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उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में स्वामी विज्ञानानन्द का आश्रम गंगा नदी के ओम तट पर भिटौरा गाँव में है। वर्ष 1970 के दिनों में रामशंकर पुत्र रामलखन गाँव बड़नपुर जनपद फतेहपुर में अपने माता-पिता और तीन बहनों के साथ रहते थे। जब रामशंकर की उम्र 13-14 वर्ष की रही होगी, उस समय वह दसवीं कक्षा के छात्र थे। अचानक एक दिन कुछ असाधारण करने की लालसा में रामशंकर सब कुछ छोड़ कर घर से बिना किसी को बताये चले जाता है और 33 वर्ष बाद जब वह अपने गाँव लौटा तो वह पिता के द्वारा रखे गये नाम रामशंकर को छोड़ चुका था। रामशंकर अब स्वामी विज्ञानानंद हो चुके थे।
एक तरफ मध्यप्रदेश की सरकार नर्मदा को जीवित इकाई माने जाने का संकल्प आगामी विधानसभा सत्र में ले चुकी है। नर्मदा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये नमामि देवी नर्मदे यात्रा निकाल रही है तो दूसरी तरफ नर्मदा की बीमारी बढ़ती ही जा रही है। नर्मदा की बीमारी अब गंभीर रूप लेने लगी है। नर्मदा के जलस्तर में ते
रिकाॅर्डधारक ब्रह्मपुत्र
जैसे पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों के बिना भारत के बाजूदार नक्शे की कल्पना अधूरी है, वैसे ही ब्रह्मपुत्र के बिना पूर्वोत्तर भारत का कल्पनालोक भी अधूरा ही रहने वाला है। ब्रह्मपुत्र, पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति भी है, सभ्यता भी और अस्मिता भी। ब्रह्मपुत्र बर्मी भी है, द्रविड़ भी, मंगोल भी, तिब्बती भी, आर्य भी, अनार्य भी, अहोम भी और मुगल भी। उसने खुद अपनी आँखों से इन तमाम संस्कृतियों को आपस में लड़ते, मिलते, बिछुड़ते और बढ़ते देखा है। तमाम बसवाटों को बसते-उजड़ते देखने का सुख व दर्द। दोनों का एहसास ब्रह्मपुत्र में आज भी जिंदा है। ब्रह्मपुत्र, पूर्वोत्तर भारत की लोकास्थाओं में भी है, लोकगीतों में भी और लोकगाथाओं में भी। ब्रह्मपुत्र, भूपेन दा का संगीत भी है और प्रकृति का स्वर प्रतिनिधि भी। पूर्वोत्तर की रमणियों का सौंदर्य भी ब्रह्मपुत्र में प्रतिबिम्बित होता है और आदिवासियों का प्रकृति प्रेम भी और गौरवनाद भी। आस्थावानों के लिये ब्रह्मपुत्र, ब्रह्म का पुत्र भी है और बूढ़ा लुइत भी। लुइत यानी लोहित यानी रक्तिम।
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भागीरथ पराक्रमी : स्वामी विज्ञानानन्द
बचपन
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में स्वामी विज्ञानानन्द का आश्रम गंगा नदी के ओम तट पर भिटौरा गाँव में है। वर्ष 1970 के दिनों में रामशंकर पुत्र रामलखन गाँव बड़नपुर जनपद फतेहपुर में अपने माता-पिता और तीन बहनों के साथ रहते थे। जब रामशंकर की उम्र 13-14 वर्ष की रही होगी, उस समय वह दसवीं कक्षा के छात्र थे। अचानक एक दिन कुछ असाधारण करने की लालसा में रामशंकर सब कुछ छोड़ कर घर से बिना किसी को बताये चले जाता है और 33 वर्ष बाद जब वह अपने गाँव लौटा तो वह पिता के द्वारा रखे गये नाम रामशंकर को छोड़ चुका था। रामशंकर अब स्वामी विज्ञानानंद हो चुके थे।
नर्मदा की गंभीर बीमारी के मायने
एक तरफ मध्यप्रदेश की सरकार नर्मदा को जीवित इकाई माने जाने का संकल्प आगामी विधानसभा सत्र में ले चुकी है। नर्मदा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये नमामि देवी नर्मदे यात्रा निकाल रही है तो दूसरी तरफ नर्मदा की बीमारी बढ़ती ही जा रही है। नर्मदा की बीमारी अब गंभीर रूप लेने लगी है। नर्मदा के जलस्तर में ते
आइये, ब्रह्मपुत्र को जानें - भाग 01
रिकाॅर्डधारक ब्रह्मपुत्र
जैसे पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों के बिना भारत के बाजूदार नक्शे की कल्पना अधूरी है, वैसे ही ब्रह्मपुत्र के बिना पूर्वोत्तर भारत का कल्पनालोक भी अधूरा ही रहने वाला है। ब्रह्मपुत्र, पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति भी है, सभ्यता भी और अस्मिता भी। ब्रह्मपुत्र बर्मी भी है, द्रविड़ भी, मंगोल भी, तिब्बती भी, आर्य भी, अनार्य भी, अहोम भी और मुगल भी। उसने खुद अपनी आँखों से इन तमाम संस्कृतियों को आपस में लड़ते, मिलते, बिछुड़ते और बढ़ते देखा है। तमाम बसवाटों को बसते-उजड़ते देखने का सुख व दर्द। दोनों का एहसास ब्रह्मपुत्र में आज भी जिंदा है। ब्रह्मपुत्र, पूर्वोत्तर भारत की लोकास्थाओं में भी है, लोकगीतों में भी और लोकगाथाओं में भी। ब्रह्मपुत्र, भूपेन दा का संगीत भी है और प्रकृति का स्वर प्रतिनिधि भी। पूर्वोत्तर की रमणियों का सौंदर्य भी ब्रह्मपुत्र में प्रतिबिम्बित होता है और आदिवासियों का प्रकृति प्रेम भी और गौरवनाद भी। आस्थावानों के लिये ब्रह्मपुत्र, ब्रह्म का पुत्र भी है और बूढ़ा लुइत भी। लुइत यानी लोहित यानी रक्तिम।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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