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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Editorial Team on Thu, 06/06/2019 - 15:26
Source:
हिंदुस्तान, 05 जून 2019
nature lover
विकास की अंधी दौड़ में हम जाने अनजाने में अपने परिवेश को काफी नुकसान पहुंचा रहा है। पर देश में कई ऐसे लोग भी हैं जो अपने प्रयासों से इस वसुंधरा को हरा-भरा बनाए रखने की कोशिश में जुटे हैं। आइए रूबरू होते हैं कुछ ऐसे लोगों से जो पर्यावरण बचाने का प्रयास कर मिसाल कायम कर रहे हैं
Submitted by Editorial Team on Tue, 06/04/2019 - 15:37
Source:
टाइम्स आफ इंडिया, 10 मई 2019
Aghanashini
कर्नाटक की नदी अघनाशिनी। अगहनशिनी नदी सिरसी शहर के शंकरा होंडा गांव में स्थित है, जो कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के कुमटा में अरब सागर में मिलती है। अरब सागर में मिलने तक यह नदी घुमावदार मोड़ों, अनोखी दलदलों, प्राचीन खेती के क्षेत्रों से होते हुए जाती है। इसकी जंगल की भूमि बायोलुमिनेसेंस से आच्छादित है। यह नदी का गहना अपने 124 किलोमीटर के सफर में मुक्त रूप बहती है। जो हिमालय रेंज से भी ज्यादा पुराना है। शायद पश्चिमी घाट जितना पुराना है। पश्चिम की तरफ बहने वाली इस नदी में बड़ी काली और शरवती नदियों के बराबर पानी की मात्रा है, लेकिन लंबे समय तक नहीं। नदी का मुहाना मछलियों की दर्जनों किस्मों को पनाह देने वाले बाइवलेव्स, केकड़ों और मैंग्रोव से समृद्ध है। अगहनशिनी नदी, यानि पापों को धोने वाली है।
Submitted by Editorial Team on Fri, 05/24/2019 - 15:36
Source:
द हिन्दू, जयपुर, 23 मई 2019
rajsthan water
राजस्थान का बिश्नोई समुदाय जो प्रकृति पूजा और वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी अपनी मान्यताओं के लिए जाना जाती है। इस समुदाय की लड़की ने एक बेहतरीन और सराहना करने योग्य पहल की है। इस समुदाय की एक लड़की ने अपनी शादी के विवाह संस्कार से पहले हिरण जैसे पशुओं की प्यास बुझाने के लिए खेत में खोदे गए गढढों को पानी से भर दिया है। पिछले सप्ताह उनकी इस पहल ने इस तपा देने वाली गर्मी का सामना कर रहे जंगली जानवरों को बचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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पर्यावरण को बचाने का प्रयास कर मिसाल पेश कर रहे हैं कुछ प्रकृति प्रेमी

Submitted by Editorial Team on Thu, 06/06/2019 - 15:26
paryavaran-ko-bachane-ka-prayas-kar-misaal-pesh-kar-rahe-hain-kuchh-prakriti-premi
Source
हिंदुस्तान, 05 जून 2019
nature lover
विकास की अंधी दौड़ में हम जाने अनजाने में अपने परिवेश को काफी नुकसान पहुंचा रहा है। पर देश में कई ऐसे लोग भी हैं जो अपने प्रयासों से इस वसुंधरा को हरा-भरा बनाए रखने की कोशिश में जुटे हैं। आइए रूबरू होते हैं कुछ ऐसे लोगों से जो पर्यावरण बचाने का प्रयास कर मिसाल कायम कर रहे हैं

अघनाशिनी: भारत की अंतिम प्रमुख बहती हुई नदी 

Submitted by Editorial Team on Tue, 06/04/2019 - 15:37
Author
रोहिणी निलेकणी
Source
टाइम्स आफ इंडिया, 10 मई 2019
Aghanashini
कर्नाटक की नदी अघनाशिनी।कर्नाटक की नदी अघनाशिनी। अगहनशिनी नदी सिरसी शहर के शंकरा होंडा गांव में स्थित है, जो कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के कुमटा में अरब सागर में मिलती है। अरब सागर में मिलने तक यह नदी घुमावदार मोड़ों, अनोखी दलदलों, प्राचीन खेती के क्षेत्रों से होते हुए जाती है। इसकी जंगल की भूमि बायोलुमिनेसेंस से आच्छादित है। यह नदी का गहना अपने 124 किलोमीटर के सफर में मुक्त रूप बहती है। जो हिमालय रेंज से भी ज्यादा पुराना है। शायद पश्चिमी घाट जितना पुराना है। पश्चिम की तरफ बहने वाली इस नदी में बड़ी काली और शरवती नदियों के बराबर पानी की मात्रा है, लेकिन लंबे समय तक नहीं। नदी का मुहाना मछलियों की दर्जनों किस्मों को पनाह देने वाले बाइवलेव्स, केकड़ों और मैंग्रोव से समृद्ध है। अगहनशिनी नदी, यानि पापों को धोने वाली है।

राजस्थान के पीलीबंगा गांव में शादी से पहले लड़कियां कुंड में पानी भरती हैं

Submitted by Editorial Team on Fri, 05/24/2019 - 15:36
rajasthan-ke-pilibanga-gaanv-mein-shaadi-se-pehle-ladkiyan-kund-mein-pani-bharti-hain
Source
द हिन्दू, जयपुर, 23 मई 2019
rajsthan water
राजस्थान का बिश्नोई समुदाय जो प्रकृति पूजा और वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी अपनी मान्यताओं के लिए जाना जाती है। इस समुदाय की लड़की ने एक बेहतरीन और सराहना करने योग्य पहल की है। इस समुदाय की एक लड़की ने अपनी शादी के विवाह संस्कार से पहले हिरण जैसे पशुओं की प्यास बुझाने के लिए खेत में खोदे गए गढढों को पानी से भर दिया है। पिछले सप्ताह उनकी इस पहल ने इस तपा देने वाली गर्मी का सामना कर रहे जंगली जानवरों को बचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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