिना प्रत्येक जीव का जीवित रह पाना असंभव है, पृथ्वी पर  पाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण संसाधन है. जल को अंग्रेजी भाषा में वाटर और भारतीय आम भाषा में पानी कहकर संबोधित करते हैं. जल दो तत्वों,  हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिल कर बना है.जी हां दोस्तों, आज का हमारा लेख पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवित प्राणियों के जीवन में अहम स्थान रखने वाले संसाधन से जुड़ा है. जिसकी कीमत का अंदाजा महज इस एक कथन से लगाया जा सकता है ' जल ही जीवन है'. आज हम आपको पानी से जुड़े वे सभी रोचक तथ्य (water facts) बताने जा रहे हैं जो आपने आज से पहले शायद ही कही पढ़े या जानें होंगे. तो देर ना करते हुए चलिए जानते है

नदी विज्ञान की कसौटी पर ललितपुर जिले की ओडी नदी के पुनर्जीवन की कहानी

Submitted by Shivendra on Sat, 06/05/2021 - 15:22
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
नदी विज्ञान की कसौटी पर ललितपुर जिले की ओडी नदी के पुनर्जीवन की कहानी
ओडी नदी के पुनर्जीवन पर 87 लाख रुपये खर्च किए गए। इस राशि में पंचायत का योगदान 23 लाख रुपये था। बाकी राशि मनरेगा मद से जुटाई गई। सन 2019 की बरसात के बाद उदगम के निकट ऊँचाई पर स्थित मदनपुर और दारुटोला ग्रामों को छोडकर बाकी के नदी मार्ग में नदी लबालब भर गई और सदानीरा हो गई। लगभग 250 कुओं की क्षमता में वृद्धि हुई। ओडी नदी के पुनर्जीवन से लगभग 3500 परिवार लाभान्वित हुए। उनकी सालाना आय 40,200 से बढ़कर 68,000 हो गई। ओडी नदी का लगभग 2428 हैक्टर रकबा दो फसली हो गया। गाद हटाना, नदी की तली को गहरा करना और तटबन्धों पर वृक्षारोपण ने नई इबारत लिख दी। प्रयोग को सराहा गया और वह सम्मानित भी हुआ। लोगों में सन्देश गया कि यह प्रयास लाभदायक है और उसे दोहराया जा सकता है। इस अनुक्रम में उपरोक्त प्रयास को नदी विज्ञान, जल उपलब्धता की निरन्तरता और गाद जमाव से मुक्ति के नजरिए से परखा जाना चाहिए। सबसे पहले बात नदी विज्ञान के नजरिए से प्रयास की। 

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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