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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Shivendra on Wed, 07/29/2020 - 21:30
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हरकी पैड़ी पर गंगा नदी का नाम बदलने की तैयारी
इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है कि 80 के दशक तक हरकी पैड़ी निर्विवाद रूप से गंगा में थी। यह स्थिति ज्वालापुर से दूधाधारी चैक तक बाईपास मार्ग बनने से बदली है। पहले हरकी पैड़ी से नील धारा तक गंगा नदी ही थी। बाईपास बनाने से गंगा बंट गई और डैम का बंधा हुआ जल ही अधिक मात्रा में हरकी पैड़ी पर आता है, जिसके विरोध में ब्रिटिशों के खिलाफ धार्मिक संग्राम हुआ था।
Submitted by Editorial Team on Wed, 07/29/2020 - 17:17
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Cloud Bursting
पहाड़ी इलाकों में अकसर बरसात के मौसम में हमने बादल फटने की घटना के बारे में सुना होगा । कई बार लोगों के मन में सवाल होते हैं बादल फटना क्या होता है, क्योंकि बादल फटने के बारे में कई तरह की भ्रांतियां मौजूद है क्या बादल फटना किसी गुब्बारे के फटने के जैसे कोई घटना होती है । अपने इस वीडियो में हम आपको समझाएंगे कि बादल कैसे बनते हैं और बादल फटने के पीछे क्या वैज्ञानिक कारण होते है। बादल फटना बारिश का ही एक चरम रूप है जब किसी एक स्थान पर मूसलाधार बारिश होती है तो इस घटना को बादल फटना कहते हैं । मौसम वैज्ञानिक कौन है बादल फटने को दर्शाने के लिए कुछ मानक निर्धारित कर रखे हैं वो मानक क्या हैं उसकी पूरी जानकारी आपको हम इस वीडियो के माध्यम से देंगे । साथ ही साल 2013 में केदारनाथ में जो भारी बारिश हुई थी उसकी वजहें क्या थीं उसके बारे में भी हम आपको इस वीडियो के माध्यम से समझाएंगे ।
Submitted by Shivendra on Tue, 07/28/2020 - 21:11
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डाकुओं को भी बनाया पर्यावरण प्रेमी, लगाए 26 लाख पौधे
वैसे तो पौधारोपण हम सभी करते हैं, लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जिनके जीवन का उद्देश्य ही पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण है। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं, विष्णु लांबा, जिनकी प्रेरणा से अभी तक 50 लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं। साथ ही वे नदियों को खनन मुक्त कराने और पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने जुनून के चलते ही उन्होंने सुख्यात डाकुओं को भी पर्यावरण की मुहिम से जोड़ दिया। पर्यावरण को बचाने के लिए उन्होंने अपना घरबार भी छोड़ दिया। पर्यावरण के प्रति उनके जुनून को देखते हुए दुनिया अब उन्हें ट्रीमैन ऑफ इंडिया के नाम से जानती है। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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हरकी पैड़ी पर गंगा नदी का नाम बदलने की तैयारी, ताकि हाईकोर्ट का आदेश रहे बेअसर

Submitted by Shivendra on Wed, 07/29/2020 - 21:30
हरकी पैड़ी पर गंगा नदी का नाम बदलने की तैयारी
इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है कि 80 के दशक तक हरकी पैड़ी निर्विवाद रूप से गंगा में थी। यह स्थिति ज्वालापुर से दूधाधारी चैक तक बाईपास मार्ग बनने से बदली है। पहले हरकी पैड़ी से नील धारा तक गंगा नदी ही थी। बाईपास बनाने से गंगा बंट गई और डैम का बंधा हुआ जल ही अधिक मात्रा में हरकी पैड़ी पर आता है, जिसके विरोध में ब्रिटिशों के खिलाफ धार्मिक संग्राम हुआ था।

बादल फटना क्या होता है

Submitted by Editorial Team on Wed, 07/29/2020 - 17:17
Author
इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी)
Cloud Bursting
पहाड़ी इलाकों में अकसर बरसात के मौसम में हमने बादल फटने की घटना के बारे में सुना होगा । कई बार लोगों के मन में सवाल होते हैं बादल फटना क्या होता है, क्योंकि बादल फटने के बारे में कई तरह की भ्रांतियां मौजूद है क्या बादल फटना किसी गुब्बारे के फटने के जैसे कोई घटना होती है । अपने इस वीडियो में हम आपको समझाएंगे कि बादल कैसे बनते हैं और बादल फटने के पीछे क्या वैज्ञानिक कारण होते है। बादल फटना बारिश का ही एक चरम रूप है जब किसी एक स्थान पर मूसलाधार बारिश होती है तो इस घटना को बादल फटना कहते हैं । मौसम वैज्ञानिक कौन है बादल फटने को दर्शाने के लिए कुछ मानक निर्धारित कर रखे हैं वो मानक क्या हैं उसकी पूरी जानकारी आपको हम इस वीडियो के माध्यम से देंगे । साथ ही साल 2013 में केदारनाथ में जो भारी बारिश हुई थी उसकी वजहें क्या थीं उसके बारे में भी हम आपको इस वीडियो के माध्यम से समझाएंगे ।

डाकुओं को भी बनाया पर्यावरण प्रेमी, लगाए 26 लाख पौधे

Submitted by Shivendra on Tue, 07/28/2020 - 21:11
डाकुओं को भी बनाया पर्यावरण प्रेमी, लगाए 26 लाख पौधे
वैसे तो पौधारोपण हम सभी करते हैं, लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जिनके जीवन का उद्देश्य ही पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण है। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं, विष्णु लांबा, जिनकी प्रेरणा से अभी तक 50 लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं। साथ ही वे नदियों को खनन मुक्त कराने और पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने जुनून के चलते ही उन्होंने सुख्यात डाकुओं को भी पर्यावरण की मुहिम से जोड़ दिया। पर्यावरण को बचाने के लिए उन्होंने अपना घरबार भी छोड़ दिया। पर्यावरण के प्रति उनके जुनून को देखते हुए दुनिया अब उन्हें ट्रीमैन ऑफ इंडिया के नाम से जानती है। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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